Tuesday, 30 April 2019

Tip: Let's be cool in summers

It's too hot and the sun is on with those loo and chinook wind.
But if I say that, yet I am cool in summer; how would you react? But I am cool, indeed. Do you also want to be? Then, just go through this tip once and try it out, because it won't work out without going in the Sun.

Let's be cool in summers

#1. Avoid immediate fluctuations of temperature, ie. from chilled AC to sunlight, etc.
        If you would do so your body that was in a cold medium would not be able to acclimitate the sudden change. Thus, this may make you suffer from sunstroke.

#2. Drink 1-2 glasses of Lemonade or Aam Panna daily.
       This will protect you from heatstrokes and also keep you hydrated.

#3. Include raw onion or its preparations- vinegar-onion(सिरका प्याज़),curd-onion(दही प्याज़), tomato-onion(टमाटर प्याज़), lemon-onion(नींबू प्याज़), etc. as per your taste-in your meals, daily.
        The quercetin present in the onions acts against histamine that is the cause behind heat rashes.

#4. Add a drop of summer medicine-Glonoine or Glonoinium 30ch, a homeopathic medicine-to a litre of water. 
        It's made up of glycerine, nitrogen and oxygen, this would protect you from heatstrokes.

#5. Drink lots of water.
        This would keep you hydrated.

#6. While going out, cover your head with a cap, or an umbrella, etc.
        This would resist the sun rays from reaching you, directly.

Monday, 29 April 2019

Poem : मैं तो हूँ नई नवेली


कहानी “गलत फैसला”, में हमने adjustment की बात कही थी, तो किसी ने पूछा, adjustment का क्या अर्थ है? ये कविता वही बता रही है। 


मैं तो हूँ नई नवेली
yourquote


मैं तो हूँ नई नवेली
घर की रीति अपनी
मुझको तुम, बतलाओ ना
क्या होता है घर में
सब धीरे धीरे
समझाओ ना 
कुछ मनवा लेना
अपने मन की
कुछ मेरी भी
मानो ना
जुड़ गयी हूँ मैं भी
इस घर से
मुझको भी घर का
जानो ना
कुछ स्वाद का
खा लूँगी तेरा
कुछ मेरे स्वाद का
भी खालो ना
थाली पूर्ण हो जाएगी
एक बार कर डालो ना
कुछ पहनूँ मैं
तेरे मन का
कुछ पहने तू
मेरे मन का
प्रीत के रंग में
रंगे हुए हैं
दुनिया को दिखलाओ ना
छोड़ आई हूँ मैं
कुछ पीछे
हर पल यादें
मुझको खींचे
जुड़ते जुड़ते
जुड़ जाऊँगी
कुछ पल मुझको
दे डालो ना
मैं तो हूँ नई नवेली
घर की रीति अपनी
मुझको तुम बतलाओ ना
क्या होता है घर में
सब, धीरे धीरे
समझाओ ना 

Friday, 26 April 2019

Story Of Life : गलत फैसला (भाग- 4)

अब तक आप ने पढ़ा कि नन्दा और नीलेश की इकलौती बेटी निर्झर आज के रंग में रंगी बिगड़ैल लड़की है जिसने अपने चारों तरफ एक झूठी दुनिया बनाई हुई है। उसका विवाह मनन से हो जाता है, पर उनके बीच बहुत जल्दी तकरार शुरू जो जाती है। पर जब नन्दा निर्झर को रिश्ते की सच्चाई दिखलाती है, तो निर्झर पर गाज गिर जाती है.......  अब आगे     


गलत फैसला (भाग- 4) 


वो बहुत रोई, जब मन हल्का हुआ। तो वो सोचने बैठ गयी, माँ ठीक ही तो कह रही हैं, मनन ने मुझे कभी अपने माँ पापा से अलग करने की कोशिश नहीं की। और भी सारी बातें उसे माँ की समझ आने लगी।

फिर पूरे मन से उसने मनन की पसंद की चीज़ें बनाई, खीर बनाना वो नहीं भूली। और मनन के आने से पहले अपने को भी अच्छे से संवार लिया। 

