Thursday, 7 November 2019

Story Of Life : सुहागन या कुँवारी (भाग -3 )

Story Of Life  :  सुहागन या कुँवारी (भाग -3 ) 

Story Of Life  :  सुहागन या कुँवारी (भाग -1 ) और.... 

Story Of Life  :  सुहागन या कुँवारी (भाग -2 ) .... के आगे 



हाँ, हाँ जानती हूँ, पर अपने बेटे को यूँ हर रोज़ तिल तिल मारता हुआ भी नहीं देख सकती हूँ। फिर निकिता भी अनाथ है, उसे भी परिवार मिल जाएगा।

पर अनंत नहीं माना।

अनंत को यूँ घुलता, अंतहीन इंतज़ार करता देखकर अनंत की माँ ने बिस्तर पकड़ लिया। डॉक्टर भी उन्हें ठीक करने में नाकामयाब होने लगे।

एक दिन अनंत माँ को दवाई दे रहा था, तो वो बोलीं, अपनी माँ की अंतिम इच्छा भी पूरी नहीं करेगा?

माँ!.......

हाँ बेटा, मैं भी आरती को बहुत चाहती हूँ, पर वो तो, ना जाने और कितने दिन यूँ ही सोती रहेगी। मेरा भी अंत समय आ रहा है 

आरव भी छोटा है, उसको देखने वाला भी कोई होना चाहिए। 

मुझे निकिता से बेहतर कोई समझ नहीं आ रही है, मान जा मेरी बात। तुम्हें जीते जी खुश देख जाऊँगी, तो मुझे भी सुकून हो जाएगा, कि मेरे बाद, मेरे दिल के टुकड़े आरव और अमर को देखने वाला कोई है।

माँ की ज़िद के आगे, अमर ने शादी के लिए हाँ कर दी। 

निकिता को तो अमर और उसका परिवार दोनों ही 
पसंद थे, तो उसने भी हाँ कर दी।

दोनों का मन्दिर में सादगी के साथ विवाह सम्पन्न हो गया।

निकिता सभी बड़ों का आशीर्वाद ले रही थी, कि अमर का फोन बज उठा।

हैलो, Mr. अमर good news for you, आपकी wife coma 
से बाहर आ गयी है, और आपसे मिलना चाहती है। 

सुनकर अमर खुशी से उछल गया, माँ से बोला, मैं hospital जा रहा हूँ, आरती मुझे बुला रही है।  वो होश में आ गयी है, सारी बात अमर एक ही सांस में बोल गया। 

उसे उस समय होश ही नहीं था, कि अभी अभी उसने निकिता की मांग में सिंदूर भरा है। सारी बात बोलकर अमर, माँ और आरव का हाथ पकड़े hospital की ओर बढ़ चला।

अमर तो चला गया, पर निकिता वहाँ ठगी सी खड़ी रह गयी। 

वो जान चुकी थी, आज अमर का इंतज़ार तो खत्म हो गया था, पर उसका अंतहीन इंतज़ार शुरू हो गया था, क्योंकि अमर उसके पास अब कभी लौटने वाला नहीं था। 

उसे समझ ही नहीं आ रहा था, कि वो कुँवारी है या शादीशुदा, पर एक बात उसे अच्छे से समझ आ रही थी, कि वो एक बार फिर हमेशा के लिए अकेली हो गयी थी।