Sunday, 19 June 2022

Poem : पिता कौन है?

माँ का ममत्व, उनका त्याग, उनका प्यार... सब माँ का, पर पिता का क्या? क्या कुछ भी नहीं...?

पिता कौन है?


माँ नौ महीने,और पिता...

जवान होने तक पालता है।

फिर भी मां महान, पर

पिता की तपस्या को कोई नहीं जानता है।।


माँ करें चिंता, आज के खाने की,

और पिता, जिंदगी भर करता है।

फिर भी मां महान, पर

पिता के त्याग को कोई नहीं जानता है।।


चलिए आज पिता कौन है,

इसको ही जानते हैं।

उनके अनछुए किरदार को,

पहचानते हैं...


सबकी ख्वाइश पूरी करते करते,

ना जाने, कब वो अपनी भूल जाते हैं।

पिता बनते ही उन्हें, 

कभी अपने शौक याद नहीं आते हैं।।


अपनी बेफिक्री, नादानी, 

कहीं दूर छोड़ आते हैं।

पिता बनते ही, 

हर  जिम्मेदारी उठाते हैं।।


अपनी मेहनत, कठिनाई, 

वो सब भूल जाते हैं।

जब अपने परिवार को,

हंसता- मुस्कुराता पाते हैं।।


अनसुने, अनकहे जज़्बात ही, 

उनके हिस्से आते हैं।

क्या क्या सहा उन्होंने,

यह कह भी नहीं पाते हैं।।


 घर को बनाने में,

अपना अस्तित्व लुटाते हैं।

अपने जीते-जी उस पर,

एक आंच ना आने देते हैं।।


जिनके होने का एहसास ही,

हम में सुरक्षा के भाव जगाते हैं।

वो जीवन के थपेड़े खाकर भी, 

स्थिर नज़र आते है।


जिसे बेटी में अपना गुरूर,

और बेटे में अपना अक्स।

नज़र आता है,

वो शख्स ही पिता कहलाता है।।


Happy father's day ❣️

 

सभी पितृत्व-पूरित पुरुषों को हार्दिक शुभकामनाएँ 💐

पापा, आप हर पल याद आते हैं , आप को समर्पित मेरी यह कविता 🙏🏻🙏🏻