Monday, 21 February 2022

Poem : कारक, सुख - दुख के

आज आप सब के साथ मुझे भोपाल के मेज़र नितिन तिवारी जी की कविता को साझा करते हुए अपार प्रसन्नता हो रही है।

मेज़र साहब जितने वीर हैं, उतने ही कोमल हृदय के भी।

तो आइए, उनकी कविता का आनंद लेते हैं।

कारक, सुख - दुख के

कुछ प्यारे लोगों का आना,

अतिशय सुख दे जाता है,

दुष्ट वृत्ति लोगों का मिलना,

भीषण दुख दे जाता है।


अनचाहे नातेदारों का,

असमय आना दुख देता,

प्रेमी को आधी रातों में,

द्वार खोलना सुख देता।


उग्र रूप रखती ऋतुओं का,

जाना खुश कर देता है,

सम शीतोष्ण उचित वर्षा का,

आना खुश कर देता है।


असमय फूलों का खिलना ज्यों,

बच्चों का जवान होना,

बे मौसम बारिश होना ज्यों,

बुड्ढों का नादान होना।


अतिशय सुख के कारक हैं वे,

जिनसे तार जुड़े होते,

हो वैचारिक एकरूपता,

अंतर साम्य भाव होते।


कौन किसे कितना है जाने,

जग है अगणित जीवन है,

रहा  पूर्व  संबंध  कभी  हो,

उससे  ही  यह  बंधन  है।

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