Monday, 28 February 2022

Article : दम है मेरे मोदी जी में

दम है मेरे मोदी जी में...

आज फिर सीना गर्व से चौड़ा हो गया, आज फिर अपने चयन पर नाज़ है। 

पुतिन, जो आज किसी की नहीं सुन रहे हैं। America, Britain जैसे बड़े-बड़े देश, रूस के आगे घुटने टेक रहे हैं। वहीं Russia, India का साथ दे रहा है।

Ukraine, जो आज से 24 साल पहले भारत के विरोध में प्रदर्शन करता था। 2014 से पहले तक भारत को हिकारत भरी नजरों से देखता है, आज भारत से शांति की अपील करवाने के लिए घुटनों पर बैठ गया है।

आज पूरे विश्व में सबको विश्वास है कि, सम्पूर्ण विश्व में कोई प्रधानमंत्री सबसे अधिक शक्तिशाली है तो वो भारत के मोदी जी हैं। सबका एक मत से कहना है कि विश्व में शांति कोई कायम करा सकता है तो वो सिर्फ और सिर्फ मोदी जी हैं। क्योंकि मोदी जी ने कहा है कि यह प्रभु राम का देश है, यह श्रीकृष्ण का देश है... हमारा युद्ध का नहीं बुद्ध का देश है। पर कोई अगर टेढ़ी नजर करने की सोचेगा भी तो यह आज़ाद और बोस का देश है। जो भक्ति से परिपूर्ण है और शक्ति से ओत-प्रोत..

क्या जो पूरा विश्व मानता है, आप भी वही मानते हैं?

आपका तो नहीं पता पर मुझे पूर्ण विश्वास है कि मोदी जी हैं तो मुमकिन है।

अफ़ग़ानिस्तान में क्रुर तालिबानी, जिनसे सब थर-थर कांप रहे थे। गोली-बारूद चल रहे थे, वहाँ से मोदी जी ने अपने भारतीयों को सुरक्षित निकाला था। साथ ही वहाँ से गुरु ग्रंथ साहिब भी सुरक्षित मंगवा लिया था।

आज जब Ukraine में सब स्वाहा हो रहा है। जहांँ jets गरज रहे हैं, missiles आग उगल रहे हैं, गोलियों की बौछार हो रही है, tanks और fighter planes पूरे शहर-भर में घूम रहे हैं।

वहाँ हमारे तिरंगे के साथ की कारें, बस और घर सुरक्षित हैं। तिरंगा झंडा वहाँ सुरक्षा का पर्याय बन चुका है।

ऐसा प्रतीत हो रहा है, जैसे लंका में हनुमान जी द्वारा लंका दहन के समय एकमात्र विभीषण का घर सुरक्षित था, वैसे ही स्वाहा होते Ukraine में सुरक्षित हैं तो केवल वो जिनके पास हमारा तिरंगा झंडा है।

क्या यह किसी गर्व से, किसी सम्मान से कम है?

वैसे मुझे पूर्ण विश्वास है आप कहें कुछ भी, पर मन ही मन आप भी मोदीजी के महत्व को समझते हैं, उनका मान करते हैं, और चाहते हैं कि वो ही हमेशा हमारे भारत की बाग-डोर संभालें रखें।

आज देश कोई भी हो, अगर आप भारतीय हों तो आप सुरक्षित हैं, फिर चाहे पाकिस्तान में फंसे अभिनंदन हों, चीन में फंसा मामूली इंसान, तालिबानियों के बीच अफगानिस्तान में फंसे भारतीय नागरिक या Ukraine में फंसे Indian students. सब सुरक्षित रहेंगे और पूर्णतः सुरक्षित अपनी धरती पर आएंगे।

और कितना सबूत चाहिए? और कितनी परिक्षाएं देनी होंगी?.....

कि BJP से बढ़कर और कोई राष्ट्रीय party नहीं है जो भारत देश का सर्वांगीण विकास कर के उसे प्रथम श्रेणी में ले जाए।

जो पूरा विश्व समझ गया, जिसे एक स्वर में सब मान रहे हैं, उसे आप कब मानेंगे?

दम है मेरे मोदी जी में, सशक्त है हमारा तिरंगा....

तिरंगे में लिपटे बलिदानियों का इतिहास सब जानते हैं।

तिरंगा लहरा कर, जान बचाने के वर्तमान का आनन्द लीजिए..

आप सबसे निवेदन है कि BJP को सदैव विजयी बनाएं और हमारे भारत देश को सर्वप्रथम‌।।

जय हिन्द जय भारत 🇮🇳

Note : BJP को support करने में मेरा कोई स्वार्थ नहीं है, मैं एक राष्ट्रभक्त हूँ। 

BJP की विचारधारा राष्ट्रवादी विचारधारा है, इसलिए मैं उसका support करती हूँ।

Saturday, 26 February 2022

Article : राष्ट्र हित या निज हित

राष्ट्र हित या निज हित...



चुनाव का दौर है, कहीं योगी, कहीं अखिलेश का शोर है।

योगी जी की सरकार को कुछ लोग इसलिए वोट नहीं देना चाहते हैं क्योंकि उन्हें सरकारी नौकरी नहीं मिली, तो वहीं कुछ सरकारी नौकरी वाले इसलिए कुपित हैं कि सरकारी नौकरी में हद का काम कराया जा रहा है और छुट्टियां कम कर दी गई हैं।

बहुत से लोगों ने सरकारी नौकरी join ही इसलिए की थी, जिससे ज़्यादा काम ना करना पड़े, साथ ही बहुत सारी छुट्टियों के साथ जीवन सरलता से कट जाए।

तो कोई अखिलेश की pension योजना के लालच में उलझ गया है। 

अपने स्वार्थ, आलस और कामचोरी के चलते, निज हित की खातिर इन लोगों ने राष्ट्र हित को दांव पर लगा दिया है।

पर सरकारी नौकरी में कार्यरत लोग और सरकारी नौकरी की चाहत रखने वाले, ऐसे लोग भी हैं, जिन्होंने BJP को ही वोट दिया है।

ऐसे लोगों से जब पूछा कि, आप भी तो सरकारी नौकरी कर रहे हैं, तो क्या आप को कष्ट नहीं हो रहा है?

उनका कहना था कि, बिल्कुल कष्ट हो रहा है।

तब BJP ही क्यों?

उनका जवाब था, राष्ट्र वाद और हिंदुत्व के लिए। उन्हें अपने निज हित से राष्ट्र हित अधिक प्रिय है। ऐसे लोगों को दंडवत प्रणाम 🙏🏻

साथ ही उन्होंने, यह भी कहा कि मोदी जी और योगी जी से बेहतर, कोई देश नहीं चला सकता है। इनके जैसा ना पहले कोई आया, ना आगे आएगा। 

सही तो कह रहे हैं वो लोग जिन्होंने BJP को vote दिया है, क्योंकि BJP के आने के बाद से, देश से गुंडागर्दी खत्म होती जा रही है और सुरक्षा बढ़ती जा रही है। देश में चौतरफा विकास हो रहा है।

कोरोना काल का इतना कठिन समय, BJP की सूझबूझ और कर्तव्य निष्ठा से सरलता पूर्वक निकल जा रहा है। इतने कठिन समय में भारत vaccine producer के रूप में पूरे विश्व के सामने आएगा, इसकी कल्पना किसी ने भी नहीं की थी।

कभी सोचा भी नहीं था कि हम आश्रित देश से दाता देश,  ऐसे कठिन दौर में भी बन जाएंगे।

ना केवल vaccine में बल्कि weapons के production में भी भारत आगे निकलता जा रहा है। उसका ही नतीजा है कि आज भारत सुदृढ़ देश बन चुका है और किसी भी दुश्मन देश की हिम्मत नहीं हो रही है कि वह भारत का अनिष्ट सोच सके। 

जिन्हें अधिक काम करने से परेशानी है, और निज हित की लालसा है उनसे हमारा यह भी कहना है कि यही सोच अगर हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी जी भी रखते, तो ना ही हमारा देश सुरक्षित होता और ना ही विकास की ओर अग्रसित होता।

तब शायद हमारे देश की हालत भी, Afghanistan, Hong-Kong और Ukraine जैसी ही होती।

अगर काम देश की जनता को ज़्यादा करना पड़ रहा है तो याद रखियेगा, आराम हमारे प्रधानमंत्री जी और मुख्यमंत्री जी भी नहीं कर रहे हैं या बल्कि यूं कहा जाए कि वो, हम से कहीं अधिक काम कर रहे हैं वो भी बिना विश्राम के, अनवरत कर रहे हैं।

वैसे भी अगर आप सोचेंगे तो आप को भी एहसास होगा कि किसी भी कार्य की सफलता के लिए अधिक परिश्रम ही करना पड़ता है।

और जिस तरह से एक के बाद एक देश अपना अस्तित्व खो रहे हैं, उसे देखकर यही लगता है कि अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए यह बहुत आवश्यक है कि देश सुदृढ़ हाथों में रहे। जिससे सुरक्षित भी रहे और विकसित भी।

अतः उन सभी से अनुरोध है, जिन्हें अभी वोट डालना है, वह सोच समझ कर वोट डालें। निज हित से राष्ट्र हित को ऊपर रखें। क्योंकि अंततः हमारे हित भी तभी पूर्ण होंगे, जब देश का हित होगा।

अंत में सिर्फ इतना कहना है कि.........

पृथ्वीराज चौहान से अगर कुछ नाराज़गी भी है तो भी विकल्प कभी मौहम्मद ग़ौरी नहीं होना चाहिए....

