Friday, 31 March 2023

Article : एक सुबह नवरात्र वाली

 एक सुबह नवरात्र वाली 



इस बार नवरात्र के अष्टमी वाले दिन सुबह सुबह ही कुछ सामान लेने के लिए घर से निकले थे।

ऐसा बहुत दिनों बाद हुआ था कि हम सुबह सुबह निकलें वो भी अकेले...

क्योंकि शादी के बाद से ही हम दोनों साथ ही जाते थे बाज़ार, या कभी यह अकेले जाते थे।

पर इस बार सप्तमी की रात यह देर से लौटे थे और अष्टमी - नवमी में कोई छुट्टी नहीं थी, कि दोपहर में नींद पूरी कर लें तो अष्टमी के दिन, इनका जल्दी उठने का कोई विचार नहीं था।

और बिटिया?

आज कल के बच्चे, उनके तो कहने ही क्या, वो तो रात को ही दिन बना कर रखते हैं, घंटों देर रात तक पढ़ते हैं तो उनसे सुबह बहुत जल्दी उठने की उम्मीद करना ही ग़लत है।

तो सोचा, सुबह हम ही चले जाते हैं।

Maid 7: 30 तक आ जाती है तो हमारा target उसके आने से पहले लौट आना था। 

साथ ही क्योंकि किसी की छुट्टी नहीं थी, तो सुबह के काम की भागदौड़ भी पूरी थी और माता रानी की पूजा भी...

तो बस सुबह 5 बजे उठ कर नहा धोकर, माता रानी की पूजा अर्चना कर के, बेटी का tiffin ready किया, खाने की सारी तैयारियां कर दी।

और 6:45 पर चल दिए बाज़ार.. 

बहुत दिनों बाद, सुबह निकल थे। जैसा कि आप सब जानते हैं, इस बार दिल्ली और उत्तर प्रदेश से गुलाबी ठंड का मौसम जा ही नहीं रहा है तो बस उस दिन भी मौसम गुलाबी ही था। बीच-बीच में ठंडी हवाओं के झोंके भी चल रहे तो उनसे सिरहन सी दौड़ जाती थी। 

सुबह का समय था तो ट्रेफिक भी नहीं के बराबर था, अतः बहुत शांति थी। इस वजह से हर हलचल दिखाई भी दे रही थी और सुनाई भी दे रही थी।

सुबह का समय था तो बहुत सी दुकानें अभी भी बंद थी, लेकिन चंद दुकानें और ठेलों पर साफ सफाई आरंभ हो चुकी थी।

कहीं झाड़ू लग रही थी तो कहीं dusting हो रही थी। वहीं कुछ दुकानों की साज सज्जा प्रारंभ हो चुकी थी। सजती हुई बड़ी बड़ी दुकानें मानो इठलाकर अपनी सफलता की कहानियां कह रही थीं। 

कुछ ठेले वाले अपने ठेले पर फलों या सब्जियों को सजा रहे थे।

हांलांकि, जो ज्यादा सफाई दार दुकानदार थे, वो दुकान के साथ साथ दुकान के सामने की सड़क पर भी झाड़ू लगा रहे थे, कुछ-एक पानी का छिड़काव भी कर रहे थे।

मंदिरों में भी साफ-सफाई हो चुकी थी। वहां पर भजन चल रहा था। कुछ लोग, जिनकी शुरुआत ही देव दर्शन से होती है, वो पूजा अर्चना के लिए मंदिर में मौजूद थे। कुछ अष्टमी होने के कारण मंदिर में आए थे। इसलिए मंदिर के घंटे-घड़ियाल भी बीच-बीच में बज रहे थे।

कुल मिलाकर, शांति और ताजगी से भरपूर माहोल था। हम ने दुकान पहुंच कर सामान खरीदे और लौट चले घर की ओर...

7 बजे के ऊपर का समय हो चुका था।

लौटते समय बहुत से घरों से हवन होने की खुशबू आ रही थी, कहीं कहीं से शंखनाद भी सुनाई दे रहा था..

लौटते समय थोड़ी थोड़ी दूरी पर कन्याओं की टोली दिखाई दे रही थी, सभी अपनी बातों में खोई हुई...

इसमें कुछ कन्याएं बहुत छोटी थी, शायद 3-4 साल की होंगी। उनकी टोली में 3 साल से 12 साल तक की कन्याएं थीं। सभी भारतीय परिधान में, कोई सलवार सूट में तो कोई लहंगा-चोली में... सभी सजी-धजी थीं।

सभी बहुत ही खूबसूरत लग रही थीं, उनके चेहरे की खुशी से ऐसी दिव्यता आ रही थी, मानो साक्षात माता रानी के नौ रुपों के दर्शन हो रहे हों...

उन्हेंं देखकर पहले तो मन में यही आया कि कन्याओं को खाने जाने के लिए इतना तैयार होकर आने की क्या आवश्यकता?

पर अगले ही पल विचार आया कि यह सब गरीब घरों की बच्चियां हैं। जहां दोनों समय खाना नसीब हो, यह भी आवश्यक नहीं है। फिर यह तो कन्या हैं, इन्हें तो खाना सबसे आखिर में और बचा खुचा ही मिलता होगा...

और आज तो इन्हें ना केवल खाना मिलेगा, बल्कि बहुत ही अच्छा और स्वादिष्ट खाना मिलेगा। फिर खाने के साथ ही, रुपए, पैसे, तोहफा आदि भी मिलेगा। लेकिन उसके साथ जो सबसे बड़ी चीज़ है, वो है importance, भरपूर सम्मान!.. जो इन्हें साल में दो बार 10-12 साल की होने तक मिलता है...

सच है ना, जिस कन्या के जन्म से ही पूरा घर शोकाकुल हो जाता है। नवरात्र में उसको ही देवी रुप में पूजा जाता है। नवरात्र में उन्हीं कन्या का बुलावा, छोटे छोटे घरों से लेकर बड़े बड़े महलों तक के लिए आता है...

ऐसे में उनके लिए साल में यह दो बार के दिन, किसी महोत्सव से कम नहीं हैं और महोत्सव में तो सजना-धजना बनता ही है।

घर पहुंच कर, एक अनोखी अनुभूति का एहसास था, सुबह की ताजगी और लौटते समय में कन्याओं के अधरों की मीठी मुस्कान ने दिल को भीतर तक सुख से भर दिया था।

हम 7:20 पर घर आ चुके थे। घर में पति, बेटी-बेटा सब सो रहे थे। Maid भी अभी तक नहीं आई थी। हम अपने बाकी कामों को ख़त्म करने में जुट गए।

थोड़ी देर में सब उठ गए, maid भी आ गई थी और दिन चल पड़ा अपनी रफ़्तार से...

पर क्या सभी घरों में और समाज में हर रोज लड़की को देवी रुप में मान सम्मान मिल सकता है? 

अगर आप सच में देवी भक्त हैं तो जरूर मिल सकता है😊 तो सोचिएगा जरुर ...

