Tuesday, 20 September 2022

Article : हिन्दी भाषा का अस्तित्व

हिन्दी भाषा का अस्तित्व 


अभी जब हिन्दी पखवाड़ा चल रहा है तो हमने सोचा, हम भी हिन्दी भाषा का जितना अधिक प्रचार-प्रसार कर सकते हैं, करें।

जब हिन्दी भाषा का प्रचार-प्रसार व प्रयोग करेंगे, तभी हिन्दी भाषा को वो अधिकार मिलेगा, जिसकी वो अधिकारिणी है। अर्थात राष्ट्रभाषा बनने का मान।

अब जब बात चली ही है तो, अभ्युदय से प्रारंभ होनी चाहिए।  माँ भारती‌‌ के कोटि कोटि प्रणाम के साथ ही  यह लेख आरंभ कर रहे है।

  • उत्पत्ति - हिंदी भाषा की उत्पत्ति, संस्कृत भाषा से हुई है। 
  • संस्कृत भाषा, विश्व की सर्वक्षेष्ठ भाषा है। संस्कृत से बढ़कर कोई भी वैज्ञानिक भाषा नहीं है। पर यह भाषा थोड़ी कठिन भी है।
  • अतः हर कोई इसके सभी शब्दों का उच्चारण शुद्धता के साथ नहीं कर पाता था, अतः ऐसी भाषा की उत्पत्ति की गई, जो संस्कृत भाषा जैसी वैज्ञानिक तो हो, साथ ही साथ सरल व सहज भी हो; जिससे प्रत्येक व्यक्ति उससे जुड़कर अपने ह्रदय के हर भाव को व्यक्त कर सके। और ऐसी ही वैज्ञानिक, सरल व सहज है, हम सब की प्रिय भाषा - हिन्दी।
  • हिंदी, भारतीय गणराज्य की राजकीय और मध्य भारत की आर्य भाषा है।
  • हिंदी भाषा की लिपि देवनागरी हैं। (लिपि अर्थात हम किसी भाषा को लिखित रूप में किस तरह से लिखते हैं।)
  • हिन्दी को भारत की आधिकारिक भाषा माना जाता है।
  • भारत में हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए, एक निदेशालय निर्मित किया गया है, जिसे केंद्रीय हिंदी निदेशालय कहते हैं। 

यह तो हुई उत्पत्ति, अब जान लेते हैं, हिंदी भाषा का कितने लोग प्रयोग करते हैं।

आप को हर्ष और गर्व की अनुभूति होगी कि हमारी हिंदी भाषा, विश्व में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली, तीसरी भाषा है।

इसमें मेंडरिन प्रथम स्थान पर, अंग्रेजी द्वितीय स्थान और हिंदी तृतीय स्थान पर है। 

मेंडरिन भाषा, चीन की राष्ट्रभाषा है। वहाँ की सर्वाधिक जनसंख्या के कारण ही मेंडरिन प्रथम स्थान पर है। पर मेंडरिन भाषा, केवल चीन में ही बोली जाती है।

अंग्रेजी भाषा, इंग्लैंड की राष्ट्र-भाषा है। इंग्लैंड की जनसंख्या तो अधिक नहीं है, पर अंग्रेजी भाषा बहुत से देशों में बोली जाने वाली भाषा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि ब्रिटिश सरकार ने जहाँ जहाँ भी शासन किया, वहाँ अपनी भाषा को स्थापित कर दिया, लोग को बाधित कर दिया, अंग्रेजी भाषा के प्रयोग के प्रति...

यहाँ तक कि कुछ देशों में अंग्रेजी भाषा का प्रयोग इतना अधिक है कि वो उनकी मातृभाषा से ज्यादा बोली जाती है। 

अब आते हैं हमारी राजभाषा हिंदी भाषा पर: यह विश्व में तीसरे स्थान पर है, क्योंकि हमारी जनसंख्या, विश्व में दूसरे स्थान पर है। साथ ही हिन्दी भाषा भी अन्य देशों में बहुतायत में बोली जाती है। 

आइए आपको बताते हैं कि भारत के बाहर हिन्दी किन-किन देशों में बोली जाती है। इनमें से पाकिस्तान, भूटान, नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका, मालदीव्स, म्यानमार, इंडोनेशिया, सिंगापुर, थाईलैंड, चीन, जापान, जर्मनी, न्यूज़ीलैड, दक्षिण अफ्रीका, मॉरिशस, यमन, युगांडा, कनाडा, आदि में हिंदी बोलने वालों की अच्छी-खासी संख्या है। इसके आलावा इंग्लैंड, अमेरिका और मध्य एशिया में भी इसे बोलने और समझने वाले लोगों की अच्छी संख्या है।

सोचिए, भारत ने तो किसी भी अन्य देश पर शासन नहीं किया, ना ही किसी अन्य देश को बाधित किया कि वह हिंदी बोलें, फिर भी हिन्दी भाषा अन्य देशों में भी बोली जाती है। 

सोचिए, भारत की जनसंख्या दूसरे स्थान पर है, साथ ही अन्य देशों में भी बोली जाती है, फिर भी हिन्दी तृतीय स्थान पर है, अगर हिन्दी भाषा अन्य देशों में नहीं बोली जाती तो शायद वो तृतीय स्थान पर भी न होती। 

ऐसा इसलिए है, क्योंकि हिंदी भाषा की विशेषता जो अन्य देशों को समझ आ गई है, वो हम समझना ही नहीं चाहते हैं। ना ही हम अपनी हिंदी को वह सम्मान देना चाहते हैं जो चीन और इंग्लैंड ने अपनी राष्ट्रभाषा को दिया हुआ है। 

आखिर हम कब तक गुलामी को ऐसे ही ढोते रहेंगे और हिंदी भाषा को उसका अस्तित्व, उसका सम्मान प्रदान नहीं करेंगे?

आखिर क्यों नहीं, हम अपनी राजभाषा को राष्ट्र-भाषा का सम्मान दे देते हैं।

यदि भारत में सब लोग हिंदी भाषा का प्रयोग करने लगें तो वो दिन दूर नहीं, जब हिन्दी, विश्व में बोली जाने वाली भाषाओं में प्रथम स्थान प्राप्त कर लेगी। 

तो चलिए, हिंदी भाषा का प्रयोग हर क्षेत्र में कर के एक प्रयास करते हैं, हिंदी भाषा को विश्व में प्रथम स्थान पर पहुंचाने का, हिंदी भाषा को उसका अस्तित्व दिलाने का, उसे राजभाषा से राष्ट्र-भाषा बनाने का...

जय हिन्द जय हिन्दी 🇮🇳