Friday, 27 July 2018

Article : गुरु पूर्णिमा

गुरु पूर्णिमा


आज का दिन बहुत ही शुभ है। इस पवित्र दिन को अपने सभी गुरुओं को ना समर्पित किया जाए, तो मेरा लिखना व्यर्थ है।
कबीर जी ने बहुत पहले ही हमें अपने दोहे के द्वारा ये अवगत करा दिया था,

गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय।
बलिहारी गुरू अपने गोविन्द दियो बताय।।

गुरू और गोविंद (भगवान) एक साथ खड़े हों तो किसे प्रणाम करना चाहिएगुरू को अथवा गोविंद को? ऐसी

स्थिति में गुरू के श्रीचरणों में शीश झुकाना उत्तम है जिनके कृपा रूपी प्रसाद से गोविन्द का दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

ईश्वर तो सर्व शक्तिमान हैं, तो क्या वे हमें सीधे-सीधे प्रेरणा नहीं प्रदान कर सकते हैं?

क्यों नहीं कर सकते, बिलकुल कर सकते हैं। फिर आखिर उन्होंने ऐसा क्यों किया?

शायद इसलिए कि उन्होंने हमारे इर्दगिद बहुत ही सुंदर रिश्तों का ताना-बना बुना है, और उन सब रिश्तों के जरिये ही वो हमारे साथ रहते भी हैं। और समय समय पर ज्ञान भी प्रदान करते हैं।

प्रथम गुरु माँ व पिता, जिनके होने के कारण ही हमारा अस्तित्व है। वो जब तक हमारे साथ रहते हैं, हमें उचित अनुचित का ज्ञान प्रदान करते रहते हैं। और यही इस पूरे संसार में ऐसे भी हैं, जो हमारा कभी भी अनहित नहीं होने देते हैं। अत: ये हमारा कर्तव्य है, कि हम हमेशा उनको सम्मान प्रदान करें।

उसके बाद आतें है भाई-बहन, जो हमारी छाया होते हैं, या हम उनकी, उनके रहते आप कभी दुनिया में अकेले नहीं रह सकते हैं। वो हमें साथ और भागीदारी दोनों का ज्ञान प्रदान करते हैं।
फिर जीवन-साथी, जो आपसे अलग होता है, किन्तु फिर भी वह आपका पूरक होता है, आपको संपूर्णता प्रदान करता है। जिंदगी के सही मूल्यों का ज्ञान प्रदान करता है।

अंत में बच्चे, जो आते तो सबसे बाद में, पर इनके आते ही आपके जीवन में प्रथम स्थान पा जाते हैं। इनके जरिये ईश्वर हमें ये ज्ञान प्रदान करते हैं, कि जिस तरह हमारे लिए हमारे सारे बच्चे एक समान प्रिय हैं, उसी भांति वो भी हम सबको एक समान प्यार करते हैं।

और ये सारे एहसास इतने सुखद होते हैं, कि ईश्वर इनके जरिये हमें ज्ञान प्रदान करते हैं।

फिर आती है सारी दुनिया, जहाँ आपको कुछ ऐसे लोग मिलेंगे, जो आपको इतनी कटुता प्रदान करेगें कि आपका संसार से मोह ही खत्म कर देंगे। जिनके जरिये आपको ईश्वर ये ज्ञान प्रदान करते हैं, कि सब कुछ अच्छा ही नहीं है, बल्कि आपको यहाँ फूल मिले हैं, तो शूल भी मिलेंगे।

पर जो मनुष्य इन शूल को भी फूल बना दें और आपकी ज़िंदगी में ऐसी स्वर्णिम छवि छोड़ दें, कि आप जीवन के सही मार्ग पर अग्रसारित होकर ईश्वर को प्राप्त कर सकें। वो ही गुरु हैं। जो आपको टूटने नहीं देंगे, आपको अपने हाथों से भवसागर में छूटने नही देंगे, वही गुरु हैं।

वो ईश्वर के नाम पर अपनी अंधभक्ति कराने वाले ढोंगी बाबा लोग तो बिल्कुल भी नहीं हैं।


वो आपके पिता भी हो सकते हैं, माँ भी, शिक्षक भी, जीवन-साथी, भाई-बहन या कोई अभिन्न मित्र भी।

मेरा ये लेख, उन सबको समर्पित है, जिन्होंने मुझे जीवन में किसी भी रूप में किसी भी तरह का ज्ञान प्रदान किया है। उन सबको नमन