Monday, 30 May 2022

Poem : वट सावित्री का व्रत

आप सभी को वटसावित्री व्रत पर हार्दिक शुभकामनाएं 💐 सभी को अखण्ड सौभाग्य प्राप्त हो 🙏🏻🙏🏻


 वट सावित्री का व्रत




वट सावित्री का व्रत नहीं,

 केवल व्रत सुहाग का।

इसमें अमिट प्रेम भी शामिल है,

सावित्री के अनुराग का।।


वो थी, अनोखी, अजब निराली,

थी वो हठी बड़ी मतवाली।

जिसने मौत को भी हरा दिया,

वो थी सावित्री भागों वाली।।


नारद जी ने उसको,

विवाह पूर्व चेताया था।

सत्यवान है अल्प आयु,

यह उसको बड़ा समझाया था।।


वो बोली तब, नारद जी से,

अब वर, नहीं मैं बदलूंगी।

उनको ना जाने दूंगी खुद से पहले,

मैं यमराज से लड़ लूंगी।।


यह राजकुमारी महलों की,

वो गलियों में रहने वाला।

कोई जोड़ नहीं है उनका,

यह विवाह नहीं चलने वाला।।


हर हाल में कैसे खुश रहना है,

उसने सबको दिखा दिया।

पति को पुनः जीवित कर के,

यमराज को भी हरा दिया।।


सावित्री के अमर प्रेम को,

वट सावित्री व्रत कहते हैं।

आज के दिन बरगद पूजन कर,

अखंड सौभाग्य का आशीष लेते है।।