जय हिन्द जय भारत 🇮🇳 

Note : BJP को support करने में मेरा कोई स्वार्थ नहीं है, मैं एक राष्ट्रभक्त हूँ। 

BJP की विचारधारा राष्ट्रवादी विचारधारा है, इसलिए मैं उसका support करती हूँ।

Tuesday, 22 February 2022

Tip : Recognition of cashew

कुछ चीजें हम लोग खरीदते हैं, पर उनकी सही पहचान हमें नहीं होती है। जिसका फायदा दुकानदार लोग खूब उठाते हैं, और हमें चीजें महंगी दे देते हैं।

ऐसा हमारे साथ मेवा लेते समय, सबसे अधिक होता है, क्योंकि मेवों की सही पहचान बहुत ही कम लोगों को होती है। मेवा में सबसे ज्यादा लोगों को काजू पसंद होता है।

तो चलिए, आज आपको काजू की पहचान के विषय में ही बताते हैं। अगर आप काजू को बेचने का काम करना चाहते हैं तो आपके लिए एक good news भी है, क्योंकि हम आपको यह भी बताएंगे कि ऐसी कौन सी जगह है, जहां काजू सबसे सस्ता मिलता है।


काजू की पहचान

Points :

  1. काजू का रंग सफेद होना चाहिए, अगर हल्का सा पीला है तो उसे न खरीदें। वो या तो low quality का होगा या fresh नहीं होगा। 
  2. काजू को खरीदते समय यह देखें कि उसमें घुन या सुंडी तो नहीं लगी हुई है। अगर पूरी तरह साफ है, तभी उसकी खरीदारी करें।
  3. अच्छी quality का काजू मोटा और size में 1 inch लंबा होता है।
  4. Good quality के काजू को सूंघने पर उसमें भीनी खुशबू आती है। अगर काजू में तेल जैसी महक आ रही हो तो बिल्कुल नहीं खरीदें।
  5. अच्छी quality का काजू ज़रा सा दबाते ही आवाज के साथ टूट जाता है। 
  6. Good quality का काजू खाने में मीठा होता है और दांतों में चिपकता नहीं है।

काजू की quality और उसके size and shape के according उसके विभिन्न grade होते हैं।


W - 180 :

इसे 'काजू का राजा' कहते हैं, ये आकार में बड़े और बहुत महंगे होते हैं। अभी इसकी सही कीमत ₹835 - ₹940 per kg चल रही है।


W-210 :

इसको 'jumbo nuts' के नाम से जाना जाता है। अभी इसकी सही कीमत ₹ 750 - ₹810 per kg चल रही है।


W- 240 :

यह एक आकर्षक grade है जिसकी उचित कीमत है। अभी इसकी सही कीमत ₹ 600 - ₹800 per kg चल रही है।


W - 320 :

काजू की गुठली में यह grade सबसे लोकप्रिय है और दुनिया भर में उपलब्धता के मामले में सबसे easily available होता है। अभी इसकी सही कीमत ₹630 - ₹720 per kg चल रही है।


आप को बता दें, यह काजू के थोक के भाव का मूल्य है।

यहाँ W means white, and जो भी उसका number है, उसका मतलब है कि 1 pound में काजू संख्या में उतने आएंगे। 


चलिए अब वो भी बता देते हैं, जिसका आप सबको बेसब्री से इंतज़ार है, जी हां वो जगह, जहां आप को काजू के दाम जानकर हैरानी होगी कि काजू, इतना सस्ता भी मिल सकता है।


जामताड़ा - जहांँ काजू है सबसे सस्ता :

झारखंड के जामताड़ा जिले में काजू ₹10 - ₹20 प्रति किलो बिकता है। जामताड़ा के नाला इलाके में करीब 49 एकड़ जमीन पर काजू के बागान हैं। 

बागान में काम करने वाले बच्चे और महिलाएं काजू को बेहद सस्ते दाम में बेच देते हैं। 

बता दें कि ये बागान जामताड़ा block मुख्यालय से चार किलोमीटर की दूरी पर है।


तो बस इन बातों का ध्यान रखें और अच्छी quality के काजू सही कीमत में खरीदें। खरीदने से पहले काजू की grading पूछना मत भूलिए। Grading पता होने से आप स्वयं समझ जाएंगे कि काजू का क्या rate होना चाहिए।

Monday, 21 February 2022

Poem : कारक, सुख - दुख के

आज आप सब के साथ मुझे भोपाल के मेज़र नितिन तिवारी जी की कविता को साझा करते हुए अपार प्रसन्नता हो रही है।

मेज़र साहब जितने वीर हैं, उतने ही कोमल हृदय के भी।

तो आइए, उनकी कविता का आनंद लेते हैं।

कारक, सुख - दुख के

कुछ प्यारे लोगों का आना,

अतिशय सुख दे जाता है,

दुष्ट वृत्ति लोगों का मिलना,

भीषण दुख दे जाता है।


अनचाहे नातेदारों का,

असमय आना दुख देता,

प्रेमी को आधी रातों में,

द्वार खोलना सुख देता।


उग्र रूप रखती ऋतुओं का,

जाना खुश कर देता है,

सम शीतोष्ण उचित वर्षा का,

आना खुश कर देता है।


असमय फूलों का खिलना ज्यों,

बच्चों का जवान होना,

बे मौसम बारिश होना ज्यों,

बुड्ढों का नादान होना।


अतिशय सुख के कारक हैं वे,

जिनसे तार जुड़े होते,

हो वैचारिक एकरूपता,

अंतर साम्य भाव होते।


कौन किसे कितना है जाने,

जग है अगणित जीवन है,

रहा  पूर्व  संबंध  कभी  हो,

उससे  ही  यह  बंधन  है।

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Friday, 18 February 2022

Short Story : Vote on sale

Vote on sale



चुनाव का समय चल रहा था। बहुत से प्रतिद्वंद्वी चुनाव के समर में शामिल थे। 

राधवेन सत्ता का मंझा हुआ खिलाड़ी था, उसे पता था गांव के भोले-भाले लोगों को कैसे ठगा जा सकता था। उसने पूरे गांव के हर घर में 200 rs., 4 kg. चावल और 1 दारू की बोतल बांट दी, और सबको हिदायत दे दी गई कि वोट उसे ही दें।

चुनाव के नतीजे निकले और वही हुआ, जो होना था। राघवेन चुनाव जीत गया।

चुनाव जीतने के साथ ही राघवेन ने अपना गुंडाराज मचाना शुरू कर दिया। हर जगह आतंक, लूटपाट, दुराचार आरंभ हो गया। 

राघवेन के भाई धीरेन की किराने की दुकान थी। सरकारी खर्च पर मिले राशन से धीरेन के गोदाम भरने लगे, जिससे गांव वालों को ऊंचे दामों में राशन मिलता। 

गांव में जगह-जगह गंदगी का अंबार लगने लगा, सड़कों की हालत खस्ता होने लगी।

किसानों के खाते में आने वाले रुपयों का मात्र 10% ही उन्हें मिलता। बाकी से राघवेन की तिजोरी भरती। 

ऐसे ही चार साल बीत गए।

पूरा गांव त्रस्त था। सभी राधवेन के घर जाकर गुहार लगाने लगे कि हमें न्याय चाहिए। हमें अपने अधिकार चाहिए।

राघवेन ने बाहर आकर कहा, किस बात का अधिकार? 

हमने आपको नेता बनाया है। सभी एक साथ बोले।

कहे बात का बनाया है, तुमने अपने वोट, अपना अधिकार मुझे रुपए, चावल और दारु में बेच दिया था। और बेची हुई वस्तु पर अधिकार उसका होता है, जिसने खरीदी थी।

जब मैं तुम लोगों को वह सब दे रहा था, तब तो किसी ने नहीं कहा था, हमें सुरक्षा-सुकून और विकास चाहिए। किसी एक ने भी नहीं कहा था कि हम चाहते हैं कि हमारा गांव सबसे उन्नत हो।

अब जाओ, सब यहाँ से। सब अपना सा मुंह लेकर लौट गये।

राघवेन के मित्र ने उससे कहा, तुम इनके वोट से ही जीते हो, ऐसा करोगे तो, अगला चुनाव नहीं जीत पाओगे।

राघवेन बोला, यह गांव वाले बहुत स्वार्थी हैं। अगले चुनाव में इन्हें फिर कुछ लालच दे दूंगा और फिर यह अपने वोट बेच देंगे।

जब तक इनके मन में स्वार्थ है, तब तक छोटे-मोटे लालच देकर राज किया जा सकता है। 

जब तक यह किसी भी लालच में फंसते रहेंगे, बिकते रहेंगे, तब इनका कम और हमारा ज्यादा लाभ है।

मुश्किल तब होगी, जब यह अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर गांव के विकास के लिए सोचेंगे, गांव को सर्वश्रेष्ठ बनाने के लिए सोचेंगे।

ऐसा क्यों?

क्योंकि तब यह किसी लालच में बिकेंगे नहीं, तब हम गुंडाराज नहीं कर पाएंगे, हम अपने गोदाम नहीं भर पाएंगे, हमें गांव का विकास करना होगा, उसे सर्वश्रेष्ठ बनाना होगा। 

उन दोनों के वार्तालाप को मनकू ने मोबाइल फोन में record कर लिया, फिर गांव वालों को सुनाकर बोला, अभी फिर से चुनाव आ रहे हैं।

अपना वोट सोच-समझकर देना, लालच में पड़कर, स्वार्थी होकर अपना वोट, अपना अधिकार बेचना मत।

सम्पूर्ण गांव का विकास ही अपना विकास है। जब यह सोच कर वोट देंगे, तभी अपने अधिकारों की मांग कर सकेंगे।

यह बात सभी गांव वालों को समझ आ गई।


यह तो रही उस गांव की बात, हमारे उत्तरप्रदेश में भी वोट डाले जा रहे हैं, आप भी किसी लालच में मत पड़ना और अपना वोट सोच-समझकर देना।

देश की सुरक्षा और विकास ही सर्वोपरि है। उसी में हमारा हित है।

याद रखिएगा, U.P. का vote, जनता के पास है remote.