मनन जब शाम को आया, तो उसे ऐसा लगा, मानों जैसे सुबह कुछ हुआ ही नहीं था। अपनी पसंद का खाना और फिर खीर खाकर तो मनन का मन बहुत ही प्रसन्न हो गया। 

उसने निर्झर से सुबह के अपने व्यवहार के लिए माफी मांगी, वो कहने लगा, ना जाने मुझे क्या हो जाता है, गुस्से में कुछ होश ही नहीं रहता है। वो रात निर्झर की ज़िंदगी की सबसे खूबसूरत रात थी।

अगले दिन निर्झर ने माँ को फोन करके सब 
बताया, और माँ को बहुत धन्यवाद दिया, और कहा आज आपने मेरे परिवार को तबाह होने से बचा लिया। मुझे गलत फैसला लेने से रोक लिया।

नन्दा बोली, मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है, कि मेरी बेटी अपने शादीशुदा ज़िन्दगी में बहुत खुश है तुम्हारा जीवन ऐसे ही खुशियों से भरा रहे और हाँ, कल मैंने जो भी बात बोली थी, वो सब तुम्हारे पापा ने मुझसे कहने को कहा था। इसलिए तेरा सारा धन्यवाद भी उन्हीं को मिलना चाहिए। कह कर नन्दा ने फोन रख दिया।

वो सोचने लगीं, नीलेश की सही राय ने निर्झर को गलत फैसला लेने से रोक लिया। सच ही तो है, निर्झर और मनन की ज़िन्दगी है, तो उसके फैसले भी निर्झर और मनन को ही लेने चाहिए।  

आज निर्झर को अपने पापा पर बहुत प्यार आ रहा था, साथ ही उसे इस बात का दुख भी था, कि काश वो पहले भी अपने पापा की बात सुनती, तो कभी कोई गलत फैसले ना लेती।

Thursday, 25 April 2019

Story Of Life : गलत फैसला (भाग - 3)


अब तक आपने पढ़ा कि नन्दा और नीलेश की इकलौती बेटी निर्झर आज के रंग में रंगी बिगड़ैल लड़की है जिसने अपने चारों तरफ एक झूठी दुनिया बनाई हुई है। उसका विवाह मनन से हो जाता है, पर उनके बीच बहुत जल्दी तकरार शुरू जो जाती है......    

गलत फैसला (भाग - 3)



बेटी का ऐसा फोन सुनकर, आज नन्दा पहली बार हिल गयी थी।उसने नीलेश से कहा, हमारी बेटी आज बहुत गलत फैसला लेने जा रही है।

नीलेश ने कहा, आज तुम्हें याद आ रहा है? कि वो हम दोनों की बेटी है। जब उसने पहला कदम गलत उठाया था, तब भी मैंने रोका था। पर तब तो तुम्हें समझ नहीं आया था, कि बेटी की गलती को बढ़ावा ना दो। 

मुझसे तुम कोई उम्मीद नहीं रखना, कि मैं तुम लोगों का इस में साथ दूंगा। कुछ ही दिन में मैं retire होने वाला हूँ, और जमा पूंजी का बहुत बड़ा हिस्सा मैं निर्झर की शादी में लगा चुका हूँ।

कैसी बात कर रहे हो नीलेश, क्या मैं जानती नहीं हूँ अपनी अर्थव्यवस्था को? निर्झर के तो शौक भी काफी महंगे हैं। अब क्या होगा? वो बेटी है, हम दोनों की, उसे बीच भंवर में तो नहीं छोड़ सकते हैं। 

नीलेश बोला ठीक है, मेरी बेटी है, इसलिए तुम्हारा साथ दे दे रहा हूँ। पर आज तुम वही बोलोगी, जो मैं कहूँगा। और अगर तुमने वैसा नहीं कहा, तो बेटी तो बाद में घर छोड़ेगी, मैं तुम्हें पहले घर से निकाल दूंगा।

नीलेश की ऐसी बातें सुनकर नन्दा अंदर तक काँप गयी, वो जानती थी, नीलेश अपनी बातों का पक्का है।

