Friday, 16 October 2020

Stories of Life : जिन्दगी और मो‌क्ष (भाग -2)

जिन्दगी और मो‌क्ष (भाग -1) के आगे........

जिन्दगी और मो‌क्ष (भाग -2) 


 मुझे मेरी जिन्दगी वापस दे दीजिए।

यह तुम क्या कह रहे हो? सभी मोक्ष की कामना करते हैं।

जीवन पर्यन्त साधना करते हैं, तब भी बहुत बार कुछ त्रुटि रह जाने के उन्हें मोक्ष‌ नहीं मिलता है।

कितने तो जानते ही नहीं हैं कि मोक्ष प्राप्ति का सही मार्ग क्या है।

बहुत से लोग, सभी कर्तव्यों से विमुख होकर, केवल ईश्वर भक्ति में लीन रहते हैं।

जबकि मोक्ष उन्हें मिलता है, जिसने अपने कर्तव्यों का निर्वाह पूर्ण रूप से किया हो। जिसने जीवन भर सत्य प्रेम और सदाचार का पालन किया हो। सदैव दूसरों को सुख प्रदान करने का प्रयास किया हो।

तुम सौभाग्य शाली हो कि तुम्हें मोक्ष मिल रहा है।

हे ईश्वर, आप जिन्हें ऐसे मोक्ष की कामना है, उसे मोक्ष दे दीजिए।

मुझे तो आप जीवन ही प्रदान कर दीजिए।

क्यों, आखिर क्यों है, तुम्हें उस जीवन की कामना?

जिसमें दुःख-दर्द, हार, अंधकार  भरा हुआ है।

हे ईश्वर आप जिसे परमानंद कह रहे हैं, वो मेरे लिए त्रासदी है। जहाँ मेरे अपने ना हों, देखने के लिए सपने ना हो, कुछ खोने पाने की पीड़ा  और उत्साह ना हो, जहाँ ना भूत हो ना भविष्य। ऐसी स्थिति में रहकर क्या करुंगा?

आप मुझे जीवन ही प्रदान कर दीजिए, जीवन्त रहना ही मेरा मोक्ष है।

मुझे नहीं है, कामना कि ज़िन्दगी सिर्फ सुख से भरी रहे, कुछ दुःख ही सुख का अहसास कराते हैं। क्योंकि जब तक थकान नहीं होगी तब तक तो नींद भी नहीं आएगी।

आप अगर मुझ से प्रसन्न हैं तो इतना कीजिएगा कि मैं कभी जिन्दगी से हार ना मानूं, सदैव साकारात्मक रहूँ।

अपने सारे कर्तव्यों का पालन दृढ़ता से कर सकूं।

अपने माता-पिता की सेवा कर सकूं।

अपने जीवन साथी को संतुष्ट रख सकूं

अपने बच्चों की सारी जिम्मेदारी पूरी कर सकूं, उनके सारे सपने पूरे कर सकूं।

अपने सभी रिश्तेदारों और मित्रों को प्रसन्न रख सकूं।

जो किसी भी तरह से असहाय हैं, उनकी मदद कर सकूं।

कुछ भी ऐसा ना करूं कि किसी को मेरे होने से दुख हो।

ईश्वर हंसने लगे, बोले यही तो मोक्ष का द्वार है।

जिसने जिन्दगी को ही मोक्ष की स्थिति बना रखी हो, वो तो जहाँ हैं, वहीं वो परमानन्द की स्थिति में है।

जाओ मैं तुम्हें जीवन प्रदान करता हूँ, एक ऐसा जीवन जिसमें जिन्दगी भी है और मोक्ष भी।