जय हिन्द जय भारत 🇮🇳

Wednesday, 16 February 2022

Article : गो-काष्ठ

 गो-काष्ठ 




आज भारत बहुत से ऐसे क्षेत्रों में भी आगे बढ़ रहा है, जिसकी हमने कभी कल्पना भी नहीं की थी।

आज मैं आपको उसी से सम्बंधित बात बताने जा रहे हैं। वैसे इस बात से कुछ लोग अवगत भी हैं, पर फिर भी बहुत लोग अनभिज्ञ भी होंगे। 

मेरा इसको बताने का बड़ा कारण यह है कि शायद इसे पढ़कर कुछ लोग को रोजगार करने और देने का idea मिल जाए।

अपनी उस बात को बताने से पहले मैं आप से पूछना चाहती हूँ कि आप में से कितने लोग के लिए गाय एक आदरणीय पशु है?

या यह कि गाय को सबसे पवित्र पशु क्यों समझा जाता है?

चलिए हम अपनी धारणा आप के सामने रखते हैं कि हमारे लिए गाय आदरणीय व पवित्र पशु है।

इसके बहुत से कारण हैं, जैसे -

पहला कारण है कि माँ के बाद अधिकांशतः लोग गाय का दूध पीकर ही बड़े होते हैं, अतः गाय को माता, के समकक्ष माना गया है।

दूसरा कारण, गाय के मूत्र में बहुत से औषधीय गुण पाए जाते हैं, अतः आयुर्वेद में गौमूत्र की विशेष महत्ता है।

तीसरा कारण, गाय द्वारा दिए गए गोबर की महत्ता का तो कहना ही क्या है। जब भारत आधुनिकता की ओर अंधी दौड़ में शामिल नहीं था, तब हर कच्चे घरों में गाय के गोबर से हर दूसरे चौथे दिन लीपा जाता था, जिससे लोगों के घर कीड़े-मकोड़े से मुक्त रहता था।

गाय के गोबर की पवित्रता तो इस हद तक मानी जाती है कि पूजा अर्चना में भी इसका प्रयोग किया जाता है। गोबर से बनी हुई गौरा देवी की पूजा घर घर में होती है।

सदियों से घरों में गोबर से बने कंडे (उपला) का उपयोग खाना बनाने के लिए किया जाता रहा है, हालांकि शहरों में गैस का प्रयोग दशकों पहले से आरंभ हो गया है और आज कल उपलों का प्रयोग केवल गांवों तक ही सीमित रह गया है। बल्कि बहुत से गांवों में भी गैस सिलेंडर की सेवा उपलब्ध कराई जा रही है, वहीं कुछ गांवों में गोबर गैस प्लांट भी लगे हुए हैं, जिससे घर-घर में गैस की सुविधा उपलब्ध हो रही है।

आज हम गोबर की इसी विशेषता से जुड़ी एक और कड़ी की बात कर रहे हैं।

अभी कुछ दिन पहले हमें गौकाष्ठ के विषय में ज्ञात हुआ।

देश के विभिन्न शहरों की संस्थाओं द्वारा, गाय के गोबर से गोकाष्ठ बनाए जा रहे हैं, अब आप कहेंगे कि यह गो काष्ठ क्या है?

गो-काष्ठ

इसमें गाय के गोबर को एकत्र कर के उसे सुखाया जाता है। फिर उसमें उचित मात्रा में पानी डालकर मिक्स करते हैं। तब इसे machine में डालकर अच्छे से compress करते हैं, और उससे logs निकालते हैं। इन logs को सूखा लेते हैं। इसमें बीच में 1 Inch का छेद होता है, जो इसे जल्दी सूखने में मदद करता है, साथ ही इसमें छेद होने से यह एकसार जलती है। देखने में यह लकड़ी के लठ्ठे (logs ) के जैसे ही लगते हैं। यह लकड़ी के जैसे दिखते हैं और गोबर से बने होते हैं, इसलिए ही इन्हें गोकाष्ठ कहते हैं।

इस काम को करने में 3 से 4 आदमी की आवश्यकता होती है। 

राजस्थान में, गोबर में गंगाजल, गोमूत्र, पंचगव्य, हवन सामग्री, चंदन की लकड़ी के बुरादे, पेड़ों के सूखे पत्ते आदि सामग्रियों को मिलाकर एक मशीन में मिलाकर लकड़ी तैयार की जा रही है। अतः यह बहुत पवित्र और पूजनीय हो जाती है।

गो-काष्ठ का उपयोग 

और इन गोकाष्ठ को हम उन सब जगह पर use कर सकते हैं, जहांँ लकड़ी का use किया जाता है। 

  • जहाँ अभी भी भोजन के लिए लकड़ी को use किया जाता है। 
  • Comercial use जैसे ईंट भट्टे में, या जिस भी काम में furnace use करते हैं
  • Outing के लिए गये हों तो bonefire में।
  • बहुत से त्यौहारों में, जैसे होलिका दहन, लोहड़ी आदि में।
  • पूजा अर्चना में हवन के लिए साथ ही अंतिम संस्कार में भी।


आप कहेंगे कि जब लकड़ी है तो इसकी क्या आवश्यकता?

आप स्वयं बताइएगा कि आवश्यकता है कि नहीं, 

गो-काष्ठ की आवश्यकता

इस गो काष्ठ के होने से एक नहीं कई फायदे हैं- 

  1. गो काष्ठ को लकड़ी की तरह use कर सकते हैं, अतः इनके होने से बेवजह लकड़ी की कटाई बंद हो जाएगी, जिससे वन संरक्षण होगा।
  2. गो-काष्ठ, गोबर से बनता है, अतः यह भी पूरी तरह natural है।
  3.  यह गोबर को सुखाकर व पूरी तरह compressed करके बनाते हैं, अतः इससे लकड़ी के competitively कम प्रदूषण होता है। अतः वातावरण भी शुद्ध।
  4.  गोबर का सदुपयोग होने से वो waste बनकर जगह नहीं घेरता है।
  5.  जो गाय दूध देना बंद कर देती हैं, उन्हें लोग अपने पास रखना पसंद नहीं करते हैं, जिसके कारण वह भूख और देखभाल से तरसने लगती हैं।  
  6.  उनके यहाँ वहाँ घूमने से उनके व बाकी लोग के accident की chances रहती है, साथ ही उनके यहां-वहां घूमने से गोबर भी इधर उधर फैल कर गंदगी करता है।
  7.  गो काष्ठ की प्रसिद्धी बढ़ने से, गाय के दूध के साथ ही गोबर भी मूल्यवान हो गया। इससे लोग गाय की सेवा करते रहेंगे। इससे गाय सुरक्षित व जगह स्वच्छ। 
  8. लकड़ी के लठ्ठे से कम मात्रा में गोकाष्ठ की आवश्यकता पड़ती है, जिसके कारण खर्चे में भी नियंत्रण रहेगा।
  9. गो-काष्ठ से अन्त्येष्टि करने में केवल 300 किलोग्राम गोकाष्ट एवं 250 ग्राम कपूर का उपयोग होगा। इसकी कुल लागत 1600 रुपए आएगी। जबकि, एक शव की अन्त्येष्टि में 2 पेड़ समाप्त हो जाते हैं, और इससे लगभग 5 हजार से 6 हजार तक का खर्च आता है 
  10. अब आप का क्या कहना है? शायद आप के मन में भी यही ख्याल आया होगा कि यह मिलती कहाँ है?
  11. यह आप को बहुत easily सभी States में मिल जाएगी, इसकी कीमत लगभग 45,000 से 55,000 तक की आप को मिल जाएगी। अगर आप के पास गौशाला है या आप के आसपास गौशाला है तो इस मशीन के जरिए आप अच्छी आमदनी भी कर सकते हैं। 

अगर आप के पास मशीन खरीदने जितने पैसे नहीं हैं, तो आप इस सांचे की मदद से भी गो-काष्ठ  बना सकते हैं।


तो आइए, लकड़ी की जगह, इस गो काष्ठ को अधिक से अधिक use कर के पर्यावरण, पेड़, वन व गौ, इन सबकी रक्षा की ओर अग्रसर हो जाएं।

Saturday, 12 February 2022

Article : हिजाब पर विवाद

 हिजाब पर विवाद 


कर्नाटक के Govt Pre University College for girls से शुरू हुए, इस विवाद का क्या और कब अंत होगा, पता नहीं?

पर यह विवाद क्यों? यह भी समझ से परे है। 

किसी भी स्कूल में dress code होने का क्या पर्याय है?


Reason for the dress code in schools :

यह तो सभी जानते ही होंगे, जो नहीं जानते हैं उनको बता दें, equality के लिए।

उस dress code को यह सोच कर रखा जाता है कि स्कूल में सभी समभाव हैं। कोई अमीर-गरीब नहीं है, कोई धर्म और जाति छोटी-बड़ी नहीं है। 

वो ऐसी जगह है, जहाँ सिर्फ प्रेम, सौहार्द्र और शान्ति रहती है। 

तब ऐसी पवित्र और पाक जगह को बिना वजह विवाद का केंद्र बनाने का प्रयास क्यों?


Dress code को change ना करने का पहला कारण : 

ऐसे किसी भी मजहब और सम्प्रदाय के लिए नियम में परिवर्तन करने से सभी इसकी मांग करेंगे और सभी की मांग को मान्यता देने पर वो क्या स्कूल लगेगा या मेला?

आज इन्हें स्कूल परिसर में हिजाब की अनुमति दी जाए। कल हिन्दू कहेंगे कि हमें भी भगवा पहनना है राम नामी चादर ओढ़नी है घूंघट करके आना है, फिर सिख बोलेंगे, हम तो कटार भी साथ रखेंगे। ठाकुर कहें कि हम बंदूक के बिना स्कूल नहीं आएंगे।


तो किस-किस की बातों को मान्यता देंगे? 

ऐसे में school की क्या गरिमा रह जाएगी और क्या उसका अस्तित्व रह पाएगा?

