Wednesday, 3 February 2021

Kids story : सब कुछ बताना और पूछ्ना

 सब कुछ बताना और पूछ्ना




सूरज बहुत ही मेहनती और समझदार बच्चा था। उसके पिता सुरेश दूसरों के खेत पर काम करते थे। सूरज उनके साथ रोज काम करने जाता था। साथ ही रात को school पढ़ने जाता था।

एक दिन सूरज के महेश चाचा, शहर से किसी काम के सिलसिले में आए थे। 

सुबह काम खत्म करके महेश, जब सूरज और अपने भाई के साथ खाना खा रहा था तो, उन्हें बातों के जरिए पता चला कि सूरज पढ़ने में बहुत होशियार है और साथ ही बहुत आज्ञाकारी भी।

महेश ने कहा- सुरेश दद्दा, कब तक गांव से बंधे रहोगे, ना तो अपने खेत खलिहान हैं, ना घर मकान। फिर तुमने जो क़र्जा लिया था, भाभी के इलाज के लिए, वो भी पट गया है। मेरे संग शहर चलो, वहाँ एक कमरा तुम भी ले लेना।

सूरज थोड़ा बड़ा भी हो गया है और होनहार भी बहुत है, इसका यहाँ कोई भविष्य नहीं है।

शहर में तुम दोनों मिलकर मेहनत मजदूरी कर लेना, तो दोनों की गुजर हो जाएगी।

रात में सूरज सरकारी स्कूल में पढ़ लेगा, भगवान ने चाहा तो कुछ बन जाएगा।

भाई की बात, सुरेश को सही लगी। सूरज की माँ के जाने से घर भी काटने को आता था।

सुरेश और सूरज दोनों शहर आ गये। महेश ने कमरा और काम दोनो दिलवा दिए, साथ ही सूरज का night school में admission भी करा दिया।

सूरज होनहार था, बहुत जल्दी वो अपने school में first आने लगा।

वहाँ के एक अध्यापक को सूरज बहुत अच्छा लगने लगा, वो बोले, बेटा तुम बहुत होशियार हो, night school की जगह तुम सुबह के school में आना शुरू कर दो। और काम रात में कर लो।

सूरज बोला, पापा से पूछकर बताऊंगा।

वो बोले, तुम्हारे पापा क्या करते हैं?

वो बोला, जी मजदूर हैं।

मजदूर......, तो वो तुम्हे क्या बता पाएंगे? जब वो खुद पढ़े-लिखे नहीं है।

सूरज बोला सर जी, मैं अपने पापा को सब कुछ बताकर और पूछकर ही करता हूँ।

बहुत अच्छा है, तुम पूछकर बता देना।

सूरज ने अपने पापा से कहा, कि उसको teacher जी, बोल रहे हैं कि, वो अब से दिन का school और रात में काम करना शुरू कर दें। 

तो क्या वो ऐसा कर ले?

सुरेश बोला, बेटा मैं कहाँ पढ़ा-लिखा हूँ।  teacher जी अच्छे के लिए बोल रहे हैं, तू कर ले, उनका कहा।

सूरज ने teacher को बता दिया। तब से उसने सुबह पढ़ना और शाम को काम करना शुरू कर दिया।

होनहार सूरज, आगे ही आगे बढ़ता गया, पर वो जो कुछ भी करता, तो अपने पापा से अपनी सारी बात उन्हें बताकर और पूछकर करता।

सुरेश हमेशा कहता, बेटा मैं कहाँ पढ़ा-लिखा हूँ। अब तो तुम्हें मुझसे ज्यादा समझ है, हर बात की, तुम समझ लो, क्या करना है।

पर सूरज ना पूछ्ना छोड़ता, ना बताना। और काम भी वही करता, जिसमें उसे पापा, हाँ करते।

बेटे की आदत के कारण सुरेश अपनी समझ से कभी हाँ और कभी ना कर देता।

सूरज IAS officer बन गया। बहुत से Newspapers वाले उसका interview लेने आए, सबने उसकी सफलता का कारण पूछा।

उसने सबसे कहा, मैं अपनी सारी बातें अपने पापा को बताता था और पूछता था कि क्या करूं। वो जो भी कहते थे, मैं वहीं करता था। तो आज मैं जो कुछ भी हूँ, उनके कारण हूँ।

Newspaper वालों को जब पता चला कि सूरज के पिता जी अनपढ़ हैं और मामूली से मजदूर हैं तो उन्हें बड़ा आश्चर्य हुआ कि इतना बड़ा officer अपने पिता जी को कितना मान देता है।

अगले दिन अखबारों की सुर्खियों में था, IAS officer सूरज की सफलता का राज उनकी मेहनत, लगन और अपने पिता जी पर पूर्ण श्रद्धा और विश्वास है।

सभी को सफलता प्राप्त करना है तो अपने माता-पिता को सब कुछ बता कर और पूछकर करें। ऐसे लोगों पर ईश्वर जल्दी कृपा करते हैं और उन्हें जल्दी सफलता मिलती है।