Monday, 16 November 2020

Poem : रुचना कर देना

आज भाईदूज के पावन पर्व पर, सारी सृष्टि को कहा है कि मेरे भाईयों के जीवन में खुशहाली, सुख समृद्धि व यश कीर्ति रहे, वो चिरायु रहें। और सारे भाई- बहन प्रेम से रहें।


रुचना कर देना 




ओ सूरज तुम, 

चमक बाद में लेना।

पहले मेरे भाई के,

रुचना कर देना।

अपनी सी यश कीर्ति,

उसके नाम भी कर देना।।


ऐ धरती तुम,

घूम बाद में लेना।

पहले मेरे भाई के,

रुचना कर देना।

अपनी सी सम्पन्नता, 

उसको भी दे देना।।


ऐ चांद जरा तुम भी,

 सुन लो।

पहले मेरे भाई के,

रुचना कर देना।

अपनी सी शीतलता,

उसके मन में भर देना।।


मैं तो जा ना सकी उस तक,

तुम सब जाकर, यह कर देना।

हंसी, खुशी, सुख समृद्धि से,

उसका जीवन भर देना।।


पर याद रहे, एक बहन ने,

जो रुचना - स्नेह भेजा है संग।

हर काम करने से पहले,

तुम सब उस को कर देना।।


सूना ना रहे माथा उसका,

उसको चिरायु कर देना।

सबसे पहले जाकर,

मेरे भाई के रुचना कर देना।।