वो बुद्धि और ज्ञान के विकास करने का स्थान  ना रह कर, विवादों का अखाड़ा बन जाएगा।


Dress code change नहीं करने का दूसरा कारण सुरक्षा भी है :

शायद आपको मालूम हो, ऐसे ही एक बार विवाद केरल में भी हो चुका है, वो भी girls college था। ऐसे में एक लड़का बुर्का पहन कर विद्यालय के परिसर में आ गया था। लड़कियों की सुरक्षा के मद्देनजर यह फ़ैसला लिया गया था कि school campus के अंदर कोई भी बुर्का या हिजाब पहनकर नहीं आएगा।

इसकी उपस्थिति में चेहरा ठीक से नहीं दिखता है, अतः इससे identity पहचानने में दिक्कत होती है। अतः स्कूल व कालेज के परिसरों में यह नहीं पहन सकते हैं।


क्या ग़लत था? ऐसे ही किसी girls college में कोई लड़का, बुर्का पहन कर या लंबा घूंघट डालकर college campus में आ जाए और girls के साथ अभद्र व्यवहार करे तो उसका जिम्मेदार कौन होगा, किस की जवाबदेही होगी?

जब यह मामला केरल में हुआ था और वहाँ मना किया गया तो बिना कोई विवाद किए, इस बात को मान लिया गया था। 

पर वही घटना जब कर्नाटक में घटित हुई तो विवाद इतना बढ़ा दिया गया है कि वो विवाद कर्नाटक के एक school तक सीमित नहीं है बल्कि उस विवाद की तपिश से पूरा देश जलने लगा है। क्योंकि यह विवाद अब हर state और city तक पहुंच रहा है।

बल्कि कहना चाहिए कि इस विवाद को देश तक ही नहीं, उसके बाहर भी पहुंचा दिया गया है।

क्यों? आखिर क्यों? बिना बात का विवाद क्यों?

मत बढ़ाओ बेवजह बात को, जहाँ दशकों से हर धर्म के बच्चे प्रेम-सौहार्द्र से साथ पढ़े हैं, वहाँ व्यर्थ की राजनीति का विवाद करके शांति और अमन ना नष्ट करें।

Thursday, 10 February 2022

Short Story: असलियत

असलियत




राधिका हमेशा की तरह, मंगलू का इंतजार कर रही थी।

तभी वो सामने से आता हुआ दिखाई दिया।

क्या मंगलू काका, आज बहुत देर लगा दी सब्जी लाने में, तुम अभी भी नहीं आते तो मैं मण्डी ही चली जाती। वो तो हमेशा तुम से ही लेती हूँ, यही सोच कर रुक गई।

अच्छा हुआ नहीं गई बिटिया, कोई मिलता भी नहीं, सब वोट डालने गये हैं और हमारे पेट पर लात पड़ती सो अलग।

तो यह बताओ काका, इतनी देर क्यों कर दी?

अरे बताने वाली कौन बात है बिटिया, आज वोट डालने का दिन था, तो वही डालने गये थे।

तुम भी ना काका, बेकार का काम करते हो, वोट डालने चले गए। जितनी देर में वोट डालने गये थे, उतने में चार पैसे कमा लेते, वैसे भी यह नेता लोग कौन सा तुम्हारे घर की व्यवस्था देखेंगे, जो चल दिए वोट डालने। 

तुम नहीं गई बिटिया?

हम नहीं जाते हैं बेकार के काम के लिए। घर के काम, कम है जो अब वोट भी देने जाएं।

तभी एक अजनबी भी सब्जी लेने आ जाता है। वो राधिका को अजीब सी नज़रों से देखने लगता है।

अब तो राधिका जो सब्जी ले, अजनबी भी वही सब्जी लेने के बहाने से, राधिका से छेड़छाड़ करने लगा।

थोड़ी देर तक तो राधिका ने बर्दाश्त किया, पर कुछ देर में वो सहम गई और सोचने लगी,

आह! कैसा बदमाश है यह...

उसने आनन-फानन में सब्जी के पैसे दिए और जल्दी-जल्दी घर की ओर चल दी।

उसने देखा वो बदमाश भी उसके पीछे हो लिया था।

अब तो राधिका बहुत ज्यादा घबरा गई और दौड़ने लगी, वो बदमाश भी दौड़ने लगा, पर उसने पीछा नहीं छोड़ा।

दौड़ने और घबराहट में उसका सब्जी का थैला भी गिर गया। पहले राधिका ने थैला उठाने की कोशिश भी की, पर बदमाश के बहुत पास आ जाने से वो थैला वहीं छोड़कर घर की ओर भागी।

जैसे-तैसे वो घर का दरवाजा खोलकर अंदर आई, पर जब तक वो दरवाजा बंद करती, वो बदमाश घर में घुस गया।

राधिका, उसके सामने गिड़गिड़ाने लगी, छोड़ दो मुझे। Please मेरे साथ कुछ ग़लत मत करना।

वो बदमाश बोला, मैं कुछ करने आया भी नहीं हूँ। असलियत वो नहीं है, जो आप समझ रही हैं, मैं कोई गुंडा बदमाश नहीं हूँ, मुझे तो बस यह कहना है कि, सरकार सही होगी, तभी गुंडागर्दी नहीं होगी, अन्यथा गलत हाथों में सत्ता जाने से यही परिणाम होंगे। सही सरकार लाने में हमारे वोट ही सहायक होते हैं। अपनी वोट देने की ताकत को समझो।

वैसे मैं यह बात, सब्जी वाले के पास भी समझा सकता था।

पर जब कोई बात हमारे साथ practically होती है, तभी हम सही बात, सही स्थिति समझ पाते हैं।

राधिका बोली, मुझे माफ़ कर दीजिए, मुझे अच्छे से समझ आ गया कि, सभी को वोट देने जाना चाहिए। मैं अभी वोट डालने जाती हूँ।

यह लीजिए सब्जी का थैला, आप इसे डरकर सड़क पर ही छोड़ आई थीं।

बहुत बहुत धन्यवाद, सब्जी के थैले के लिए और मुझे सही बात समझाने के लिए भी।

तो आप लोगों को भी राधिका की तरह वोट की ताकत का अंदाजा हो गया?

आप भी जा रहे हैं ना वोट देने? 

सही वोट ही सही सरकार को सत्ता में लाती है, जिससे आप का और देश का भविष्य उज्ज्वल होता है और सुरक्षित भी।

Tuesday, 8 February 2022

Article : U.P. Election कब और कहाँ?

U.P. Election कब और कहाँ?


यूपी में विधानसभा चुनाव 10 February में शुरु होने जा रहा हैं।

क्या आप ready हैं? अपनी प्रिय party और नेता के चुनाव के लिए। 

बहुत से लोग चुनाव को बिल्कुल भी seriously नहीं लेते हैं, उनका कहना है कि हमें कोई भी party or leader पसंद नहीं है।

उन्हें चुनाव, एक ऐसा दिन लगता है, जिस दिन holiday है। जिस दिन वो अपने कोई भी ज़रूरी और गैर ज़रूरी काम को कर सकते हैं। साथ ही अगर कोई काम नहीं है, तो चादर ओढ़ कर सो जाते हैं।

पर ऐसा कर के आप किसी और का नहीं स्वयं अपना ही अहित कर रहे हैं।

अपना अहित? वो भला कैसे?

भारत एक लोकतांत्रिक देश है जहाँ हर एक नागरिक के पास यह अधिकार होता है कि वो अपनी पसंद के नेता का चुनाव करे और उसे सत्ता में लाए

शायद आपको अंदाज़ा नहीं है कि वोट एक बहुत बड़ी ताकत होती है। 

एक-एक वोट यह निर्धारित करता है कि देश सही हाथों में रहेगा कि नहीं।

कुछ लोगों का यह कहना होता है कि अगर आप को कोई पसंद नहीं है तो आप नोटा विकल्प का चयन कर लीजिए।

पर हमारा यह कहना कि, आप का नोटा विकल्प को चुनना भी सही नहीं है। इससे भी आप अपने अधिकारों का हनन कर रहे हैं।

आप वोट ना करें या नोटा विकल्प को चुनें, दोनों ही सूरत में आप अपनी पसंद के विपक्ष, party का चुनाव कर रहे हैं।

आपको कोई नेता पसंद नहीं है, मान लेते हैं। फिर भी कम-ज़्यादा तो पसंद में शामिल होंगे ही। तो उनमें जो सबसे कम नापसंद हो, उसे ही चुन लीजिए।

पर अपनी वोट की शक्ति को व्यर्थ में बर्बाद मत कीजिए। इसका सीधा असर आपके भविष्य पर पड़ता है। 

कैसे?

देखिए आप जाएं या ना जाएं, पर कुछ जाति-विशेष के लोग अवश्य वोट देकर आएंगे। वो वोट देने के लिए, दूर-दूर से छुट्टी लेकर आ रहे हैं।

अब आप को इतना तो पता ही है ना, जिसको ज़्यादा वोट मिलेंगे, वो ही जीतेगा। 

तो बस जो जीतेगा, सरकार भी उसकी ही बनेगी और सत्ता में उसी जाति विशेष का वर्चस्व रहेगा। 

अगर देश को पुनः गुलाम होने से बचाना है तो अपना एक सही वोट अवश्य दीजिएगा।

वोट अवश्य दीजिए, वोट हमारा सबसे महत्वपूर्ण अधिकार है और हमारे देश के प्रति सबसे बड़ा फर्ज है।

आइए आपको बता देते हैं कि कब कहाँ चुनाव हैं, जिससे आप सभी को अपने शहर के चुनाव की date पता चल जाए। 

यूपी विधानसभा चुनाव2022: सात चरणों में कब और कहाँ मतदान ?

