Wednesday, 19 February 2020

Stories of Life: कोकिला (भाग - 5)

कोकिला (भाग -1),...

एक दिन भास्कर के पास एक doctor आए, वे बोले, मैं आपकी आँखों का operation कर सकता हूँ।

सुनकर कोकिला बहुत डर गयी, अगर भास्कर देखने लगे, तो मैं उन्हें beautiful नहीं लगूँगी। वो मुझसे नफरत करने लगेंगे, उन्हें भी मैं भूतनी लगूँगी। उसने बहुत कोशिश की कि operation ना हो। पर वो कामयाब नहीं हुई।

Operation भी हुआ, successful भी हुआ। operation के बाद भास्कर ने सबसे पहले कोकिला को बुलाया, कोकिला बिल्कुल जाना नहीं चाह रही थी, एक तो वो भास्कर को अपना चेहरा नहीं दिखाना चाहती थी, दूसरा वो इस ग्लानि से भी मरी जा रही थी, कि अपने स्वार्थ के चलते वो भास्कर को पूर्ण नहीं होने देना चाहती थी।

पर भास्कर की बेहद जिद्द के आगे उसे जाना पड़ा, जैसे ही कोकिला room में आई, भास्कर एक अँगूठी के साथ बैठा था। कोकिला को देखते ही बोला, मुझसे शादी करोगी beautiful girl?
मैं तुम्हें बहुत पहले से चाहता था, पर तब मैं पूर्ण नहीं था, क्योंकि मैं देख नहीं सकता था, तो बोझ नहीं बनना चाहता था, आज ठीक हूँ, तो पूछ रहा हूँ।

कोकिला तो गड़ी जा रही थी, कि एक वो है, जो उसे पूरा नहीं होने 

देना चाह रही थी, और एक भास्कर है, कितना निश्चल।

मैं कुरूप तुम्हारे लायाक नहीं हूँ। कोकिला ने ग्लानि से भरकर कहा।

किसने कहा, तुम कुरूप हो, मेरी नज़र से देखो, तुम कितनी सुरीली हो, मैंने तुम्हारे चहरे से तो कभी भी प्यार नहीं किया था।
नहीं मैं मन से भी खराब हूँ, मैं नहीं चाहती थी, कि आप कभी देख सकें, और जान सकें कि मैं, कितनी बदसूरत दिखती हूँ।

उसमें भी गलती नहीं है, तुमने मुझे चाहा ही इतना था, कि किसी भी सूरत में मुझे खोना नहीं चाहती थी। जब तुम मुझे अधूरे होने पर भी प्यार कर सकती हो तो, मैं तुम्हें प्यार क्यों ना करूँ।

हाँ, आपने सही कहा था, मैं आपको कभी खोना नहीं चाहती थी। और कभी आप से दूर भी नहीं रहूँगी, कहकर वो भास्कर के गले लग गयी।