Friday, 14 February 2020

Poem : एक पुष्प वीरता के नाम


एक पुष्प वीरता के नाम


कुछ पुष्प ले चला 
मैं महबूबा के वास्ते
ना जाने कैसे, कब पहुंच गया
पुलवामा के रास्ते
लहू अभी भी गाढ़ा वहां था
वतन के लिए वीर का
शव गिरा जहां था
कदम मेरे थमे, तो उठ ना सके
आंसू अनवरत बहे, रुक ना सके
ओ मोदी, तुमने यह क्या कर दिया
एक प्रेमी को, देशप्रेमी कर दिया
एक पुष्प भी ना, मेरे हाथों में रुके
जो अंजलि में थे, पुष्पांजलि बन चुके
दिल से निकली, बस एक ही आवाज है
देश के काम आ सकूं, तो मौत पे भी नाज़ है
बहुत मना चुके, वैलेंटाइन डे
अब हम से ना मनेगा,
हर साल वीरों की शहादत को,
इस  दिन, देश याद करेगा



पिछले साल वेलेंटाइन डे के दिन, जब पूरे देश में प्रेम के इस दिन को हर्षोल्लास से मनाया जा रहा था, उसी दिन आतंकवादी संगठन ने पुलवामा में हमारे वीर सेनानियों पर बम विस्फोट कर दिया था, जिसके फलस्वरूप 40 वीर सेनानी शहीद हो गए थे।

आज़ की मेरी यह कविता उन्हीं वीर सेनानियों को सच्ची श्रद्धांजलि है।💐💐