अम्बे मैया की जय 🚩

Thursday, 30 March 2023

India's Heritage : क्यों थे राम मर्यादा पुरुषोत्तम!..

 क्यों थे राम मर्यादा पुरुषोत्तम!


आज राम नवमी के पावन पर्व पर विरासत के अंतर्गत, आपको प्रभू श्रीराम के जीवन से जुड़ी हुई एक कहानी साझा कर रहे हैं, जिससे आप को ज्ञात होगा कि भगवान श्री राम, क्यों थे मर्यादा पुरुषोत्तम!...

बात त्रेतायुग की है। भगवान श्री राम के जीवन से संबंधित, जैसा कि आप सबको विदित ही होगा कि प्रभू श्रीराम ने 14 वर्ष का वनवास काटा था।

पर क्या वनवास, माता कैकई ने प्रभू श्रीराम को दिया था? 

नहीं दिया था...

क्या राजा दशरथ ने दिया था?

नहीं दिया था... 

क्या हुआ? 

आप सोच रहे हैं कि हमें पता भी है कि क्या हुआ था? या हम कुछ भी लिख रहे हैं!..

जी हमें भी बिल्कुल वही पता है, जो आपको पता है कि माता कैकई ने अपनी दासी मंथरा के उकसाने से राजा दशरथ से दो वरदान मांगे थे, जिसमें एक, राम को वनवास और दूसरा अपने पुत्र भरत को राजगद्दी...

जिसके फलस्वरूप प्रभू श्रीराम वनवास के लिए चले गए थे... आप इसी बात को कह रहे थे.. है ना? 

चलिए यह तो हुई वो बात, जिसे सब जानते हैं।

अब उस बात की तरफ चलते हैं, जिसे जानते तो सब हैं, पर उस तरह से मानते नहीं हैं।

हम क्या कहना चाह रहे हैं, बताते हैं आपको...

आप को क्या लगता है, माता कैकई को भगवान श्री राम कितना मान देते थे?

उनके द्वारा कही गई, बात को वो बिना किसी प्रश्न को पूछे, पूरा करते थे?

अवश्य पूरा करते थे... क्योंकि वो तो मातृ-पितृ भक्त थे..

माता कैकई को वह अपनी माँ कौशल्या से कम मान या प्यार देते थे?

नहीं बिल्कुल नहीं, प्रभू श्रीराम ने अपनी सभी माताओं को बराबर से मान व स्नेह दिया...

क्या माता कैकई, राम से अधिक अपने पुत्र भरत को स्नेह करती थी?

ऐसा कदापि नहीं था, क्योंकि माता कैकई को अपने पुत्र भरत से अधिक प्रिय राम थे।

अब बात करते हैं कि जब माता कैकई और भगवान राम का आपसी संबंध इतना सुदृढ़ था, तो क्या जरूरत थी, माता कैकई को अपने दो वरदान, राजा दशरथ से मांगने की?

वो तो प्रभू श्रीराम से सीधे ही कह भर देती कि, राम मुझे भरत के लिए राजगद्दी चाहिए, तो प्रभू श्रीराम तो जीवन पर्यन्त के लिए राज्य छोड़कर वनवास को चले जाते...

पर माता कैकई तो यह चाहती ही नहीं थीं, इसलिए ही तो उसने राजा दशरथ से दो वरदान मांगे थे...

नहीं चाहतीं थीं तो वरदान मांगे ही क्यों थे?

माता कैकई, भगवान राम को असीम स्नेह करती थीं, वो राम को तपोवन में भेज दें, ऐसा करना तो दूर, वो ऐसा सोच भी नहीं सकतीं थीं।

पर मंथरा के यह कहने से की, अपने पुत्र भरत के लिए भी सोचो... 

वो दुविधा में थीं, पुत्र के भविष्य के विषय में ना सोचें तो लोग कहेंगे कि कैसी माँ है? जिसे अपने पुत्र से स्नेह नहीं, उसके भविष्य की चिंता नहीं... पर उसके लिए अपने सुकोमल पुत्र राम को, जिसका अभी अभी विवाह भी हुआ है, उसे अपने से दूर वन में दुर्गम की ओर प्रस्थान करने के लिए कैसे कह दें..

माता कैकई बहुत दुविधा में पड़ गईं, तभी उन्हें अपने दो वरदानों की याद आई...

उन्होंने सोचा, राजा दशरथ से दो वरदान मांग ले, इससे एक तो यह होगा कि कोई नहीं कहेगा कि अपने पुत्र की चिंता नहीं.. दूसरा उन्हें यह विदित था कि राजा दशरथ, राम से अत्याधिक स्नेह करते हैं तो वो राम को वनवास जाने को कहेंगे नहीं... इस तरह राम को भी वनवास नहीं जाना होगा.. इस तरह से बिना अधिक प्रयास के सारे रिश्ते प्रेम के अटूट बंधन में बंधे रहेंगे...

इसी उधेड़बुन के साथ माता कैकई, कोप भवन में चलीं गईं। जब राजा दशरथ को यह पता चला, तो वो अपनी प्रिय रानी के पास पहुंच गए।

फिर वही हुआ जो आप सबको पता है...

राजा दशरथ कैकई को समझाते रहे कि राम के वनवास के अलावा कोई और वर मांग लें, पर वो नहीं मानीं..

जब बात श्री राम जी को पता चली, तो वो वहां पहुंच गए, जहां पिता दशरथ व माता कैकई थे।

उनके वहां पहुंच जाने के बाद भी ना पिता ने उनसे वनवास जाने को कहा, ना माता ने... क्योंकि दोनों में से कोई नहीं चाहता था कि राम वनवास जाएं...

जब कोई बच्चा अपने मां-पिता के द्वारा दी गई आज्ञा का मान ना रखे तो वह दुष्ट है, निर्लज्ज है...

जब कोई बच्चा अपने मां-पिता के द्वारा दी गई आज्ञा को शिरोधार्य करें, तो वह आदर्श.. 

पर जब आज्ञा दी ही नहीं गई हो, बस एक प्रस्ताव भर हो, उसे आज्ञा समझ कर शिरोधार्य कर लिया जाए, तो वो हैं मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम..

दोनों में से किसी के भी आज्ञा दिए बिना, श्रीराम ने उनकी आज्ञा को यह कहकर स्वीकार कर लिया कि प्राण जाए पर वचन ना जाए...

उन्होंने इस आज्ञा को शिरोधार्य करते समय यह नहीं सोचा कि, महलों में रहने वाले, तपोवन में कैसे जीवन यापन करेंगे? जिसके एक इशारे से पूरे राज्य का प्रत्येक नागरिक उनकी सेवा में तत्पर हो जाता था, वो अपने हर काम कैसे करेंगे?

कैसे छप्पन भोग को त्याग कर, कंदमूल फल खाएंगे? सुकोमल शैय्या पर सोने वाले, कुशा के बिछौने में कैसे सोएंगे?

उनके लिए माता पिता से बढ़कर, कुछ था ही नहीं..