उसने तुरंत ही निर्झर को फोन किया, और कहा, निर्झर तुम अपनी ससुराल में ही ठीक हो, मनन उतने भी बुरे नहीं हैं। उनसे बना कर रखा करो। जहाँ तक रही उनके परिवार की बात, तो उन्होंने तुम्हें कभी हम से अलग करने की कोशिश नहीं की, तो तुम क्यूँ ये सोचती हो? अपनों को कोई यूं छोड़ता है क्या? अपनों से ही दुनिया है। 

शादीशुदा ज़िंदगी वैसी नहीं होती है, जैसी फिल्मों या सीरियलों में दिखाई जाती है।  हरदम romance, हरदम मस्ती, सैर- सपाटा। असलियत में ज़िंदगी का अर्थ है, adjustment.  जो दोनों को एक दूसरे के लिए करने होते हैं। मनन और परिवार का साथ चाहती हो, तो उनसे जुड़ो, ना कि अलग होने का मन बनाओ। कभी भी किसी से भी तो तुम्हारी पटती नहीं है।

आज हम हैं, कल को नहीं होंगे। तब कौन साथ देगा, तुम्हारा? 

कैसी बात कर रही हो माँtwitter और facebook पर मेरे बहुत सारे दोस्त हैं।

नहीं, कोई भी नहीं है। जो वाकई थे, तुमने उन्हें भला-बुरा कह कर दूर कर दिया है। और अब जो हैं, वो सब तुम्हारी मूर्खतापूर्ण बातों का मज़ा लेने के लिए जुड़े हैं। और तुम्हारा साथ देने का झूठा दिखावा भी इसलिए ही करते हैं, जिससे तुम ऐसे ही उनका entertainment करती रहो। 

और हाँ हर बात पर माँ-माँ, मत किया करो, बड़ी हो गई हो तुम, पति पत्नी की हर बात सबको पता चलने से रिश्ते में दूरी ही आती है। ये बात तुम समझ लो, और मनन को भी धीरे धीरे समझाओ। 

कुछ बातें प्यार से, कुछ मुनहार से सुलझ जाती हैं इसलिए भूले से भी मनन को छोड़ने की बात मत करना। आज कुछ अच्छा सा बना लेना, और हाँ खीर बनाना मत भूलना, मनन को बहुत पसंद है। कह कर नन्दा ने फोन रख दिया।

माँ की ऐसी बातें सुन कर निर्झर पर तो गाज ही गिर गयी, उसने माँ के इस रूप की कभी कल्पना भी नहीं की थी।

क्या नन्दा की बातों का निर्झर पर कुछ असर पड़ेगा, या वो कोई गलत फैसला ले लेगी? जानते हैं  गलत फैसला (भाग-4) में 

Wednesday, 24 April 2019

Story Of Life : गलत फैसला (भाग- 2)

अब तक आप ने पढ़ा, नन्दा और नीलेश की इकलौती बेटी निर्झर आज के रंग में रंगी बिगड़ैल लड़की है जिसने अपने चारों तरफ एक झूठी दुनिया बनाई हुई है  

गलत फैसला (भाग- 2) 

निर्झर शादी योग्य हो गयी। अब माँ पापा को उसकी शादी की चिंता सताने लगी। निर्झर इस हद तक बदतमीज़ हो चुकी थी, कि अब तो अपनी माँ तक को उल्टा-सीधा सुनाने से बाज नहीं आती थी।

नन्दा, नीलेश के पीछे पड़ गयी, कि अब पानी सर से ऊंचा हो रहा है, अब हमें निर्झर की शादी शीघ्र कर देनी चाहिए।

उन्हें एक अच्छा रिश्ता मिल ही गया। मनन एक MNC में manager था। उन लोगों का भी छोटा सा ही परिवार था। माँ-पापा और उसका छोटा भाई।

मनन के पापा अभी भी कार्यरत थे और छोटा भाई भी एक अच्छी company में कार्यरत था। अतः मनन के ऊपर किसी तरह की कोई ज़िम्मेदारी नहीं थी। दोनों का विवाह बहुत धूम धाम से सम्पन्न हो गया।

चंद दिन तो बड़े ही सुख पूर्वक बीते, पर 1 महीने के बाद से ही निर्झर को अपने ससुराल में बंधन लगने लगा। वो इसी फिराक में रहती कि मनन केवल उसका हो कर रहे। पर मनन अपने परिवार से अलग नहीं होना चाह रहा था।


