Thursday, 9 June 2022

Poem : गंगा दशहरा

हम हिन्दुओं में बहुत से तीज-त्योहार मनाए जाते हैं, जिनकी अलग-अलग विशेषताएं हैं।

आज गंगा दशहरा है। इसे क्यों मनाया जाता है, तथा गंगा माँ के पूजन का क्या फल है।  इसको काव्य बद्ध करने का प्रयास किया है, माँ की अनुकम्पा सदैव बनी रहे 🙏🏻🙏🏻

आइए उसका आनन्द लें।


गंगा दशहरा


भागीरथ महाराज ने,

अपने पूर्वजों को तरने हेतु।

माँ गंगा का, कठिन तप किया,

माँ गंगा ने प्रसन्न होकर,

तब पृथ्वी पर अवतरण लिया।।

था वो शुभ दिवस, 

माँ के अवतरण का।

ज्येष्ठ मास के, शुक्ल पक्ष की,

दशमी तिथि में, हस्त नक्षत्र का।।

था प्रबल और प्रचंड,

माँ गंगा का स्वरूप।

पृथ्वी पर हर तरफ था,

जल निमग्न का ही रूप।।

महादेव की अराधना, 

तब भागीरथ ने की। 

होकर प्रसन्न, भोलेनाथ ने, 

जटाओं में गंगा जी भर ली।।

बस मात्र एक धारा को, 

पाप हरण के लिए।

अमृत रूप में,

पृथ्वी में प्रवाहित किया।।

गंगा दशहरा के दिवस,

जो माँ गंगा का पूजन करे।

तीन दैहिक, चार वाणी,

तीन मानसिक, जैसे

दस पाप से उसको मुक्ति मिले।।

तब से ही इस दिवस को,

नाम गंगा दशहरा दिया।

माँ के सम्मान में,

इस दिवस को रख दिया।।


आप सभी को गंगा दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएँ

गंगा माँ, पृथ्वी पर सदैव जल रुपी अमृत प्रदान करें 🙏🏻 💐