Monday, 25 November 2019

Poem : ख़्वाब


ख़्वाब 


वो रात थी हसीं, 
हर बात लाज़वाब।
आसमां से उतरे थे,
उस दिन दो आफ़ताब।।

हर फ़लसफ़ा डूबा था,
इश्क़  की चाशनी में।
हर ज़र्रा चमक रहा था,
हुस्न  की रोशनी में।।

हर एक नजर,
बस वहीं टिकी थी।
धड़कनें भी सबकी,
उस क्षण रुकीं थी।।

वो पल ही धरती का,
स्वर्ग‌ बन गया था।
जब आपके दिल से,
मेरा दिल मिल गया था।।

आज भी जब यह दिन,
मेरी ज़िन्दगी में आता है।
हर लम्हा मेरा, बहुत ही,
खूबसूरत बन जाता है।।

आज  भी यक़ीन नहीं, 
होता है इस दिल को।
जो था इतना लाज़वाब,
वो सच था, या ख़्वाब।।

आज मेरी शादी की सोलहवीं सालगिरह है, और आज की मेरी यह कविता अपने जीवन साथी को  नज़र !

और उन सब को भी जिनको अपनी शादी हसीं ख़्वाब नज़र आती है। 

शादी की सालगिरह की हार्दिक शुभकामनाएँ!!