पहला चरण (10 फरवरी)दूसरा चरण (14 फरवरी)तीसरा चरण (20 फरवरी)चौथा चरण (23 फरवरी)पांचवां चरण (27 फरवरी)छठा चरण (3 मार्च)सातवां चरण (7 मार्च)
कैराना, थाना भवन, शामली, बुढ़ाना, चरथावाल, पुरकाजी (एससी), मुजफ्फरनगर, खतौली, मीरापुर, सिवालखास, सरधना, हस्तिनापुर, (एससी), किठौर, मेरठ छावनी, मेरठ, मेरठ दक्षिण, छपरौली, बड़ौत, बागपत, मुरादनगर, साहिबाबाद, गाजियाबाद, मोदी नगर, धौलाना, हापुड़ (एससी), गढ़मुक्तेश्वर, नोएडा, दादरी, जेवर, सिकंदराबाद, बुलंदशहर, स्याना, अनूपशहर, डिबाई, शिकारपुर, खुर्जा (एससी), खैर (एससी), बरौली, अतरौली, छर्रा, कोइल, अलीगढ़, इगलास (एससी), छाता, मांठ, गोवर्धन, मथुरा, बलदेव (एससी), एत्मादपुर, आगरा कैंट (अनुसूचित जाति), आगरा दक्षिण, आगरा उत्तर, आगरा ग्रामीण (एससी), फतेहपुर सीकरी, खेरागढ़, फतेहाबाद, बाहबेहट, नकुड़, सहारनपुर नगर, सहारनपुर, देवबंद, रामपुर, मनिहारन (एससी), गंगोह, नजीबाबाद, नगीना (एससी), बरहापुरी, धामपुर, नेहतौर (एससी), बिजनौर, चांदपुरी, नूरपुर, कंठ, ठाकुरद्वारा, मुरादाबाद ग्रामीण, मुरादाबाद नगर, कुंदरकि, बिलारी, चंदौसी (एससी), अस्मोलिक, संभली, सुआरी, चमरौ, बिलासपुर, रामपुर, मिलक (एससी), धनौरा (एससी), नौगवां सादात, अमरोहा, हसनपुर, गुन्नौरी, बिसौली (एससी), सहसावन, बिल्सी, बदायूं, शेखूपुर, दातागंज, बहेरी, मीरगंज, भोजीपुर, नवाबगंज, फरीदपुर (एससी), बिठारी चैनपुर, बरेली, बरेली छावनी, ओंला, कटरा, जलालाबाद, तिलहरो, पवयन (एससी), शाहजहांपुर, दादरौलीहाथरस (एससी), सादाबाद, सिकंदराराऊ, टूंडला (एससी), जसराना, फिरोजाबाद, शिकोहाबाद, सिरसागंज, कासगंज, अमनपुर, पटियाली, अलीगंज, एटा, मरहारा, जलेसर (एससी), मैनपुरी, भोनगांव, किशनी (एससी), करहली, कायमगंज (एससी), अमृतपुर, फर्रुखाबाद, भोजपुर, छिबरामऊ, तिर्वा, कन्नौज (एससी), जसवंतनगर, इटावा, भरथना (एससी), बिधूना, दिबियापुर, औरैया (एससी), रसूलाबाद (एससी), अकबरपुर-रानिया, सिकंदर, भोगनीपुर, बिल्हौर (एससी), बिठूर, कल्याणपुर, गोविंदनगर, शीशमऊ, आर्य नगर, किदवई नगर, कानपुर छावनी, महाराजपुर, घाटमपुर (एससी), माधौगढ़, कालपी, उरई (एससी), बबीना, झांसी नगर, मौरानीपुर (एससी), गरौठा, ललितपुर, मेहरोनी (एससी), हमीरपुर, रथ (एससी), महोबा, चरखारीपीलीभीत, बरखेड़ा, पूरनपुर (एससी), बीसलपुर, पलिया, निघासन, गोला गोकर्णनाथ, श्री नगर (एससी), धौरहरा, लखीमपुर, कस्त (एससी), मोहम्मदी, महोली, सीतापुर, हरगांव (एससी), लहरपुर, बिस्वाणि, सेवाता, महमूदाबाद, सिधौली (एससी), मिश्रिख (एससी), सवायजपुर, शाहाबाद, हरदोई, गोपामऊ (एससी), संड (एससी), बिलग्राम-मल्लांवान, बालमऊ (एससी), संडीला, बांगरमऊ, सफीपुर (एससी), मोहान (एससी), उन्नाव, भगवंतनगर, पुरवा, मलिहाबाद (एससी), बख्शी का तालाब, सरोजिनी नगर, लखनऊ पश्चिम, लखनऊ उत्तर, लखनऊ पूर्व, लखनऊ सेंट्रल, लखनऊ छावनी, मोहनलालगंज (एससी), बछरावां (एससी), हरचंदपुर, रायबरेली, सारेनीक, ऊंचाहार, तिन्दवारी, बबेरू, नारायणी (एससी), बांदा, जहानाबाद, बिन्दकि, फतेहपुर, आया शाह, हुसैनगंज, खागा (एससी)तिलोई, सलोन (एससी), जगदीशपुर (एससी), गौरीगंज, अमेठी, इसौली, सुल्तानपुरी, सदर, लम्भुआ, कादीपुर (एससी), चित्रकूट, मानिकपुर, रामपुर खासी, बाबागंज (एससी), कुण्ड, विश्वनाथ गंज, प्रतापगढ़, पट्टी, रानीगंज, सिराथू, मंझनपुर (एससी), चैल, फाफामऊ, सोरांव (एससी), फूलपुर, प्रतापपुर, हंडिया, मेजा, कराछना, इलाहाबाद पश्चिम, इलाहाबाद उत्तर, इलाहाबाद दक्षिण, बारा (एससी), कोरांव (एससी), कुर्सी, राम नगर, बाराबंकी, जैदपुर (एससी), दरियाबाद, रुदौलीक, हैदरगढ़ (एससी), मिल्कीपुर (एससी), बीकापुरी, अयोध्या, गोशैनगंज, बल्हा (एससी), नानपर, मतेरा, महासी, बहराइच, पयागपुर, कैसरगंज, भिंग, श्रावस्ती, महनौं, गोंडा, कटरा बाजार, कर्नलगंज, तरबगंज, मनकापुर (एससी), कटेहरी, टांडा, अलापुर (एससी), जलालपुर, अकबरपुर, तुलसीपुर, गेनसारी, उतरौला, बलरामपुर (एससी), शोहरतगढ़, कपिलवस्तु (एससी), बंसी, इतवा, डुमरियागंज, हरैया, कप्तानगंज, रुधौली, बस्ती सदर, महादेवा (एससी), मेंहदावल, खलीलाबाद, धनघटा (एससी), फरेंदा, नौतनवा, सिसवा, महराजगंज (एससी), पनियार, कैम्पियारगंज, पिपराइच, गोरखपुर शहर, गोरखपुर ग्रामीण, सहजनवा, खजनी (एससी), चौरी-चौरा, बांसगांव (एससी), चिल्‍लूपार, खड्ड, पडरौना, तमकुही राज, फाजिलनगर, कुशीनगर, हाटा, रामकोला (एससी), रुद्रपुर, देवरिया, पथरदेवा, रामपुर कारखाना, भाटपार रानी, सलेमपुर (एससी), बरहज, बेलथरा रोड (एससी), रसड़ा, सिकंदरपुर, फेफना, बलिया नगर, बांसडीह, बैरियाअतरौलिया, गोपालपुर, सागरी, मुबारकपुरी, आजमगढ़, निज़ामाबाद, फूलपुर-पवई, दीदारगंज, लालगंज (एससी), मेहनगर (एससी), मधुबनी, घोसी, मुहम्मदाबाद- गोहना (एससी), मऊ, बदलापुर, शाहगंज, जौनपुर, मल्हानी, मुंगड़ा बादशाहपुर, मछलीशहर (एससी), मरियाहु, जाफराबाद, केराकाट (एससी), जखानियन (एससी), सैदपुर (एससी), गाजीपुर, जंगीपुर, ज़हूराबाद, मोहम्मदाबाद, ज़मानिया, मुगलसराय, सकलडीह, सैयदराजा, चकिया (एससी), पिंडरा, अजगरा (एससी), शिवपुर, रोहनिया, वाराणसी उत्तर, वाराणसी दक्षिण, वाराणसी छावनी, सेवापुरी, भदोही, ज्ञानपुर, औराई (एससी), छनबे (एससी), मिर्जापुर, मझवानी, चुनारी, मरिहान, घोरावाली, रॉबर्ट्सगंज, ओबरा (एसटी), दुद्धी (एसटी)

Monday, 7 February 2022

Article : लता दी, एक स्वर युग...

 लता दी, एक स्वर युग...



