Monday, 28 September 2020

Kids story : दीदी

दीदी



कुसुम की दो बेटियां थी, सरला और चंचला। दोनों ही अपने नाम के अनुरूप थीं।

कुसुम लोगों के घरों में घर बर्तन का काम करती थी। उसने सभी बड़े बड़े घरों में काम पकड़ा था।

तो आए दिन, नये से कपड़े और अच्छा अच्छा खाना उसे मिलता रहता था।

कुसुम ऐसे कपड़े ज्यादा लेती थी, जो सरला को आ जाएं, क्योंकि जब वो छोटे होते, तो चंचला के आ जाते थे। इससे होता यह था कि एक बार के एहसान से उसकी दोनों बेटियों के कपड़े हो जाते थे।

पर यह बात चंचला को बिल्कुल नहीं भाती थी। वो नहीं जानती थी कि माँ दूसरे घरों से कपड़े लाती है, वो सोचती माँ, सिर्फ दीदी के लिए नए कपड़े लाती है, मुझे तो हमेशा दीदी के पुराने कपड़े मिलते हैं। वो अपनी दीदी से बहुत चिढ़ती।

जब सरला  16 साल की हो गई, तो उसके मन में इच्छा हुई, वो कुछ ऐसा करें, कि माँ को घर घर काम ना करना पड़े।

उसने पता किया, कि एक पार्लर में 5 हजार का course कराने के बाद वहीं काम करने का मौका भी मिल जाता है।

सरला के सपने बड़े थे, उसने सोचा पार्लर का काम सीख कर वो खुद का पार्लर खोल लेगी।

पर माँ के पास इतने पैसे नहीं थे। तो सरला की माँ ने कहा, कुछ महीने का दिनभर का काम कर लो। पैसे जोड़ लेना, तो अपने सपने भी पूरे कर लेना।

सपना ने दो महीने के लिए काम पकड़ लिया, अब वो घर में नहीं रहती थी।

चंचला इस बात से बहुत खुश थी, अब माँ सब मेरे लिए ही लाएगी।

इधर कुसुम को कपड़े नहीं मिल रहे थे।

दिन गुजरते गये, चंचला की Birthday आने वाली थी, वो माँ से बोली, एक हफ्ते पहले ही बता दें रही हूँ, मुझे नयी frock चाहिए। हमेशा ही दीदी के छोड़े कपड़े पहने हैं, उस दिन नहीं पहन सकती।

माँ ने एक घर से अच्छी सी frock मांग ली। Frock देखकर चंचला बहुत खुश हुई।

वो अपनी birthday वाले दिन, इतराती हुई frock पहन कर उसी appartment में चली गई, जहाँ से माँ वो frock लायी थी।

सारे बच्चों ने उसका बहुत मज़ाक उड़ाया, और कहा, यह तो birthday में भी दूसरों के दिए हुए कपड़े पहनती है।

उसे आज पहली बार पता चला कि दीदी भी कभी नये कपड़े नहीं पहनती थी, उसका दिल टूट गया,वो रोती रोती घर आ गई।

सरला दो महीने बाद, आज वापस आ गई थी। चंचला को रोता देखकर  सरला बोली, माँ जहाँ जहाँ भी काम करती हो, उन सारे बच्चों को बोल देना आज़ हम शाम को चंचला की Birthday करेंगे, सब आ जाएं।

क्या बोल रही हो सरला, वो सब बहुत अमीर हैं, कोई नहीं आएगा। और अगर आ गये, तो हमारी गरीबी का बहुत मज़ाक उड़ाएंगे।

कोई नहीं उड़ाएगा, बस बुला लेना सबको, यह कहकर वो, चंचला को लेकर घर से निकल गई।

2 घंटे बाद दोनों लौटे तो उनके हाथ में बहुत सारे packets थे।

शाम को सारे बच्चे आ गये। चंचला बहुत सुन्दर red frock, red shoes और सब पहनकर बिल्कुल लाल परी लग रही थी।


Party में cake, pizza, burger and cold drink सब थे। सारे बच्चे चंचला और party की बहुत तारीफ करते हुए चले गए। चंचला बहुत खुश थी।

जब सब चले गए, चंचला अपनी dress change करने चली गई।

माँ, सरला से बोल रही थी, बेटा तुमने कितनी मेहनत से पैसे कमाए थे, अपने सपने के लिए, वो सब टूट गए।

सरला बोली, माँ सपने की टूटन से दिल की टूटन ज्यादा चुभती है। आज जो चुभन चंचला को हुई है, वही चुभन मैंने बहुत बार महसूस की है।

सपने के लिए,  मैं कल से फिर चली जाऊंगी, पैसे भी आ जाएंगे। पर मेरी छोटी का दिल आज ही जुड़ना ज़रुरी था।

चंचला, सब अन्दर से सुन रही थी, उसकी दीदी उसे कितना प्यार करती है, उसके लिए उसने अपना सपना तोड़ दिया। 

जबकि चंचला उससे हमेशा चिढ़ती थी,  सरला का उसे छोटी बोलना..... तो उसे बर्दाश्त ही नहीं था।

पर आज उसे अपनी दीदी, माँ से भी ज्यादा अच्छी लग रही थी। वो रोती हुई सरला से चिपक गई।

क्या हुआ छोटी? अब क्यों रो रही है?

दीदी आप बहुत अच्छी हैं, मुझे बहुत प्यार करती हैं, अब मैं कभी किसी बात की जिद्द नहीं करुंगी, आप का सपना जल्दी पूरा होगा। पर मैं अब आप से दूर नहीं रहना चाहती हूँ। आप को अपने काम से हर रविवार की छुट्टी लेनी होगी।

सरला ने कहा, बिल्कुल छोटी। पहले रोना बन्द करो, मैं तुम्हें रोते हुए नहीं देख सकती।

चंचला बोली, मेरी दीदी सबसे best. फिर दोनों खिलखिलाने लगीं।