Wednesday, 14 September 2022

Poem : हिन्दी भाषा पर दोहे

भारत की शान, मान और पहचान है हिन्दी। 

पर हिन्दी जिसे भारत में सर्वश्रेष्ठ स्थान मिलना चाहिए, वो नहीं मिल रहा है, बल्कि यह कहना ग़लत नहीं होगा कि हिन्दी साहित्य की सशक्तिकरण और विशेषता कहीं विलुप्त होती जा रही है। उसकी विविधता तो कितने लोग जानते तक नहीं हैं।

आज हिन्दी दिवस के पावन अवसर पर हिन्दी साहित्य की सर्वश्रेष्ठ विधा 'दोहा' में रचित, 'हिन्दी भाषा पर दोहे' को प्रस्तुत कर रही हूँ। 

साथ ही आज की यह कृति, माँ भारती व अपने परम श्रद्धेय बाबा जी डाॅ. बृजबासी लाल जी (कुलपति, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय) के श्री चरणों में समर्पित कर रही हूँ, जो हिंदी भाषा के प्रकांड विद्वान व परम उपासक थे, और हम सब के प्ररेणा स्त्रोत भी 🙏🏻🙏🏻

आप सभी इन दोहों का आनन्द लें, साथ ही हिन्दी भाषा का प्रचार प्रसार भी करें 🙏🏻


हिन्दी भाषा पर दोहे 


हिन्दी की भाषा सुनो,

होती बहुत सुजान।

हम इसे अपनाएं क्यों,

इसका ले लो ज्ञान।।


हिन्दी है सबसे सरल,

बहुत मधुर है गान।

इसमें भाव अपार है,

जान सके तो जान।।


हिन्दी जैसी सटीकता,

और कहीं ना आए।

शब्द जो जैसा लिखा,

 वैसा बोला जाए।।


हिन्दी भाषा प्रेम की,

सबको दे पहचान।

छोटा हो या हो बड़ा, 

सबको दे वो मान।। 


हिन्दी है माँ सी सरस, 

हिन्दी का हो मान।

तन मन से सेवा करो,

अपनी उसको जान।।


अंग्रेज़ी तो सब पढ़े,

हिन्दी पढ़े न कोय।

मानुष जब हिंदी पढ़े,

जनम सफल तब होय।।


बहुत सी भाषा देखी,

अपनी लगी न कोय।

देखन जो हिन्दी गया,

प्रीत उसी से होय।।



जय हिन्द जय हिन्दी 🇮🇳 

आप सभी को हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ 💐