Monday, 20 May 2019

Article : मैं भी हूँ वीरांगना


मैं भी हूँ वीरांगना  



सुबह हुई, सबके school, office जाने का समय हो रहा था। मच्छरदानी हटाई, कि अब सबको उठा दूँ, पर ये क्या? मच्छरदानी हटाते ही दुश्मनों की फौज ने हमला बोल दिया। मुझे चारों तरफ से घेर लिया था। कोई हाथ के पास था, तो कोई पैर के पास। पर मेरी बर्दाश्त ने साथ तब छोड़ दिया, जब वे मेरे चहरे के एकदम नजदीक आ गए।

तभी छुटकू का ध्यान आया, देखा बहुत से दुश्मनों ने तो अब तक उसे भी चारों तरफ से घेर लिया था। जब वो छोटा था, तब भी एक बार इन दुश्मनों ने बहुत बड़ा हमला उस पर कर दिया था, जिसको भूलते भूलते महीनों निकल गए थे।

पर आज नहीं, आज मुझ में वीरांगना का वास हो गया था।
दोनों हाथों में अपनी तलवार उठाई। और लगी ज़ोर ज़ोर से घुमाने, कभी खड़े-खड़े, कभी बैठकर, तो कभी लेटकर भी वार किए। वो सैकड़ों की संख्या में थे, और मैं अकेली।

पर फिर भी मेरे साहस के आगे, उनकी धड़ाधड़ लाशें गिर रहीं थीं। उनके इस तरह से गिरने से मेरे जोश में बहुत वृद्धि होती जा रही थी। और कुछ ही मिनटों के प्रयास से मैंने कुछ समय के लिए अपने दुश्मनों से निजात पा ली थी।

अगले दिन फिर से उनकी फौज खड़ी थी। अब तो मेरा रोज का सुबह-सुबह का यही काम हो गया था।

और सच मेरी तलवार से निकलती चट-चट की आवाज़, और मर-मर के गिरते मच्छर मुझमें ऐसी feeling भर देते हैं, जैसे मैं भी वीरांगना हूँ, और मच्छर रूपी दुश्मन से अपने परिवार की रक्षा कर रहीं हूँ।

पर इस काम के बाद मुझे तसल्ली हो जाती थी, कि आज मैं फिर अपने परिवार को चिकनगुनिया, डेंगू, मलेरिया, जैसी खतरनाक बीमारी वाले मच्छरों से बचा पायी।

और इस काम में मेरी तलवार (mosquito killer racket) साथ देती थी, जिससे बिना कोई chemical use किए मैं अपने परिवार को मच्छरों से मुक्त कर देती हूँ।


एक बार mosquito killer racket इस्तेमाल जरूर कीजिएगा, बिल्कुल तलवार वाली feeling आती है, वो भी आतिशबाज़ी के साथ। कसम से मज़ा आ जाएगा।