अब तो आए दिन दोनों में झगड़े होने लगे। निर्झर माँ को बताती, माँ उसके और कान भरती, तुम भी क्या दिन भर रोती रहती हो? अपने ससुराल वालों को उल्टा सुना दिया करो, दबने की जरूरत नहीं है, किसी से। माँ की शह से बेटी की ज़िंदगी तबाह होती जा रही थी।

एक दिन मनन और निर्झर में, बहुत भयंकर झगड़ा हो गया तो निर्झर ने बोल दिया, मैं तंग आ गयी हूँ तुमसे, मेरा जीना दूभर हो गया है, ना जाने किस मनहूस क्षण में तुमसे जुड़ गयी थी। मनन भी बिफर गया, हाँ हाँ मैं भी, तुम्हें झेलते झेलते थक गया हूँ। तुम मेरी ज़िन्दगी से चली क्यों नहीं जाती। 

मनन के office जाते ही निर्झर ने माँ को फोन किया, माँ मनन ने मेरा जीना मुहाल कर दिया है, उसे मुझे छोड़, अपने माँ- पापा भाई सबकी चिंता है। मैं उसे हमेशा हमेशा के लिए छोड़ कर आ रही हूँ।


बात इस हद तक बढ़ चुकी थी, कि विवाह विच्छेद तक की नौबत आ गयी। 
क्या कारण हैं? कि आजकल शादियाँ चंद महीने भी नहीं टिक पाती हैं, जानते हैं गलत फैसला (भाग- 3) 

Tuesday, 23 April 2019

Story Of Life : गलत फैसला


गलत फैसला  


निर्झर अपनी माँ-पापा नन्दा और नीलेश की इकलौती बेटी थी।क्योंकि उनके निर्झर से पहले हुए, दो बेटे नहीं रहे थे, अतः शुरू से ही निर्झर बड़ी लाडली थी। बड़ी ही मन्नतों के बाद निर्झर का जन्म हुआ था। वो निर्झर को ईश्वर की कृपा और अपने प्यार का प्रतीक मानते थे। वे सोचते थे, कि निर्झर आशीर्वाद और प्रेम का झरना है। इसलिए बड़े प्यार से उसका नाम निर्झर रखा था।

निर्झर की माँ उससे इस हद तक प्यार करती थीं, कि उसकी उचित, अनुचित सब ही तरह की जिद्द पूरी कर दिया करती थीं। साथ ही उन्होंने उसके मन में ये भी खूब भर दिया, कि वो हर बात में सबसे श्रेष्ठ है। 

अतः जैसे जैसे वो बड़ी हो रही थी, वो बेहद घमंडी, नकचढ़ी, जिद्दी, बददिमाग, बदतमीज़ होती जा रही थी। वो अपने को सर्वोपरि समझने लगी।


कब किस का अपमान कर दे, कोई कह नहीं सकता। ना बड़ों का सम्मान, ना छोटों को प्यार। इकलौती होने के कारण किसी के साथ कोई adjustment नहीं करना जानती थी। कभी उसके पिता उसे कुछ समझाना भी चाहते, सही मार्ग पर लाना भी चाहते, तो माँ की शह मिल जाती। इसका नतीजा ये रह रहा था, कि उसके नज़र में पिता की भी कोई कद्र और सम्मान नहीं था।

नीलेश ने भी अब दोनों माँ बेटी के बीच कुछ भी बोलना लगभग बंद ही कर दिया। वो बस अपने पिता के फर्ज़ भर निभाते जा रहे थे।

नन्दा अपने बेटी के प्यार में इस कदर खोई रहती थी, कि उसकी बेटी लाड़ में बिगड़ती जा रही है इतनी भी उसे सुध ना थी। उसके अंधप्रेम की हद तो ये थी की वो कभी अपनी बेटी को गलत राह पर चलने से भी नहीं रोकती थी। कोई निर्झर को कभी कुछ समझाता, तो वो उल्टा उसे ही भला-बुरा सुनाने बैठ जाती।

