Monday, 12 December 2022

Story of Life: गरीब की बेटी

 गरीब की बेटी  



अंजली, छोटी सी, प्यारी सी,  मासूम सी, चुलबुली लड़की थी, जो दिन भर हंसती खिलखिलाती, मस्ती करती रहती थी।

अपने मम्मी पापा की लाडली थी। दोनों ही उसे बहुत प्यार करते थे। उसकी मम्मी दूसरों के घर काम करती और पापा, एक बारात घर (marriage hall) में काम करते और वो स्कूल जाती। 

क्योंकि उसके पापा, बारात घर में काम करते थे, इसलिए दावत (parties) से बचा हुआ खाना वो घर ले आया करते थे, तो खाने-पीने की कोई कमी नहीं थी, बल्कि जब बारात घर में दावत होती थी तब तो, बहुत बढ़िया खाना भी खाने को मिलता था। बड़े सुख के दिन गुजर रहे थे।

उसे पढ़ने का बहुत शौक था, इसलिए वो बहुत मन लगाकर पढ़ती थी। 

पर क्योंकि वो लड़की थी, इसलिए उसके ददिहाल, ननिहाल, अड़ोसी -पड़ोसी  सभी कहते कि परिवार तब पूरा होता, जब लड़का हो, वही खानदान का नाम बढ़ाता है।

इन सबके चलते हुए, उसके मम्मी पापा ने एक बच्चा करने का मन बना लिया। 

कुछ दिन बाद ही उसकी मम्मी की गोद भर गई। जब अंजली को पता चला कि वो दीदी बनने वाली है तो वो ख़ुशी से झूमने लगी। तब वो मात्र 6 साल की थी...

उसने अपनी एक एक दोस्त को चिल्ला चिल्ला कर बता दिया कि वो अब कोई बच्ची नहीं है, बड़ी हो गई है। 

वो अब दीदी बनने वाली है। बहुत जल्दी उसकी मां उसके लिए एक छोटा सा भाई लाने वाली है।

वो उसके राखी बंधेगी, उसके संग खेलेगी, खाना खाएगी और दोनों लोग एक साथ सोएंगे...

उसकी मासूम बातें सुनकर, लोग कहते, तुझे कैसे पता कि भाई ही होगा।

वो पूरे विश्वास से बोलती, मुझे पता है... 

देखना, जब वो होगा, सब को पता चल जाएगा कि मैं सब सही बोलती हूँ। 

उसकी इस बात पर लोग हंस देते और कहते, अंजली, और अंजली की बातें...

दिन गुजरते गए और वो दिन भी आ गया है, जब उसकी मां के बेटा पैदा हो गया। 

अंजली खुशी में बांवरी हुई जा रही थी, सबसे कहती, देखा, मैं ना कहती थी कि भाई आएगा... 

पर वो नहीं जानती थी, जिस बात के लिए, वो इतनी खुश हैं, वो असलियत में उसके लिए खुशी के दिन नहीं थे....

पढ़ें आगे गरीब की बेटी (भाग -2 ) में....