जबकि बात कुछ दिन, कुछ महीने और कुछ साल की नहीं, बल्कि 14 साल के लिए वनवास था... 

पर उन्होंने ना केवल पूरे 14 वर्ष का वनवास किया, बल्कि सहर्ष पूरा समय व्यतीत किया वो भी माता-पिता को वनवास भेजे जाने पर कोई अपशब्द कहे बिना....

प्रभू श्रीराम के तो हर दृष्टांत से यह विदित होता है कि वो मर्यादा पुरुषोत्तम थे। 

पर आज के इस विरासत अंक से यदि हम लोग भी अपने माता-पिता को वो मान दे सकें, जिसके वह अधिकारी हैं तो भले ही मर्यादा पुरुषोत्तम ना बन सकें, पर आदर्श पुत्र और पुत्री तो अवश्य बन सकते हैं...

जय श्री राम 🙏🏻🚩 

आप सभी को चैत्र नवरात्र व रामनवमी पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🏻💐

Wednesday, 29 March 2023

Bhajan (Devotional Song) : गौरा गोद में गणेश जी को ले के निकली

आज चैत्र नवरात्र की अष्टमी है। इस पावन दिवस पर माता रानी के, गौरा रुप की पूजा अर्चना की जाती है। मां गौरी हों और गणेश जी की स्तुति ना हो यह तो हो ही नहीं सकता है...

आज के इस भजन में गौरा माता और गणेश जी कि स्तुति की गई है। इसमें गणेशजी के जन्मोत्सव का बड़ा ही मनोरम वर्णन किया गया है..

यह भजन लखनऊ से श्रीमती प्रीति सहाय जी की मधुर आवाज़ में साझा कर रहे हैं। ढोलक पर सुरीली थाप, नुपुर सहाय जी की है.. 

आइए इस मनोरम और मधुर भजन को पढ़कर व सुनकर आनन्द लें... 


गौरा गोद में गणेश जी को ले के निकली  



गौरा गोद में गणेश जी को,

 ले के निकली-2

हो गौरा ले के निकली,

गौरा गोद में गणेश जी को 

ले के निकली....


ब्रम्हा आए विष्णु आए,

आए भोले नाथ,

गणपत जी ने जनम लियो है, 

नारद वीणा बजाएं 

गौरा गोद में गणेश जी को....


रामा आए लक्ष्मण आए, 

संग में सीता आई,

गणपत जी ने जनम लियो है,  

हनुमत चुटकी बजाएं,

गौरा गोद में गणेश जी को....


राधा आई रुक्मण आई,

 संग में ललिता आई,

गणपत जी ने जनम लियो है 

कान्हा ने मुरली बजाएं,

गौरा गोद में गणेश जी को.....



जय माता दी 🚩

आप सभी को चैत्र नवरात्र की दुर्गाष्टमी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं 💐🙏🏻 

माता रानी, हम सब पर सदैव अपनी कृपा दृष्टि बनाएं रखें 🙏🏻🙏🏻 

माता रानी के और भी नए भजन आप को यहां click 👇🏻 करने पर मिल जाएंगे, आप उनका भी आनन्द लें सकते हैं...

माता रानी के भजन

Tuesday, 28 March 2023

Recipe : Vrat ke Samose

जैसा कि हमने आप से वादा किया हुआ है कि आप लोगों को व्रत के खाने के लिए भी एक से बढ़कर एक dishes बताएंगे जिससे कि जब आप व्रत के लिए भी खाना बनाने जाएं, तब भी पूरा घर, इंतज़ार करे कि आज क्या special dish मिलने वाली है।

चलिए तो आज की उस special dish का नाम बताते हैं, guess what? A Samosa!!!

समोसा...

क्यों आ गया ना, नाम सुनकर मुंह में पानी? और साथ ही सवाल भी कि व्रत में समोसा?!?!

तो चलिए, रखे रहिए मुंह में पानी, क्योंकि हम समोसे की ही recipe बताने जा रहे हैं, ऐसे समोसे की, जो व्रत में खाएं जा सकें। A samosa, which can be eaten in a fast, too!


व्रत के समोसे

Ingredients -

For Dough :

  • Instant vrat premix - 1 cup
  • Buckwheat Flour - ¼ cup 
  • Clarified butter - 1 tablespoon for moyan
  • Rock salt - as per taste
  • Clarified butter - for frying


For filling :

Option 1 :-

  • Potato - 250 grams
  • Green chillies - as per taste
  • Cumin - ½ teaspoon
  • Rock salt - as per taste
  • Coriander leaves - handful
  • Black pepper - ½ teaspoon
  • Lemon juice - 1 teaspoon


Option 2 :-

  • Paneer - 250 grams
  • Green chillies - as per taste
  • Cumin - ½ teaspoon
  • Rock salt - as per taste
  • Coriander leaves - handful
  • Black pepper - ½ teaspoon
  • Lemon juice - 1 teaspoon


Method -

  1. Instant Vrat Premix में कुट्टू का आटा, घी, डालकर हथेली की मदद से rub कीजिए, जिससे आटे में अच्छे से मोयन हो जाए।
  2. अब इसमें थोड़ा सा सेंधा नमक डालकर अच्छे से mix कर दीजिए। 
  3. फिर इसमें थोड़ा-थोड़ा करके गुनगुना पानी डालने जाएं और soft dough बना लीजिए।
  4. अब इसे half an hour के लिए rest करने रख दीजिए।

आलू की filling :

  1. एक wok में 1 tablespoon घी डालकर गर्म कीजिए।
  2. इसमें जीरा और chopped green chillies को डालकर चटका लीजिए। फिर इसमें, mashed आलू, नमक, काली मिर्च डालकर सुनहरा होने तक भूनें।
  3. अब इसमें नींबू का रस और बारीक कटी धनिया डालकर अच्छे से mix कर लीजिए।

आलू की filling ready है।


पनीर की filling :

  1. Wok में 1 teaspoon pure ghee डालकर गर्म कीजिए।
  2.  इसमें जीरा और हरी मिर्च डालकर चटका लें।
  3.  अब इसमें grated पनीर डाल दीजिए।
  4. इसमें नमक, नींबू का रस, काली मिर्च डाल दीजिए और पानी सूखने तक भून लें।
  5. अब इसमें बारीक कटा हरा धनिया डालकर अच्छे से mix कीजिए। 
पनीर filling ready है 

Preparation : 
  1. Dough को एक बार फिर से अच्छे से मसल कर soft dough बना लीजिए।
  2. Dough की छोटी-छोटी गोलियां बना लें।
  3. अब इन गोलियों की पूड़ी बना लें।
  4. फिर इन पूड़ियों को बीच में से काट लें।
  5. इन half कटी पूरियों को बीच से fold करके triangular बना लें।
  6. उसमें मनचाही filling भरकर समोसे का मुंह ऊपर से बंद कर दें।
  7. फिर इसे fork से अच्छे से दबा दीजिए।
  8. उसके बाद समोसे को deep fry कर लीजिए।
  9. समोसे को सब तरफ से सुनहरा तल लीजिए।


Yummy & tasty Vrat ka Samosa is ready to go in the swimming pool of your mouth...