निर्झर जब बड़ी हुई तो, आजकल के युवाओं की तरह वो भी twitter और  facebook में बहुत अधिक समय व्यतीत करने लगी। चंद दिनों में ही उसने अपने nature के according उसमें भी इस इस तरह की पोस्ट डालनी शुरू कर दी कि, सभी उसके अजीब से व्यवहार से परिचित हो गए। 

धीरे धीरे सच्चे हितैशी उससे दूर होते गए, और जिनको उसकी post से मसाला मिलता था, वो उसे उसकी इन हरकतों पर उकसाते गए, उसे retweet और like करते गए।

जानते हैं ये tick ओर click की दुनिया निर्झर को कहाँ ले जाएगी गलत फैसला-(भाग 2) में

Monday, 22 April 2019

Poem : Happy earth day


Happy earth day


pinterest


आज पुकारा है धरा ने
अपने सभी सपूतों को
क्या सुन सकते हो
करुण व्यथा तुम
मेरे मन के, भीतर की
है नीर नहीं, अब कुछ बाकी
अंदर, बाहर सूखी हूँ
सोच रहीं हूँ मैं बैठी  
कैसे हरियाली को सीचूंगी
भूख मिटाने अपने, बच्चों की
कब तक अपने को, खीचूंगी
तुम नर से, दानव बन बैठे
बना दिया मुझको बंजर
हर वृक्ष उखाड़ कर
तुमने बना लिए, कितने घर
गर कंकरीट की, दुनिया से  
तुम अपना नाता जोड़ोगे
तब नहीं रहेगी, प्राण-वायु
जीवन से नाता तोड़ोगे
मुझको अपनी परवाह नहीं
पर व्यथा तेरी, नहीं सह सकती  
देख तेरी बर्बादी का मंजर
अब मैं चुप, नहीं रह सकती
वृक्ष लगा, नीर बचा
यही जीवन की धारा है
जीवन अशेष पाने का  
यही लक्ष्य सारा है  

Thursday, 18 April 2019

Thanks a lot - कोटि कोटि धन्यवाद


Thanks a lot


The day is back, when we met at my blog ‘shadesoflife18’. An year back, my daughter, Advika, created and gifted me this blog, on my birthday. Though, each and every gift I have received till now are very valuable to me; but this one is the most special. So, the first thanks goes to my daughter, for gifting me such a platform. This gift is very close to my heart, as it has increased the number of my beloved peoples- MY READERS.

Today, I would like to thank all my readers, who didn’t only read the contents but also appreciated me. A big thanks to all who were with me for the whole year, who liked, commented, shared their views and also demanded for various posts. All those who have got connect to me through this blog are special. So, a humbly request to all of them to keep reading the blog.















In this year, I have posted 306 posts & have achieved a pageview count of more than 20,500. Although in the data you would be able to see only the top ten countries but in the total pageviews, not only India, but other countries like, United States, Portugal, Peru, Russia, Philippines, United Kingdom, Japan, Australia, Egypt, France, Pakistan, Romania, Canada, South Africa, Netherlands, etc., have also contributed largely.

Although in the times, when we get majority of content, which is forwarded, the blog is full of originality. Its credit goes to all my readers. Your appreciation and comments have always given me the power to keep writing. The comments that you write, not only motivate me to keep penning my thoughts; but also allows me to reach and interpret very different aspects and thinking levels.

I also insist those people, who haven’t yet shown their 
interest in any of my posts, to read any topical genre of their taste. There is a wide range of variety for the readers ranging from kids’ story to story of life, from articles to poems, from tips to recipes, from spirituality to festivals, from rituals & traditions to politics, from the past to future, from romance to horror, from nature to technology, etc.


In this blog, I have tried to splatter each and every colour of a common person’s life, through my own thoughts and interpretations. To me, thoughts seem to be such powerful that can change the time, the society. Thus, I would love to read your thoughts, which you can send me as mails with your content, on any genre, that can be posted. This would also, enhance the quality of our thoughts. It would be my pleasure to post your content on the blog with your name. You may have also observed that, i’ve posted some contents of other people, too. They are those who have sent the contents to me, through mail.

I wasn’t that able

to write in different genre,

but your support and appreciation

made me capable of that honour.

Loads of thanks to all my readers, once again.



