Wednesday, 18 November 2020

Story of Life : दस्तक

दस्तक



निखिल, office से आते ही नेहा से बोला- ready हो जाओ, आज तुम्हें वो चीज दिला कर लाता हूं, जिसकी तुम्हें कितने दिनों से चाह थी।

किस चीज की बात कर रहे हो?

बच्चों को भी ready होने को बोल दिया है?

नहीं, अभी उनको नहीं ले चल रहा हूं, तुम्हें अच्छा लगेगा तो इन्हें भी ले चलेंगे।

अरे, कहाँ चलना है, क्या दिलाना है, वो कुछ बताओगे?

लौटने में कितना समय लगेगा?

समय ज्यादा नहीं लगेगा, तुम्हें तुरंत पसंद आ जाएगा।

बस जल्दी से ready हो जाओ।

नेहा को समझ नहीं आ रहा था कि ऐसा भी क्या दिलाना है निखिल को, जो इतना उतावला हुआ जा‌ रहा है।

यही सब सोचते हुए वो ready होने लगी।

जाने से पहले उसने बच्चों को बोला कि वो लोग जल्दी आ जाएंगे।

घर पर सावधानी व प्रेम पूर्वक रहना।

अपनी बेटी चारू से बोली, snacks box में बहुत सारे biscuit, cake, chips, etc.... रखें हैं, भूख लगे तो खा लें।

सोनू के साथ खेलती रहना, अगर वो ज्यादा परेशान हो रहा हो तो उसकी हम से बात करा देना।

हालांकि वो जानती थी कि बच्चे, उन लोगों के आए बिना जल्दी कुछ नहीं खाते थे। पर फिर भी वो हिदायत दे रही थी।

वो और निखिल bike से चले जा रहे थे। चलते चलते वो थोड़ा नहीं, बल्कि  बहुत दूर आ गये थे, रास्ता भी कच्चा पक्का सा था,तो  दूरी और ज्यादा समझ आ रही थी।

आगे पढ़े, दस्तक (भाग -2) में.....