गर्मागर्म समोसे को धनिया-पुदीना की चटनी के साथ serve कीजिए। 

(आप व्रत के लिए चटनी बना रहे हों तो चटनी में, salt and black salt की जगह Rock salt डालकर पीसें) 

चलिए अब कुछ ‌‌‌‌‌‌‌‌tips and tricks भी बता देते हैं।


Tips and Tricks -

  1. आप के पास कुट्टू का आटा ना हो तो आप सिंघाड़े या राजगीरे का आटा भी ले सकते हैं।
  2. आप को instant vrat premix की recipe, blog में मिल जाएगी। उसके लिए दिए गए link पर click करें।Instant Vrat Premix
  3. Premix में already salt होता है तो dough में नमक डालते समय, उसकी quantity का ध्यान रखें।
  4. अगर आप साबूदाना या समा के चावल व्रत में नहीं खाते हैं तो premix को छोड़ सकते हैं।
  5. आप को बता दें, premix डालने से समोसे की रंगत और texture दोनों ज़्यादा अच्छा आता है। समोसे ज़्यादा crispy भी बनते हैं। साथ ही दिखने काफी कुछ normal Samose जैसे ही दिखते हैं।
  6. कुट्टू का आटा डालने से binding अच्छी आती है और समोसे बनते समय फटते नहीं हैं।
  7. Dough prepare करने के बाद ½ an hour का rest ज़रूर से दीजिए, जिससे समा के चावल और साबूदाने का आटा ठीक से फूल जाए और perfect समोसे बनें।
  8. आप चाहें तो खाली कुट्टू या सिंघाड़े के आटे का समोसा भी बना सकते हैं, पर उसका dough बनाते समय ध्यान रखें कि वो बहुत जल्दी गीला हो जाता है, इसलिए उसमें पानी धीरे-धीरे डालें।
  9. कुट्टू या सिंघाड़े के आटे को rest कराने की requirements नहीं होती है। 
  10. कुट्टू या सिंघाड़े के आटे के बने समोसे उतने crispy भी नहीं बनेंगे और देखने में थोड़े भूरे-काले से बनेंगे।
  11. Dough हमेशा गुनगुने पानी से ही बनाएं। जिससे कम पानी से ही dough prepare हो जाए।
  12. अगर किसी भी preparation में आटे में मोयन किया गया है, तो कोशिश करना चाहिए कि dough कम से कम पानी में prepare हो जाए क्योंकि ज़्यादा पानी होने से dish खस्ता नहीं बनेगी और मोयन के लिए डाला गया घी व्यर्थ हो जाएगा। 
  13. अगर आप व्रत में लाल मिर्च, अमचूर पाउडर खा लेते हैं तो आप आलू की filling में‌ यह भी डाल सकते हैं।
  14. हम नहीं खाते हैं, इसलिए ही हमने नींबू का रस डाला है।
  15. अगर आप आलू की filling भर रहे हैं तो याद रखियेगा कि आलू जितना अच्छे से भूना होगा समोसा उतना ही tasty होगा।
  16. अगर आप पनीर की filling भर रहे हैं तो याद रखियेगा कि filling अच्छे से dry हो जाए। Filling गीली होने से समोसे बनाते समय घी में खुल जाएगा और सारा घी खराब हो जाएगा। 
  17. समोसे को fork से दबाने से उसमें design भी अच्छी बनती है और समोसे का मुंह भी अच्छे से बंद होता है, जिससे तलते समय समोसे खुलते नहीं हैं।
  18. व्रत के लिए बनाए जाने वाले व्यंजन देसी घी में बनाए जाएं तो उनके स्वाद में चार चांद लग जाते हैं, इसलिए हम हमेशा pure ghee ही use करते हैं। 
  19. आप व्रत के लिए जिस भी घी या तेल का इस्तेमाल करते हैं, वो use कर सकते हैं।
  20. तलने के समय घी की आंच, डालते समय high flame, फिर एक बार पलट देने के बाद slow flame कर दें। 
  21. समोसे के सही बनने में आंच का ध्यान रखना भी बहुत जरूरी होता है।

बस तो सोच क्या रहे हैं, आज ही बना लीजिए, गर्मागर्म समोसे और पूरे घर को खुश कर दीजिए।

अगर आप को किसी शाम, बाजार के जैसे समोसे घर पर बनाने हैं तो click करें... इसमें बहुत सारी tips and tricks के साथ आपको perfect Samosa बनाने की recipe मिल जाएगी👇🏻

Samosa

Friday, 24 March 2023

Recipe : Phalahari Kadhi

नवरात्र के दिन चल रहे हैं, जो कि हम हिन्दुओं के लिए सबसे लंबा व्रत का समय होता है, जिसमें नौ दिन तक व्रत रखा जाता है।

इन नौ दिन में अगर अलग-अलग तरह के फलाहारी व्यंजन बनाए जाएं तो ईश्वर के भोग के लिए और व्रत रखने वाले के लिए भी अच्छा रहता है।

वरना एक सा ही खाना रोज़ बनाए जाए तो खाना खाने में अरुचि बढ़ने लगती है, जो कि नहीं होनी चाहिए और अगर बात भोग की हो तो, हम यही कहेंगे कि भोग बहुत ही स्वादिष्ट होना चाहिए, जिससे हर कोई उसे खुशी खुशी ग्रहण करे।

पहले व्रत का फलाहारी खाना, मुख्यता fried items ही होते थे, पर आज कल लोग बहुत ज्यादा diet conscious हो गए हैं।

तो आज की recipe इन सब बातों को ध्यान में रख कर share कर रहे हैं।

बहुत से लोगों की favourite कढ़ी को हम share कर रहे हैं।

आप कहेंगे कि हम तो फलाहारी की बात कर रहे थे..

जी बिल्कुल फलाहारी ही है, फलाहारी कढ़ी...

मतलब अब आप व्रत में भी कढ़ी का लुत्फ उठा सकते हैं..

कैसे? 

बस लीजिए झटपट बताते हैं, पूरी recipe...

Phalahari Kadhi 



Ingredients :

Curd - 1 cup

Buckwheat Flour - 1 cup

Rock salt - according to taste

Cumin seeds - 1 tsp

Roasted Ground nut - 1 tsp

Ginger chilli paste - optional

Clarified butter - for frying 

Coriander leaves - for garnishing 


Method :

दही को फेंट कर रख लीजिए।

मूंगफली का powder बना लीजिए।

इसमें से एक चम्मच दही, कट्टू के आटे में डाल दीजिए, नमक व पानी डालकर smooth paste बना लीजिए।

एक wok में घी गरम कीजिए।

कुट्टू के आटे के paste में से दो चम्मच, paste छोड़ कर, बाकी paste के छोटे-छोटे पकौड़े बना लीजिए।

बचे हुए paste में, बचा हुआ दही, मूंगफली का powder अच्छे से mix कर दीजिए। 

अब इसमें 2 cup पानी डालकर घोल बना लीजिए।

Wok में 1 tsp घी छोड़कर बाकी सारा घी निकाल दीजिए। 

अब इसमें अदरक मिर्च का paste डालकर हल्का भून लें।

अब धीरे से घोल डालकर एक उबाल आने तक high flame पर पकाएं।

एक उबाल आ जाने पर, इसमें स्वादानुसार नमक डालकर mix कर दीजिए।

अब इसमें छोटी छोटी पकौड़ियाँ डाल दीजिए।

और slow flame पर गाढ़ा होने तक पकाएं। 

जब proper consistency आ जाए तो एक laddle में घी गरम करें, उसमें जीरा डालकर चटका लें।

अब इससे कढ़ी का छौंका लगा लीजिए।

इसे Finely chopped coriander leaves से garnish कर दीजिए।

Now phalahari kadhi is ready to serve.