कोटि कोटि धन्यवाद


आज फिर वही दिन आ गया है, जब हम और आप 
"shadesoflife18 blog" से जुड़े थे। आज के दिन मेरी बेटी अद्विका ने मेरे जन्मदिन पर मुझे इस blog को create करके मुझे gift किया था। यूँ तो मुझे मेरे अपनों ने हमेशा ही यादगार gift ही दिये हैं। पर इस gift ने मेरे अपनों की संख्या हजारों में और बढ़ा दी, अतः ये gift मेरी ज़िंदगी का सबसे बेहतरीन gift है। इसलिए आज सबसे पहला धन्यवाद अपनी बेटी के ही नाम।

आज मैं धन्यवाद देना चाहती हूँ, उन सब पाठकों का, जिन्होंने इस एक साल के सफर में मेरा साथ दिया। आप सब ने मेरी रचनाओं को ना केवल पढ़ा, बल्कि सराहा भी, कभी like करके, कभी comments  के द्वारा, कभी किसी पोस्ट की demand करके। वो सब जो मुझ से इस blog द्वारा जुड़ गए हैं, अब वो सब मेरे अपने हैं। और मेरी आप सब से करबद्ध प्रार्थना है, कि आप सब सदैव मेरा ऐसे ही साथ दीजिएगा।













इस एक साल में मैं 306 post लिख चुकी हूँ, और मेरे pageviews की संख्या 20,500 cross कर चुकी है। जिसमें India, के साथ साथ United States, Portugal, Peru, Russia, Philippines, United Kingdom, Japan, Australia, Egypt, France, Pakistan, Romania, Canada, South Africa, Netherlands, etc.... देशों के readers भी शामिल हैं।
इसमें आपको maximum viewer वाली top ten countries के data ही दिखाई देंगे।

आजकल जहाँ shared post का बोलबाला है, वहीं पूरे साल भर इस blog में आपको original post देखने को मिली हैं। और इस बात का भी पूरा श्रेय मैं अपने viewers को देना चाहती हूँ। आप सब से मिला सतत सहयोग मुझे निरंतर लिखने की प्रेरणा प्रदान करता है। और आपके लिखे हुए comments मुझे इस तरह से प्रेरित करते हैं, कि मेरी लेखनी स्वतः ही सब लिखती जाती है। अतः आप लोगों से मेरी हृदय से विनती है, कि आप अपने comments भी अवश्य डालें। जहाँ comments एक तरफ प्रेरणा प्रदान करते हैं, वहीं वे उचित लिखने में मेरा मार्गदर्शन भी करते हैं।

मेरा उन सबसे भी अनुरोध है, जिन्होंने अभी तक मेरी रचना में अपनी रुचि नही दिखाई है, आप सब भी एक बार अपनी पसंद के विषय की post, जिसमें बड़ों के लिए कहानी, बच्चों के लिए कहानी, कविताएं, भजन, लेख recipes, tips आदि हैं, को आप पढ़ सकते हैं। और मुझे इस बात का पूरा विश्वास है, कि अगर आप भी पढ़ेंगे, तो आप भी इस ब्लॉग से अवश्य जुड़ जाएंगे।

इस blog के माध्यम से मैंने जीवन के विभिन्न रंगों पर अपनी विचार धारा को आप सब के साथ साझा किया है। और मेरा मानना है कि विचार सर्व शक्तिमान होते हैं, उनमें समय को, समाज को बदलने की ताकत विध्यमान होती है। अतः आप सब से ये भी कामना है, कि आप मुझे अपने विचार भी “किसी भी विधा में” mail कीजिये, जिससे विचारों की धारा और प्रबल हो जाए। आपकी post मैं आपके नाम से post करूंगी। आपने देखा भी होगा मेरे अलावा कुछ अन्य लोगों की भी post इसमें हैं। वो उन लोगों ने मुझे mail की थी, जो उनके ही नाम से post की हैं।

नहीं थी किसी भी काबिल मैं,
कि विभिन्न विधाओं में लेखनी चलाती
नहीं चल सकती थी दो कदम भी
अगर आप सबका सहयोग ना पाती

एक बार फिर से आप सब का कोटि कोटि धन्यवाद।