Monday, 30 November 2020

Poem : देव दीपावली व प्रकाश पर्व

 देव दीपावली व प्रकाश पर्व




देव दीपावली की,

महिमा अजब निराली।

काशी नगरी की इसमें,

छटा देखने वाली।।


दीप से दीप जले हैं ऐसे,

मानो चांद, जमीं पर आया।

रोशनी प्रज्वलित हुई है ऐसी,

तिमिर नहीं कहीं पर छाया।।


विष्णु जी ने मत्स्य रुप धर,

धरती को प्रलय से बचाया।

मत्स्यावतार के कारण ही,

जीवन का अस्तित्व रह पाया।।


त्रिपुरासुर का वध कर,

महादेव त्रिपुरारी कहलाए।

प्रसन्न हो देवता, काशी में,

 देव दीपावली मनाने आए।।


नानक जी के अमृत वचनों से,

जीवन सार समझ में आया।

पृथ्वी पर अवतरण उनका,

तभी, प्रकाश पर्व कहलाया।।


आइए दीप से दीप जलाकर,

हम देव दीपावली मनाएं।

नानक जी के वचनों से,

जीवन में प्रकाश लाएं।।


आप सभी को देव दीपावली व प्रकाश पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ 🙏🏻💐🕉️