You can serve it with sma ke rice, phalahari pulav, phalahari Paratha etc. 

चलिए कुछ tips and tricks भी देख लेते हैं, perfect phalahari kadhi बनाने के लिए।


Tips and Tricks :

आप कढ़ी बनाने के लिए कुट्टू के आटे की जगह, राजगीरा का आटा या सिंघाड़े का आटा भी अपने taste के according ले सकते हैं। सभी की कढ़ी बहुत tasty बनती है।

घोल बनाने में पानी बिलकुल धीरे-धीरे डालें, इन आटों का घोल बहुत जल्दी गीला हो जाता है।

आप बिना पकौड़ी के भी कढ़ी बना सकते हैं।

आप पकौड़ी की जगह यह भी कर सकते हैं कि उबले आलू को mash कर लें, उसमें नमक और हरा धनिया डाल लें। 

फिर इन आलू की छोटी-छोटी गोलियां बना लें, फिर इन्हें आटे के घोल में डुबोकर छोटी छोटी पकौड़ियां बना लें। जिन्हें फिर कढ़ी के घोल में डाल दीजिए।

इस तरह की कढ़ी भी बहुत tasty बनती है।

अगर आप चाहें तो घोल में पकौड़ी की जगह तले हुए आलू डालकर भी कढ़ी बना सकते हैं।

आप चाहें तो मूंगफली के paste की जगह, काजू paste भी डाल सकते हैं।

आप काजू और मूंगफली के बिना भी कढ़ी बना सकते हैं।

आप अगर व्रत में लाल मिर्च पाउडर और करी पत्ता आदि खा लेते हैं तो उसे भी छौंके में डाल सकते हैं।

इस कढ़ी में pure ghee ही use करें, यह taste में चार चांद लगा देगा।

आपको बहुत variety की कढ़ी बता दी।‌‌‌‌‌इसमें पकौड़ी वाली कढ़ी ही थोड़ी difficult है, बाकी सभी बहुत easily बन जाती है। 

तब सोचना क्या है, आप अपने flavour के according कढ़ी बनाएं और व्रत में भी कढ़ी का लुत्फ उठाएं।

इसी तरह की बहुत सी fast recipe के लिए, click करें 👇🏻

Recipe - Fast

Wednesday, 22 March 2023

Bhajan (Devotional Song) : बड़ी प्यारी लागे, बड़ी सोणी लागे

 बड़ी प्यारी लागे, बड़ी सोणी लागे 




सज-धज के आई माँ, 

सिंह पे सवार। 

करने भक्तों पे,

किरपा अपार।


बड़ी प्यारी लागे, 

बड़ी सोणी लागे।

हां, बड़ी प्यारी लागे,

बड़ी सोणी लागे।


मां की लाल लाल, 

चुनर सोहे।

उनकी बिंदिया,

भा गई मोहे।


बड़ी प्यारी लागे, 

बड़ी सोणी लागे।

हां, बड़ी प्यारी लागे,

बड़ी सोणी लागे।


माँ के हाथों की,

चूड़ी सोहे।

उनके कंगन,

भा गए मोहे।


बड़ी प्यारी लागे, 

बड़ी सोणी लागे।

हां, बड़ी प्यारी लागे,

बड़ी सोणी लागे।


माँ के पैरों की,

 पायल सोहे।

उनके बिछुए,

भा गया मोहे।


बड़ी प्यारी लागे, 

बड़ी सोणी लागे।

हां, बड़ी प्यारी लागे,

बड़ी सोणी लागे।


मां हैं निराली,

उनका शेर भी निराला।

भक्तों को माँ के दर्शन,

 करवाने वाला। 


बड़ी प्यारी लागे, 

बड़ी सोणी लागे।

हां, बड़ी प्यारी लागे,

बड़ी सोणी लागे।


जो कोई उनके, 

दर पे आए।

झोली ना उसकी,

खाली जाए।


बड़ी प्यारी लागे, 

बड़ी सोणी लागे।

हां, बड़ी प्यारी लागे,

बड़ी सोणी लागे।



         
    🙏🏻शेरावाली माता तेरी सदा ही जय हो🙏🏻

आप सभी को चैत्र नवरात्र की हार्दिक शुभकामनाएं 💐 

माँ की कृपा हम सब पर सदैव बनी रहे 🙏🏻🙏🏻 

हिन्दू नववर्ष पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🏻🎉


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Tuesday, 21 March 2023

Poem : कविता क्या होती है?

आज कविता दिवस के पावन अवसर पर सोचा कि क्या लिखा जाए?

फिर मन में यही आया कि क्यों ना कविता दिवस पर एक कविता ही समर्पित की जाए, एक कविता, कविता के नाम...

कविता क्या होती है?


कविता क्या होती है

कविता वो होती है 

जो भावों में लिपटी 

चंद शब्दों में सिमटी 

बड़ी कहानी 

कह जाती है 

दिल में रवानी सी

चली जाती है 

वही कविता कहलाती है

जो समझे 

खुद को प्रकांड

उनके लिए कविता है

नियमों का बंधन  

पर जो लिखता हो 

दिल से दिल तक 

उसके लिए कविता है

पूर्णतः स्वच्छंद 

कभी तलवार की धार से भी

तेज है कविता 

कभी प्रियतम से

मिलन की सेज है कविता

कभी आंसू में सिमटी

विरह की वेदना

कभी ममता की मिठास में

माँ की संवेदना 

हर रूप हर रंग में

सजी होती है कविता 

जो दिल में उतर जाए 

वही होती है कविता 


आप सभी को विश्व कविता दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं 💐

Monday, 20 March 2023

Poem: यह कैसा मौसम??

 यह कैसा मौसम??


यह कैसा मौसम है आया?

कहीं खुशियाँ, कहीं आंसू लाया।

गर्मी में सर्द या सर्दी में गरम,

कहीं किलकारी, कहीं आँखें नम! 


कहीं बच्चों ने खुशी से ताली बजाई,

जब ओलावृष्टि ने श्वेत चादर फैलाई।

यही चादर आंसूओं के सैलाब लाई,

नहीं हो सकी थी खड़ी फसलों की कटाई!