लता दी, भारत की स्वर कोकिला, जिनकी सुरीली आवाज़ से भारत गूंजायमान हो गया था। उनका शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया है, पर उनके स्वर और सुरीली आवाज़, भारत के कण-कण में समाहित थे, हैं और रहेंगे।

उनके पिता जी‌ (दीनानाथ मंगेशकर) बहुत बड़े मराठी theatre actor, Hindustani classical vocalist थे। उनके पास बहुत से शिष्य, संगीत का ज्ञान लेने के लिए आते थे। एक बार एक शिष्य को पिता जी, बहुत ही कठिन, राग पूरिया धनाश्री (जो कि एक सायंकालीन संधि प्रकाश राग है) सिखा रहे थे और लता दी, जो कि मात्र 5 साल की थी, कमरे के बाहर खड़ी सुन रहीं थीं।

जब पिता जी, किसी काम से बाहर गए, लता दी अंदर जाकर बोलीं, बाबा ऐसे नहीं, ऐसे गाते हैं। पिता जी ने लता दी को पहली बार गाते हुए सुना था। वो बहुत प्रसन्न हुए और तभी से उनकी दीक्षा, पूरिया धनाश्री राग के साथ ही प्रारंभ कर दी।

जब वो 9 साल की थीं, पिता जी के साथ stage performance देने लगीं।

मात्र 13 साल की उम्र में उनके सिर से पिता जी का साया उठ गया। और सम्पूर्ण परिवार की जिम्मेदारी उनके नन्हे कंधों पर आ गई। जिसे उन्होंने बखूबी निभाई।

अतः 13 साल की उम्र से ही लता दी ने playback singing शुरू कर दी। 

उस समय से प्रारम्भ हुआ उनका career, 7 दशकों तक बुलंदी पर रहा, उसके बाद, गीतों के गिरते स्तर के कारण, उन्होंने बहुत चुनिंदा गीतों को ही अपनी आवाज़ दी।

लता दी को स्वर कोकिला क्यों कहा गया, उसके पीछे का कारण यह है कि संगीत के प्रति ऐसी लहर आजादी से पहले नहीं थी। उस समय गाने तो लिखे जाते थे लेकिन ऐसा कंठ नहीं था जो इन गानों को एक ऊंचाई दे सके। तब प्रदार्पण हुआ सुर कोकिला लता मंगेशकर का, जिनके गाए गानों में आम आदमी से लेकर अपने क्षेत्र के शिखर पर बैठे हर व्यक्ति तक की भावनाओं को आवाज मिली।

जैसे-जैसे उनकी उम्र बढ़ती रही, उनकी आवाज़ का जादू भी दिनों-दिन परवान चढ़ता रहा। उनकी बढ़ती उम्र का प्रभाव कभी भी उनके संगीत के आड़े नहीं आया।

उस आवाज़ में जो कशिश थी, जो अल्हड़ जवानी थी, जो सुरीला सुर था, वो उनके हर गीत को बेमिसाल बनाता था। 

उनके लिए, बड़े-बड़े गायक कहा करते थे कि यह आवाज़ तो कभी बेसुरी होती ही नहीं है।

उनके गाये पहले गीत "पांव लगूं कर जोरी" से अंतिम गीत, "लुका-छिपी" तक के सभी गीतों में उनकी आवाज़ का जादू चढ़ता ही गया।

उनके गीत, हर्ष में, विषाद में, भक्ति में शक्ति में, प्रेम में, परिहास में सभी रंगों में रंगे थे। 

उनके गाए गीतों से बच्चों को सोते से उठाते हैं, "जागो मोहन प्यारे" ईश्वर की प्रार्थना करनी हो तो, " हम को मन की शक्ति देना" बच्चों को शिक्षा देनी हो तो," बच्चे मन के सच्चे", जब उन्हें सुलाना हो, "आ जा रही आ, निंदिया तू आ", जवां हो जाएं तो, " सोलह बरस की बाली उमर को सलाम", "जब प्यार किया तो डरना क्या",मन की तमन्नाओं को उड़ान देनी हो तो, " आज फिर जीने की तमन्ना है", जब दिल टूट जाए तो,"अजीब दास्तां है ये",  बीता ना बिताए रैना,  "तेरे बिना ज़िंदगी से कोई शिकवा तो नहीं", और जब प्यार वापस आ जाए तो, "बाहों में चले आओ", जब देश भक्ति जागे तो"ए मेरे वतन के लोगों", और जब परिपक्वता आ जाए तो, तेरे लिए हम हैं जिए". इसलिए लता दी, आदि भी हैं और अनंत भी... या यूं कहें कि वो अलौकिक हैं।

यही कारण था कि लता मंगेशकर, लता दी बनकर सबके दिलों में उतर गई और सबकी लता दी बनकर उनसे संगीत का मीठा रिश्ता बना लिया।

लता दी हमेशा चप्पल उतार कर ही गीत गाती थीं, उनके लिए गीत गायन, ईश्वरीय भक्ति थी, साधना थी, अराधना थी और जहाँ ईश्वर का साथ हो, वहाँ सफलता सिद्धी बन जाती है

उन्होंने, विभिन्न भारतीय भाषाओं में 30,000 से अधिक गाने गाए हैं। अपने सात दशकों से अधिक के career में उन्होंने ‘जरा आंख में भर लो पानी’, ‘आज फिर जीने की तमन्ना है’, ‘अजीब दास्तान है ये’, तुझे देखा तो यह जाना सनमहमको हमीं से चुरा लो’, "जब प्यार किया तो डरना क्या’, ‘नीला आसमां सो गया’ और ‘तेरे लिए’ जैसे कई यादगार tracks को अपनी आवाज दी है.।मोहम्मद रफ़ी, किशोर कुमार सहित कई singers के साथ उन्होंने कई सदाबाहर गाने दिए।

वह भारत के तीनों सर्वोच्च नागरिक सम्मान (भारत रत्न, पद्म भूषण और पद्म विभूषण) सहित तीन राष्ट्रीय और चार फिल्मफेयर पुरस्कारों से नवाजी जा चुकी हैं।

उन्हें साल 1989 में दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। साल 2001 में लता मंगेशकर को भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' दिया गया था। 

आज स्वर साम्राज्ञी लता दी, हमारे बीच सशरीर नहीं हैं, पर अगर उन्हें संगीत जगत का स्वर युग कहा जाए, तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। 

अपने हजारों गानों के माध्यम से वो अमर आवाज़ हमेशा हम सब के साथ रहेगी, उनकी याद बनकर, उनकी पहचान बनकर...

और उनका जीवन संघर्ष और परिवार के लिए समर्पण, सबको प्रेरित करेगा, सफलता की बुलंदियों को छूने के लिए...

उनके बहुत से अमर गीतों में से:

ऐ मेरे वतन के लोगों...

रहे ना रहें हम, महका करेंगे... 

मेरी आवाज़ ही पहचान है...

इन गीतों ने उन्हें बहुत पहले ही अमर कर दिया था।

आज लता दी, एक स्वर युग को कोटि-कोटि प्रणाम और अश्रूपूरित श्रद्धांजलि 🙏🏻💞

Saturday, 5 February 2022

Recipe : Tehri

बसंतोत्सव, बसंत पंचमी पर्व और सरस्वती पूजा सब एक ही पर्व के विभिन्न नाम है। जो अपनी अलग ही छटा बिखेरता है। माँ सरस्वती की पूजा अर्चना होती है। बसंतोत्सव है तो हर तरफ पीले ही पीले रंग की बहार दृष्टिगत होती है। 

माँ का श्रृंगार पीला, जो पुष्प अर्पित किए जाते हैं वो पीले, भक्तगणों के वस्त्र पीले और चढ़ने वाला प्रसाद भी पीला।

माँ सरस्वती की पूजा अर्चना होती है इसलिए जिन लोगों के घरों में गुरु अराधना होती है, वहाँ इसे गुरु पूजन दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।

बचपन से इसमें बनने वाला भोग तहरी, जिसके विभिन्न नाम है, मसाला भात, वेज़ पुलाव आदि..  हमें बहुत पसंद है।

यह जितनी tasty होती है, उतनी ही healthy भी। 

तो चलिए आज ही इसकी recipe share कर देते हैं, और सभी को स्वादिष्ट भोग तहरी का भोज कराते हैं।

तहरी




Ingredients :

  • Rice - 2 bowl 
  • Paneer diced- ¼ bowl
  • Pea - ¼ bowl 
  • Carrot - ¼ bowl 
  • Cauliflower -¼ bowl
  • Potato diced - ¼ bowl
  • Cumin - ½ tsp.
  • Ginger - ½ inch
  • Clove - 2 to 3
  • Black pepper kernels - 6 to 8
  • Cinnamon stick - ½ inch
  • Bay leaf - 1 medium
  • Green Cardamom - 2 to 3
  • Turmeric powder - ½ tsp.
  • Coriander powder - 1tsp.
  • Red chilli powder - ½ tsp.
  • Salt - as per your taste
  • Mustard oil - 3 tbsp.


Method :

  1. Rice को अच्छे से धोकर, भिगोकर रख दीजिए।
  2. Ginger  को chop कर लीजिए।
  3. Pressure cooker में oil डालकर अच्छे से गर्म कर लीजिए।
  4. गर्म तेल में जीरा व अदरक को डालकर गुलाबी भून लीजिए। इसमें सभी खड़े मसाले डालकर भून लें।
  5. अब इसमें सभी सब्जियों और सभी powders, spices (मसाले) व नमक को डालकर भूनें।
  6. चावल से पानी हटाकर निथार लें।
  7. निथरे हुए चावल को pressure cooker में डालकर slow flame पर थोड़ी-थोड़ी देर में चलाते हुए ½ hours तक अच्छे से भून लीजिए।
  8. अब इसमें पानी डाल दीजिए।
  9. Pressure cooker का ढक्कन बन्द करके high flame पर रख दीजिए।
  10. 1 सीटी high flame पर दे दीजिए, फिर पांच मिनट के लिए flame slow कर दीजिए। उसके बाद gas off कर दीजिए।
  11. 7 to 10 minutes में pressure down हो जाएगा।
  12. Serving time में आप तहरी में 2tsp. घी (शुद्ध) ज़रुर से डालें।

Now yummy, tasty tehri is ready. You can serve it with chutney or raita.

Now it's tip and tricks time.


