Wednesday, 29 January 2020

Short Stories : हम अमीर हैं



हम अमीर हैं


रंजना की शादी, एक फल बेचने वाले से हुई थी। वो इस बात से हमेशा कुढ़ती रहती, कि उसके पिता ने कैसे इंसान से उसकी शादी कर दी है, जो दो वक़्त की रोटी भी नहीं खिला पाता है।


आए दिन उनको दिन में फल खाकर ही रहना पड़ता था।

रंजना का एक बेटा था, जिसका उसके पिता ने बड़े प्यार से सफल नाम रखा था। इस बात के लिए भी रंजना अपने पति को सुनाती रहती थी। 

केवल नाम रखने से कोई सफल नहीं हो जाता है, अगर ऐसा होता तो मैं अपना नाम लक्ष्मी रख लेती।

रंजना कभी भी खुश नहीं रहती, हमेशा भुनभुन लगाए ही रहती थी।

सफल अपने नाम सा ही, अपने स्कूल का सबसे सफल बच्चा था।वो पढ़ाई-लिखाई के साथ ही खेलकूद में भी सबसे आगे था। साथ ही वो कभी बीमार भी नहीं पड़ता था।

एक दिन स्कूल से लौट कर सफल माँ की बाँहों में झूल गया, वो आज बहुत खुश था। उसने माँ से कहा, माँ मैं अपने स्कूल में सबसे अमीर हूँ।

अमीर! क्या बोल रहा है, रे सफल?

हाँ माँ, आज टीचर हमे फलों के बारे में बता रही थीं। उन्होंने कहा, फल बहुत ही पौष्टिक होते हैं। इन्हें खाने से हम स्वस्थ और ताकतवर होते हैं। पर आज कल फलों के बढ़ते भाव के कारण, ये सिर्फ अमीर लोगों की पहुँच तक ही रह गया है। कितने लोगों को फल खाने को नसीब नहीं होते हैं,  इसके ही कारण संसार में बीमारियाँ बढ़ती जा रही हैं।

माँ, हम लोग तो रोज़ दिन के खाने में फल ही खाते हैं, इसलिए बीमार भी नहीं पड़ते हैं। तो हम हैं ना अमीर!

सफल अपनी मासूमियत में रंजना को समझा गया था, कितने हैं, जिनको खाना तक नसीब नहीं होता है, फिर कोई फल खाने के सपने क्या देखे, जिसके भाव आसमान छू रहे हैं।

रोज़ भले ही बचे हुए या सड़े-गले फलों को छाँट कर ही सही, पर वो रोज़ एक time अलग अलग तरह के फल खाते हैं, शायद एक time फल खाने के कारण ही वो हष्ट-पुष्ट हैं, स्वस्थ हैं। कभी उनमें से कोई बीमार नहीं पड़ता है।

उस दिन के बाद से कभी रंजना ने भुनभुन नहीं की, क्योंकि वो समझ गयी थी, भगवान ने सबको अमीर बनाया है। बस हम समझ ही नहीं पाते हैं।

सफल अपनी माँ को समझाने में सफल हो गया था, कि हम अमीर हैं।