बसंत जो इस बरस नहीं आया,

भभकती गर्मी से था, हर दिल धबराया।

गरजे जो बादल, मन मयूर नाचे,

नेह से हर कोई काले मेघों को ताके।


मगर है अन्नदाता दुःखी परेशान,

खुशियां हो रही उसकी कुर्बान।

अबकी भी नहीं होगा कर्जा पूरा, 

सपना रह जाएगा फिर से अधूरा!


गर अन्नदाता रहा जो परेशान,

सुखी तब रहेगा कौन?

गुनहगार हैं हम सब इसके,

    प्रकृति अब नहीं रहेगी मौन!      

                             

Friday, 17 March 2023

Story of Life : मेरी सास ही मेरी सांस (भाग-5)

 मेरी सास ही मेरी सांस (भाग-1) 

मेरी सास ही मेरी सांस (भाग-2) 

मेरी सास ही मेरी सांस (भाग-3)

मेरी सास ही मेरी सांस (भाग-4) के आगे...


मेरी सास ही मेरी सांस (भाग-5) 



बहू को बुला लूं? वो भी कहां जाना चाहती थी...  फिर मन बदल लिया, अगर बेटे-बहू को पता चलेगा तो बहू वापस आ जाएगी, फिर उनके वैवाहिक जीवन का क्या होगा...

रैना, संयम के साथ दिल्ली पहुंच गई । घर पहुंच कर सामान set करने में उसने सबसे पहले मंदिर स्थापित किया। फिर सारे सामान set किए।

अगली सुबह, रैना चार बजे ही नहा-धोकर पूजा अर्चना करने लगी। घंटी की आवाज से संयम की नींद खुल गई।

अरे रैना, रात से ही तुमने क्या शुरू कर दिया?

रात कहां, चार बज गए हैं, पूजा अर्चना का समय हो गया है। संयम बोला, क्या हो गया है तुम्हें ?

कुछ नहीं, और यह कहकर वो पूजा पाठ में मग्न हो गई।

अब तो जो त्यौहार आता रैना, मां से पूछकर, सब कुछ बहुत विधि-विधान से करती। 

संयम, रैना से बोलता भी, मां कौन सा यहां हैं जो तुम इतना टिटींबा पाल लेती हो...

रैना हर बार, बस एक बात ही बोलती, मुझे मां ने अपने विश्वास पर दिल्ली भेजा है, तो मैं उसे कैसे तोड़ सकती हूं? तुमने मुझे से पहली रात को ही कहा था कि मां का बहुत मान है और वो मेरे कारण कम नहीं होना चाहिए... 

तब से वो बात, मेरे लिए हर बात से पहले रहती है...

संयम बोलता तो जरूर था, पर रैना का घर के रिति-रिवाजों को मानते रहना, कहीं ना कहीं उसे अच्छा बहुत लगता था। 

इधर रैना अपनी सास पर और गायत्री जी अपनी बहू पर जान छिड़कती थीं।

जब भी वो लोग घर पहुंचते, उनके स्वागत के लिए बहुत लोग हमेशा घर पर मौजूद होते थे। क्योंकि मां 15 दिन पहले से ही सबको बताने लगती थी कि उनका बेटा-बहू घर आ रहे हैं। वो 15 दिन पहले से ही बेटा-बहू के आने की तैयारी में जुट जातीं। 

घर में जब भी रैना और संयम पहुंचते हमेशा VIP वाली feelings आती। मां के हाथों से बने ढेरों पकवान खाने के बाद तो उनका लौटने का मन ही नहीं करता, पर आना भी जरूरी था संयम के लिए। 

कुछ दिनों बाद, रैना मां बनने वाली थी। रैना ने कहा कि मैं घर जाऊंगी, संयम ने उसके मायके का टिकट करा दिया। रैना ने कहा नहीं, मैं मां के पास रहूंगी, अभी बच्चे के लिए उनसे अच्छा कोई नहीं।

गायत्री जी ने बड़े लग्न से रैना के वो चालीस दिन पूरे किए। उसे एक कदम नीचे नहीं रखने दिया। रैना के खान-पान से लेकर बच्चे और रैना के हर तरह के काम और देखभाल की। सभी काम पूरे नियम कानून से ही किए।

दूसरे बच्चे के समय, रैना घर नहीं जा पाई तो, गायत्री जी सारे तामझाम के साथ उन लोगों के पास पहुंच गईं और सभी काम पूरे नियम कानून से ही किए। किसी तरह की कोई कसर नहीं छोड़ी।

उनके जाने के बाद कुछ दिन के लिए, रैना की मम्मी आईं।

उन्होंने रैना से कहा कि, बेटा दूसरे बच्चे के समय मुझे बुला लेती...

रैना ने कहा, मां मैं आज आपको एक बात बताती हूं, मेरी सुहागरात में जब संयम ने कहा कि मुझे सुबह चार बजे उठना है, मुझे तुम पर और पापा पर बहुत क्रोध आया था कि मेरी शादी कैसी जगह कर दी, इतनी पूजा पाठ भी किसलिए? और ऊपर से यह कहकर भेज दिया कि वहीं के रंग में रंग जाना।

पर मैं धीरे धीरे इस घर में रमती गई‌ और साथ ही जानती गई कि मेरी सास कितनी अच्छी हैं। मां मैं कब उन जैसी बन गई, मुझे पता ही नहीं चला। 

अपने ससुराल में हमारा हमेशा भव्य स्वागत होता है, वो नहीं होती तो कैसे होता? कैसे 15 दिन पहले से हमारे आने की सबको ख़बर होती? कैसे हम मां के हाथों के इतने पकवान खाते।

मां, मुझे पता ही नहीं चला, कब मेरी सास ही मेरी सांस बन गईं, मुझे उनके बिना अपनी जिंदगी ही संभव नहीं लगती है।

मां इसके लिए आप और पापा का भी thank you...

क्योंकि आप ने रमने को ना कहा होता तो, अपने घर से बिल्कुल विपरीत परिस्थितियों में, मैं शायद ढल नहीं पाती...

बेटी, हम जहां भी रहें, अगर वहां कि परिस्थितियों में ढल गए, तभी जीवन सुखद लगता है। और जब बात दो लोगों के बीच के सामंजस्य की हो तो, कोशिश दोनों तरफ से होने से ही संबंधों में प्रगाढ़ता आती है,  प्रेम बढ़ता है।

मुझे गर्व है कि मेरी बेटी सुख दे भी रही है और पा भी रही है...


आज की कहानी, पुराने जमाने की नहीं बल्कि आज के ही परिवेश की है, यह कोई काल्पनिक कहानी नहीं,वास्तविक कहानी है। यह कहानी एक सफल सास-बहू के ताने-बाने की कहानी है जो एक दूसरे के पूरक बन गये... 

उन दोनों को ही मेरा प्रणाम 🙏🏻

Thursday, 16 March 2023

Story of Life: मेरी सास ही मेरी सांस (भाग- 4)

 मेरी सास ही मेरी सांस (भाग-1) 

मेरी सास ही मेरी सांस (भाग-2) 

मेरी सास ही मेरी सांस (भाग-3)


मेरी सास ही मेरी सांस (भाग- 4)


मां बोली, अकेले जाएगा कि बहू को भी ले जाएगा?