Tips and Tricks :

  • चावल को बहुत देर तक नहीं भिगाएं, अन्यथा तहरी खिली-खिली नहीं बनेगी। 
  • तहरी बनाने के लिए mustard oil ही सबसे अच्छा रहता है, क्योंकि उसी से उसका taste, texture and flavour सबसे अच्छा आएगा।
  • सारी सब्जियाँ एक बराबर सी काटें, इससे तहरी देखने में भी अच्छी लगती है और taste भी uniform रहता है, जो तहरी को लाजवाब बनाता है।
  • गोभी और पनीर के टुकड़े बहुत छोटे मत रखिएगा, वरना वो तहरी में घुल जाएंगे और उनका prominent taste नहीं आएगा। 
  • खड़े गर्म मसालों को अवश्य डालिएगा, इन से तहरी की  tempting aroma enhance होती है। आप चाहें तो खड़े गर्म मसालों को serving से पहले हटा भी सकते हैं।
  • आप चाहें तो इसमें dry fruits जैसे cashews (काजू), almonds (बादाम) और raisins (किशमिश) आदि.. भी add कर सकते हैं। 
  • अगर आप onion and garlic  खाते हैं तो, छौंकने के समय 2 medium size onion को लम्बा काट कर व 4 to 5 garlic cloves को chop करके सुनहरा होने तक भून लें, फिर उसमें खड़े मसाले डालकर भूनें।

  • चावल को भूनने के लिए डालने से पहले पानी अच्छे से निकला हुआ होना चाहिए। वरना तेल में पानी जाने से चावल सब्जियों के साथ अच्छे से भुनेगा भी नहीं और तेल के छींटे आने से हाथ भी जलने का डर रहता है।
  • चावल और सब्जियाँ जितना अच्छे से भुने रहेंगे, तहरी उतनी ही खिली-खिली बनेगी।
  • चावल में पानी इतना डालना है कि चावल और सब्जियाँ डूब जाए। पानी चावल से approx. 1 inch ऊपर रहेगा।
  • ध्यान रखिएगा कि पानी की quantity proper रहनी चाहिए। पानी कम होने से तहरी जल जाएगी और पानी ज्यादा से खिली-खिली नहीं बनेगी और बहुत स्वादिष्ट भी नहीं लगेगी। 

तो इंतज़ार किस बात का है, बसंतोत्सव में तहरी का भोग/प्रसाद तैयार कीजिए जिससे माता रानी और परिवार वाले सभी खुश हों।

आप सभी को बसंतोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ 💐🙏🏻

Friday, 4 February 2022

Skit : पेड़ों की रक्षा, जीवन सुरक्षा

अद्वय के द्वारा लिखी first skit An Adventurous Day को आप सभी द्वारा बहुत appreciate किया गया और आप सबने उसे बहुत सारा आशीर्वाद भी दिया, उसके लिए आप सबका का ह्रदय से अनेकानेक आभार ❤️🙏🏻

आज उसके ही द्वारा लिखा गया पहला हिन्दी नाटक साझा कर रहे हैं। आप सभी से अनुरोध है कि उसके इस नाटक को भी वही प्यार और आशीर्वाद प्रदान कीजिएगा 🙏🏻

अपने बेटे अद्वय द्वारा रचित पहले हिन्दी नाटक को आप सब के साथ साझा करते हुए अत्यंत गर्व व हर्ष की अनुभूति हो रही है 😊

विषय - पेड़ पौधे


 पेड़ों की रक्षा, जीवन सुरक्षा




सूत्रधार-

एक नन्हा पौधा, अंधकार से भरे भूगर्भ से बाहर निकल कर प्रकाश में आने वाला है, वो महसूस करना चाहता है, ठंडी-ठंडी हवा, सुगंधित पुष्प की खुशबू, हरियाली, और देखना चाहता है रंगीन दुनिया, खिलखिलाना चाहता है अपनी माँ और दोस्तों के साथ।

नन्हा पौधा -

माँ मैं बाहर आ गया...

सूत्रधार-

माँ उसे प्यार से निहारती है

पीपल का पेड़ -

आ मेरे लाल...

नन्हा पौधा -

माँ जैसा मैंने सोचा था, यह प्रकाश से भरी, हरियाली से सजी दुनिया उससे भी ज्यादा खूबसूरत है।

पीपल का पेड़ -

हाँ बेटा, जब तक कोई प्रदूषण ना फैलाए और हम पर बुरी नज़र ना डाले तब तक...

नन्हा पौधा -

बुरी नज़र! क्या मतलब?

सूत्रधार-

वो अभी बात कर ही रहे थे तभी...

Car की आवाज़... भुर्ररर.. भुर्ररर.. पों... पों...

नन्हा पौधा -

(खाँसने की आवाज़) ऊंह ऊंह..

माँ यह गंदा, काला धुआं कैसा?

पीपल का पेड़ -

(खाँसने की आवाज़), ऊंह अंह...

 यह वाहन से निकलता धुंआ है बेटा

जयंत - 

यह पेड़ भी ना, कहीं भी उग कर जगह छोटी कर देते हैं।

अभी जगमोहन को बोलता हूं, इस बड़े पेड़ को काटने को।

ट्रिन ट्रिन ट्रिन ट्रिन...

जगमोहन -

हेलो sir

जयंत -

हेलो जगमोहन...

ठंड इतनी पड़ रही है, तुम्हें लकड़ी नहीं चाहिए?

जगमोहन -

चाहिए साहब...

जयंत -

तो एक काम करो, वो जो मेरे घर के सामने का पीपल का पेड़ है, उसे काट दो। मुझे वहाँ अपनी दूसरी car खड़ी करनी है। 

जगमोहन - 

Sir जी, वो तो बहुत मोटा पेड़ है, 100 रुपए लगेंगे और सारी लकड़ियां भी मेरी..

जयंत - 

ठीक है, आकर काटो..

जगमोहन -

जी sir...

पत्नी खुश हो जाएगी, चूल्हे और हाथ तापने की लकड़ी का अच्छा इंतजाम हो गया।

सूत्रधार -

जगमोहन लकड़ी काटने को चला जाता है।

जगमोहन -

खट खट खट

पीपल का पेड़ -

आह, आह, आह

नन्हा पौधा -

माँ, दुनिया बहुत खराब है।

सूत्रधार-

तभी पेड़ की एक डाल नन्हे पौधे पर गिर जाती है और वो दब जाता है। 

नन्हा पौधा -

आह.... माँ.... 

सूत्रधार -

पीपल का पेड़ कराहता रहता है और जगमोहन पेड़ काट देता है।

जयंत पेड़ कटने के बाद अपनी car वहाँ खड़ी कर के घर चला जाता है।

2 दिन बाद....

जयंत -

क्या हुआ नीलम? यह डाक्टर साहब क्यों आए हैं?

नीलम -

क्या बताऊं सूरज आज बहुत खांस और हांफ रहा था।

डॉक्टर -

आप के बेटे को ठीक से oxygen नहीं मिल पाने के कारण उसकी यह हालत हो गई है।

आपके घर के सामने पर जो पीपल का बड़ा-सा पेड़ था, उसे ना जाने किसने कटवा दिया? वो आते-जाते लोगों को छांव देता था और भरपूर oxygen भी।

ना जाने क्यों लोग हरे-भरे पेड़ को काट कर अपने लिए ही मुसीबत लाते हैं?

चलिए मैंने दवा लिख दी है, शायद सूरज को 2-4 दिन में आराम आ जाए।

नीलम - 

Thank you doctor साहब।

सूरज -

मम्मी जब मैं आ रहा था तो जगमोहन अंकल पेड़ काट रहे थे, और उससे वहाँ उगा छोटा-सा पौधा भी दब गया।

नीलम -

बेटा इसके लिए सिर्फ जगमोहन जिम्मेदार नहीं है। 

सूरज -

तो कौन है?

नीलम-

बेटा, जगमोहन तो अनपढ़ है, उसको पेड़ काटने को किसी ने कहा होगा, जिसे इतनी भी समझ नहीं है कि पेड़ के बिना जीवन असंभव है।

जयंत -

मुझे माफ़ कर दो, वो बेवकूफ इंसान मैं ही हूं।जिसने ज़रा सी बात के लिए हरा-भरा पेड़ कटवा दिया।

सूरज -

पापा चलिए, हम उस छोटे पौधे से लकड़ी हटाकर उसे बचा लेते हैं, कल वही हमको जीवन देगा। 

सूत्रधार -

तीनों वहां जाते हैं, नीलम और जयंत मिलकर उस कटी हुई डाल को हटा देते हैं।

सूरज उस नन्हे पौधे से कहता है: 

सूरज -

I love you छोटे पौधे, क्या तुम मेरे दोस्त बनोगे? मैं हमेशा तुम्हारा ध्यान रखूंगा।

सूत्रधार -

छोटा-सा पौधा बड़े प्यार से सूरज को देखता है, तभी उसे माँ की कही हुई बात याद आ जाती है और सोचता है...  

नन्हा पौधा -

दुनिया अच्छी है, जब तक किसी की बुरी नज़र न पड़े। 

सूत्रधार -

जब तक हम पेड़ पौधों का ध्यान रखेंगे, पेड़ हमें जीवन देंगे, उनके बिना जीवन असंभव है। पेड़ पौधों का ध्यान रखें और किसी भी तरह का प्रदूषण न करें। पेड़ों की रक्षा, जीवन सुरक्षा... 

धन्यवाद। 



यह एक नाटक नहीं बल्कि जीवन की सच्चाई है, इसे स्वयं भी पढ़ें और बच्चों को भी सुनाएं, पसंद आने पर साझा भी करें और अमल भी।

एक बार पुनः आप सबसे कह रहे हैं कि आप सब इस नाटक को अपने बच्चों के school के लिए use कर सकते हैं। 

साथ ही अगर आप को अन्य किसी विषय पर कहानी, नाटक आदि चाहिए हों तो comment box पर लिख कर बता दें। हम उसे भी शीघ्र post कर देंगे 🙏🏻😊

Thursday, 3 February 2022

Skit - An Adventurous Day

लेखन (writing) की बहुत सी विधा होती हैं, सभी का अपना अलग ही आनंद होता है। 

तो आइए आज आप के साथ एक और नया segment शुरू कर रहे हैं।  

Skit (नाटक). 

CBSE board ने online classes में group activity कराने को भी कहा है।

जिसमें Advay (मेरा बेटा) ने कुछ play भी किए।

मेरी help से उसने इस skit की story and dialogues prepare किए हैं तो आज वही share कर रहे हैं।

I'm feeling proud to sharing budding writer, Advay's first skit. 

This act is based on the Setting of desert of the great Thar. 