पर रैना तो आपके पास..

मेरे लिए शादी की थी, भोलेनाथ? 

चल मैं ही बोल देती हूं रैना को... 

रैना बेटा, जल्दी से तैयारी कर लें, संयम के साथ तुम भी दिल्ली जा रही हो।

दिल्ली... पर मैं तो आपके साथ रहूंगी...

मेरे तो बेटा-बहू दोनों ही भोलेभंडारी हैं। शादी हुई है तुम दोनों की एक दूसरे के लिए, ना कि मां-पापा के लिए...

अच्छा मां, कहकर रैना अपने कपड़े pack करने लगी।

अरे यह क्या बांवरी, तुम्हरा पति गांव देहात में नौकरी नहीं करता है जो साड़ी पर साड़ी रखती जा रही है। 

कुछ अच्छी साड़ी और कुछ सूट रख लो, और हां संयम बहू को कुछ ढ़ंग की jeans and western dress भी दिला देना। 

रैना बड़े आश्चर्य से अपनी सास को देख रही थी, कितनी खुली सोच की हैं मां...

अरे ऐसे क्या देख रही हो, तुम दिल्ली में जो चाहे पहनो, मुझे कोई ऐतराज नहीं है, बस ध्यान रखना कि dress ऐसी हो, जो कि मर्यादा में हो।

और एक बात याद रखना,  यहां जब भी आओगी, साड़ी ही पहननी है। 

जी मां, हमेशा याद रखूंगी...

घर में सब गायत्री जी से बहुत डरते हैं, पर रैना ने सारे डर को भूलाकर गायत्री जी के गले लगा गई। मां ने भी बहू को बहुत सारा प्यार किया। 

संयम बड़े अचरज से मां को देख रहा था, कोई मां के गले से भी लग सकता है। मैंने यह हिम्मत कभी क्यों नहीं की...

थोड़ी देर बाद मां बोली, अब छोड़ मुझे, वरना यहीं रुकना होगा। रैना ने झट छोड़ दिया, सभी जोर जोर से हंसने लगे।

रैना संयम के साथ दिल्ली चली गई। उन लोगों के जाने के बाद गायत्री जी अपने कार्यों में यथावत लग गई पर संयम और रैना के जाने से उन्हें बहुत खाली खालीपन महसूस हो रहा था।

वो सोचने लगी कि बेटा तो हर बार जाता था पर कभी ऐसा नहीं लगा, फिर इस बार क्यों?

बहू को बुला लूं? वो भी कहां जाना चाहती थी... 

आगे पढ़े...मेरी सास ही मेरी सांस (भाग- 5) अंतिम भाग में..

..

Wednesday, 15 March 2023

Story of Life: मेरी सास ही मेरी सांस (भाग-3)

मेरी सास ही मेरी सांस (भाग-1) 

मेरी सास ही मेरी सांस (भाग-2)

मेरी सास ही मेरी सांस (भाग-3) 


अपने मायके में सबसे देर से उठने वाली रैना, आज उठकर, नहा-धोकर तैयार थी। 

शायद सबने उसकी सास का जो खाका खींचा था, उसी का असर था। 

संयम के साथ रैना भी पूजा के लिए मंदिर में आ गई थी और आते से ही सबके चरणस्पर्श करने लगी।

ठहर जाओ बहू, हमारे घर में सबसे पहले ठाकुर जी के चरणस्पर्श करते हैं, उनकी पूजा अर्चना करते हैं, उसके बाद ही किसी और के पैर छूते हैं। 

जब भजन कीर्तन शुरू हुआ तो रैना से भी भजन गाने को कहा गया, तो उस ने कान्हा जी का एक बहुत ही सुरीला भजन गाया।

सब वो भजन सुनकर मंत्र मुग्ध हो गये।

बहू को सुबह सुबह मंदिर में देखकर और भजन सुनकर, सब गायत्री जी से बोली रहे थे। मान गए जिज्जी, आपको बहुत ही संस्कार वाली बहू मिली है।

गायत्री जी, बड़े गर्व और प्यार से रैना की तरफ देख थी।

आज पहली रसोई भी थी, पर रैना को कुछ समझ नहीं आ रहा था, ऊपर से नींद के झोंके आ रहे थे, सो अलग।

अभी वो सोच ही रही थी कि क्या बनाए, तब तक गायत्री जी अंदर आ गई थी।

वो बोलीं, बिटिया हमने बहुत सारी चीजों की तैयारी कर दी है, तुम बस झटपट सब गर्म करके अच्छे से लगा दो। 

मीठा तो तुम्हें ही बनना होगा, पर हां सूजी भी भूनी रखी है, उसमें चीनी भी मिली रखी है, तुम उसे खूब सारे घी और मेवे के साथ तैयार कर लो।

हम जा रहे हैं, नहीं तो सबको लगेगा हम ही सब कर रहे थे।तुम सब लाकर dinning table सजा देना...

यह कहकर गायत्री जी चलीं गईं पर रैना के लिए सब आसान कर गईं।

कुछ देर में ही रैना ने सारी dinning table सजा दी। सबने जब नाश्ता खाया तो हर तरफ से वाह-वाह के स्वर सुनाई दे रहे थे। 

अरे भाई संयम, तुम्हारी पत्नी ने तो पहले ही दिन में मैदान जीत लिया।

सच भाभी, बड़े गुणों वाली बहू ढूंढी है आपने संयम के लिए।

रैना को झोली भर भर कर आशीर्वाद और नेग मिल रहे थे। 

आज रैना को जो भी तारीफ मिल रही थी, उसमें गायत्री जी का भी हाथ था। पर उन्होंने वो किसी को नहीं बताया...

एक से दो दिन में सारे मेहमान चले गए। पर सुबह चार बजे उठने का नियम नहीं बदला...

पर बस सुबह उठकर नहा-धोकर पूजा अर्चना ही करना होता था, बाकी के काम तो सुघड़ गायत्री जी इतनी जल्दी निपटा देती थीं कि जब तक कोई सोचे कि क्या काम करना है, काम ख़त्म हो चुका होता था। 

घर के काम निपटने के चंद घंटे बाद से ही लोगों का तांता लगने लगता था, कोई मुहूर्त पूछने आता, कोई पूजा पाठ के नियम कानून... 

आस-पास कहीं भी कोई भी पूजा पाठ व्रत त्यौहार होते और मां के नाम की गुहार लग जाती। 

मां नियम कानून में रची-बसी ही दिखती। रैना समझ गई थी कि उसकी सास का कितना मान है, साथ ही कि बस नियम कानून पर विशेष ध्यान देना है और जीवन सुखद रुप से कट जाएगा।

एक हफ्ते में रैना को सुबह उठने से परेशानी होना बंद हो गई थी बल्कि अब तो उसे सुबह उठने के फायदे नज़र आने लगे थे। 

उसको बचपन से ही सिर दर्द की परेशानी थी, जो अब जल्दी उठने के कारण ठीक हो गई थी।

संयम को वापस दिल्ली लौटना था, उसने मां से कहा कि, मुझे जाना होगा।

मां बोली, अकेले जाएगा कि बहू को भी ले जाएगा? 