Hope you all will enjoy-

An Adventurous Day

Narrator –

We all know the great Thar desert, which glorifies the western India. Once upon a time, Aanvi, Aadya, Advay & Apeksha, 4 Best Friends, went for a 7-day vacation to Rajasthan. It was their 3rd day & they were going to enjoy the sandy expanse of Jaisalmer? Let’s go and see, what they are doing.

Aanvi-

So, if you all are done clicking photos and selfies, can we please get into the jeep for the desert safari? (taunting)

Apeksha –

Ya Aanvi, just 3 more pictures. (pleading)

Advay –

Come-on na Aanvi, we don’t come to such places daily. Let me have atleast one good photo for my Facebook DP. (carefree)

Aanvi –

(being fed up) Fine! Don’t complain later, if it gets dark during the safari.

Apeksha –

Ya ya! (careless tone)

Advay –

I will not! (carefree tone)

Narrator –

The Best Friends, got into the jeep and started the safari. They were about 40 minutes into the safari then suddenly-

Advay –

What! The jeep stopped! Oh no!

Aadya –

(in shock) WHATTTTT!!!! 

Apeksha –

You are joking, right? Come-on Advay, it is not a thing to joke about. 

Advay –

I’m not kidding. Come off the jeep, let’s see what has happened.

Narrator –

They get out of the jeep & check its machinery.

Advay–

The engine seems fine. All the wires look okay. Even the fuel tank seems full.

Aadya –

Hey! Look, the tyre is punctured. You all know how to change the tyre, right?

Aanvi & Apeksha –

(sadly shake their head in no)

Advay –

I don’t know how to do that for jeep.

Aanvi –

You both wait. Let me and Advay go and search for a mechanic or someone to help.

Narrator –

Aanvi & Advay go searching for someone to help. Back at the jeep, the 2 girls try searching online for the method to change the tyre. But the network goes off. A man suddenly appears out of nowhere.

Stranger –

What’s the matter? Tyre puncture?

Aadya –

Yes. Our friends have gone to search for someone who can fix it.

Stranger –

Oh! You don’t know how to do that! Let me help you. I have been working as a mechanic since 35 years. (To ownself) Kids these days don’t even know how to change a punctured tyre. These tourist agencies should help their tourists with things like these. They should accompany them in these safaris.

Narrator –

After 10 minutes…

Apeksha –

Could not the man fix the tyre yet? It has been long. Let me check. (Peeps) Where did the uncle go? I can’t see him anywhere.

Aadya –

Maybe he was god-sent. (happily exclaimed) See, he has even fixed the tyre. Now let’s just wait for Advay & Aanvi to come back.

Narrator –

Advay & Aanvi return disappointed. They could not find anyone for help. The girls tell them about the stranger man and all the friends get happy. But as soon as they were going to drive back to the tourist guide’s spot, suddenly a sandstorm begins (Sound of sandstorm) and in seconds, the vision was full of nothing but sand. The friends get back into the jeep, waiting for the storm to end. 

Aanvi –

While waiting let’s have some snacks and water.

Apeksha –

(turns back & then front again) The food basket is not there! (angrily) Aadya, what a god-sent was that person, right? He took away our food.

Advay –

Atleast he fixed the tyre. (exclaimed) Oh wait! There’s a white light there. And such odd footstep sounds.

Apeksha –

What if that’s another thief, we’ll be left with nothing.

Aanvi –

Yes! What if even that person is rogue? We’ll be in great problem then.

Aadya –

Let’s just see for once. We are in no better situation even now.

Narrator –

Aadya approaches the person. She was an old woman who looked tired and was holding a white torch.

Old lady –

(tired and pleading) Oh little girl! Please help me out. You seem to be a tourist here. Please drop me to my home & I will help you get out of this sandstorm. 

Aadya –

But aunty, will you be able to see properly in this storm? And what are you even doing here all by yourself?

Old lady –

Oh little girl! I was out since afternoon for some fruits. But this wrecked storm, it starts anytime (angrily). However, I have been here since my childhood. I know how to handle such storms and get back home safely. Please drop me to my home and I will help you out. I will not harm you. You can trust an old lady like me, atleast.

Narrator-

The friends take the old lady inside the jeep. They tell the lady about the stranger who took away their food. The lady guides them to her house, where they meet her son Aarav.

Aarav –

I’m really really really thankful to you all. You don’t know how tensed I was. My mother was out alone after 5 years in this nasty storm. Thank god, she met you and you brought her back home. Thank you so so so much.

Old lady –

Yes children! I’m obliged by your help. Let us help you with some food and water. Aarav, go and help them with whatever they need. Even they were not spared by the desert thief. That person throws nails on the road, punctures the vehicles of all the tourists, helps them by fixing the puncture & then flees away with all their food and water.

Aarav –

(Picking up a polybag and a bottle) Here you go. Take this food and to reach back to your hotel, take a right from the green milestone & then a left from the camel fair’s parking. You’ll reach the highway and can then return back home.

Narrator –

The friends then got back into the jeep & drove to their hotel. They reached their room and immediately went to sleep; after all, it was quite an adventurous day.

From this journey, the friends learnt a lesson - that even in the toughest situation, one should not forget to help and be humane.

Thank you.


इस skit को डालने का एक purpose यह भी है कि अगर आप के बच्चे को भी यही setting मिली है तो इस skit को use कर सकते हैं। इस skit को करने में approx 6 to 7 minutes लगेंगे।

साथ ही यदि आप को किसी और topic, setting or character पर story or skit चाहिए तो आप comment box पर डाल दीजिए, हम जल्दी ही उसे भी post कर देंगे।

Wednesday, 2 February 2022

Recipe : Pan Fried Baby Potato

बसंत का सुहाना मौसम आ चुका है, ऐसे में कुछ spicy, crispy खाने को मिले तो जीवन में आनंद ही आ जाए।

तो सोचा आज, आप के लिए कुछ ऐसा share किया जाए कि आप को बचपन याद आ जाए। जो tasty भी हो और healthy भी। पर उसे बनाना बहुत ही easy हो, साथ ही उसके लिए ज्यादा ingredients की requirements नहीं हो, ना ही costly ingredients लगें। 

तो लीजिए, आज की recipe ऐसी ही है, जो इन सारे criteria को पूरा करती है।

यह बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी को बहुत पसंद आती है, इसे आप as a starter, snacks, lunch and dinner में रख सकते है।

Pan Fried Baby Potatoes


Ingredients :

Baby Potato - ½ kg. 

Garlic cloves - 4

Mustard oil - 1 tbsp.

Whole Red chilli - 2

Kashmiri mirch - ½ tsp.

Salt - as per taste 


Method :

  1. Baby Potatoes को अच्छे से रगड़ रगड़कर, धोकर साफ कर लीजिए जिससे उसकी सारी मिट्टी हट जाए।
  2. धुले हुए आलू को काट लीजिए।
  3. Garlic cloves को coarsely chop कर लीजिए।
  4. एक shallow deep, frying pan लीजिए, उसमें mustard oil डालकर गर्म कर लीजिए।
  5. गर्म oil में chopped garlic और whole red chilli डालकर slightly brown होने तक भूनें। 
  6. Whole red chilli निकाल लीजिए।
  7. अब pan में baby potato, salt और कश्मीर लाल मिर्च पाउडर डालकर, धीमी आंच पर 5 min ढककर पकाएं।
  8. ढक्कन हटाकर आलू के पकने और करारे होने तक भून लीजिए।
  9. Serving time में fried whole red chilli को तोड़कर उसके chilli flakes को crispy, Pan Fried Baby Potatoes पर sprinkle कर दीजिए।

Now crispy Pan Fried Baby Potatoes is ready to serve. You can serve it as a starter, snacks, lunch, or dinner.

You can serve it with, roti, paratha, puri, rice, etc... 

चलिए झटपट tricks and tips भी हो जाए..

Tips and Tricks :

  • Baby potatoes के peel हटने की कोई requirements नहीं है। छिलके के साथ इसका बहुत अच्छा texture, flavour and taste आता है। साथ ही आलू with skin, बहुत healthy भी होते हैं।
  • आप को केवल ऐसे छिलके हटाने हैं जो कि गंदे हों। 
  • साथ ही खराब, हरे या लाल हो रहे आलू को भी हटा देना है। 
  • लेकिन याद रखें कि आलू रगड़कर अच्छे से अवश्य धोया जाना चाहिए, अन्यथा आलू में मिट्टी-मिट्टी लगेगी।
  • आलू की cutting में shape आप अपनी पसंद (diced, लम्बे, गोल) का कुछ भी रख सकते हैं, बस इतना ध्यान रखिएगा कि सारे आलू एक सी cutting वाले हों।
  • आप चाहें तो थोड़ा ज्यादा तेल भी डाल सकते हैं, इससे यह जल्दी भी बनेंगे साथ ही crispy भी ज्यादा होंगे।
  • अगर आप diet conscious हैं तो कम तेल लगाकर bake भी कर सकते हैं।
  • आप को अगर spicy कम पसंद हो तो आप chilli flakes avoid भी कर सकते हैं।
  • अगर ज़्यादा spicy चाहिए तो आप whole red chilli के flakes के साथ ही उसके seeds भी डाल सकते हैं।
  • अगर आप without onion and garlic recipe रखना चाहते हैं तो आप chopped garlic की जगह fenugreek seeds भी use कर सकते हैं।
  • आप fast में भी इसे बना सकते हैं। जब आप इसे fast के लिए बना रहे हों, उस समय इसमें chopped garlic की जगह chopped ginger डाल दीजिए और नमक की जगह सेंधा नमक डाल दें।
  • अगर आप इसे as a starter or snacks की तरह serve कर रहे हैं तो आप इस पर हरी चटनी भी डाल सकते हैं।
  • Taste enhance करने के लिए आप finely chopped fresh fenugreek leaves (मेथी) या dil leaves (सोया साग) भी डाल सकते हैं।

तो सोचना क्या, आज ही बना लीजिए quick and easily prepare होने वाले Pan Fried Baby Potatoes 😋