आगे पढ़े मेरी सास ही मेरी सांस (भाग-4) में....

Tuesday, 14 March 2023

Story of Life : मेरी सास ही मेरी सांस (भाग-2)

 मेरी सास ही मेरी सांस (भाग-1) के आगे...

मेरी सास ही मेरी सांस (भाग-2)



तभी रैना को अपनी हमउम्र एक लड़की ने पीछे से थपथपाया, क्या सोच रही हैं भाभी? भैया को ढूंढ रही हैं निगाहें?

तो रहने दीजिए, कुछ भी मत सोचिए। आपको बता दूं, भैया आपको सारी रस्मो-रिवाज के पूरे होने से पहले नहीं मिलेंगी दूसरा यह आपका कमरा नहीं है।

मेरा कमरा नहीं है?

हां, सारी रस्मो-रिवाज होने तक आप हम सब औरतों के साथ ही रहेंगी और जब तक यहां रहेंगी, मज़े में रह लीजिएगा।

एक बार इस कमरे से बाहर आ गई तो फिर नियम कानून से बंध गई।

नियम कानून...! 

हां भाभी, बुआ जी नियम कानून की चलती फिरती  पाठशाला हैं। पूजा पाठ से जुड़ी कोई जिज्ञासा ऐसी नहीं होगी, जो वो शांत ना कर दें।

हम हिन्दुओं के धर्म कर्म, नियम की समस्त ज्ञाता हैं...

तभी बाहर से आवाज़ आई, रेखा भाभी को सारा ज्ञान आज ही दे देगी या कुछ उसे खुद भी समझने देगी। चल इधर आ कर कल की तैयारी करवा ले...

अभी आई, कहकर रेखा भाग गई.. 

रेखा के बताने से कमरे की बात तो पता चल गई। पर अब रैना को संयम का कोई इंतज़ार नहीं था। क्योंकि वो तो वैसे भी सारी रस्मो-रिवाज के बाद ही मिलने थे।

पर अब उसे इस बात की curiousity ज्यादा थी कि दो दिन बाद, ऐसे भी क्या नियम कानून होंगे जो जिंदगी बदल जाएगी...

रात में सभी औरतें सोने के लिए आ गई। सभी के लिए बहुत अच्छी व्यवस्था थी पर सबसे ज्यादा ध्यान रैना का रखा जा रहा था।

दो दिन बाद ही मुंह दिखाई थी, सुबह से ही घर लोगों से खचाखच भर गया। और सुबह से ही रस्म भी शुरू हो गई, जो कि रात होते होते ही पूरी हुई...

आज रैना को उसका अपना कमरा दिखा दिया गया। कमरा बहुत ही सुन्दर और व्यवस्थित था।

रात में संयम भी आ गया। दोनों के प्रेम की मिलन बेला आ गई थी। 

सोने से पहले संयम ने रैना से कहा, सुनो सुबह चार बजे उठ जाना और हां नहाकर तैयार हो जाना, भोर की आरती के लिए..

चार बजे...चार बजे कौन सी सुबह होती है? उस समय तक तो सूर्य देव भी नहीं निकलते...

हमारे यहां यही नियम है, मां की मंदिर की घंटी के साथ ही सुबह हो जाती है। वही सबका उठने का और पूजा के लिए तैयार हो जाने का Alarm होता है... 

और हां ध्यान रखना इस बात का, मां का बहुत मान है सब लोगों में, तुम्हारे कारण कम ना होए...

यह कहकर संयम तो सो गया, पर रैना को नींद नहीं आ रही थी। वो तो 7 बजे से पहले कभी उठी ही नहीं थी। 

मम्मी कभी कहती भी थीं कि रैना जल्दी उठ जा, तो वो यही कहती, 7 बजे के बाद ही तो सुबह होती है और उसके पहले रात... और रात तो सोने के लिए होती है.. 

पर मां और मायके की तो बात ही अलग होती है... यहां उसकी कौन समझेगा? 

मम्मी-पापा आप ने कैसी जगह मेरी शादी कर दी!.. रैना मन ही मन दुखी होते हुए सोच रही थी।

नया घर, नये नियम... 

फिर मम्मी-पापा ने भी तो कहा था कि अब से वही तुम्हारा घर है, वहां जैसा होता है, वैसी ही तुम भी ढल जाना...

सोचते सोचते, रैना की कब आंख लग गई, उसे भी नहीं पता चला...

सुबह के चार बज गए और बज गई मां के मंदिर की घंटी...

आगे पढ़े मेरी सास ही मेरी सांस (भाग-3) में...

Monday, 13 March 2023

Story of Life : मेरी सास ही मेरी सांस

 मेरी सास ही मेरी सांस 


अल्हड़, शोख, चंचल रैना, ने जवानी की दहलीज पर कदम रख दिया था। 

वो इतनी हसीन थी कि हर जगह से उसके लिए रिश्ते आ रहे थे। पर उसके मां-पापा उसके लिए सुयोग्य घर-वर की तलाश कर रहे थे।

एक दिन उनका इंतज़ार ख़त्म हुआ, जब एक संस्कारी और पूजा-पाठी परिवार से रिश्ता आया। संयम एक सरकारी कम्पनी में उच्च पद पर आसीन था। 

बहुत धूमधाम से विवाह समारोह संपन्न हुआ, मां-पापा ने अपनी लाडली को, ससुराल से जुड़ने उसे अपना परिवार समझना, जैसे सुसंस्कारों के साथ, खुशी खुशी विदा कर दिया।

अपने मायके से अपने ससुराल आने तक रैना ने अपना मन बना लिया कि आज से यही मेरा परिवार है और यही मेरी दुनिया...

बहुत ही भव्य तरीके से उसका स्वागत हुआ, उसके स्वागत में ढोल नगाड़े, शहनाई आदि बजाए गये। द्वार पर आरती और नजर उतारने के लिए ही बहुत सारी औरतें थाल सजाए खड़ी थीं। मंगलाचार के साथ गृहप्रवेश हुआ। 

गृह प्रवेश के साथ ही बहुत सारी रस्मो-रिवाज प्रारंभ हो गये।

रैना के घर में बहुत सी शादियां हुईं थीं, पर इतनी रस्में तो, किसी की शादी में नहीं देखने को मिली थी कि ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रही थी। 

वैसे उसका एक और कारण भी था, हर रस्म को करने वाले लोग भी बहुत थे। ऐसा लग रहा था कि मानो स्वागत के लिए पूरे शहर को बुला लिया है। 

वो लोग सुबह 10 ही घर आ गए थे और अब शाम के आठ बजने वाले थे। 

तभी सासू मां ने कहा, सब भोजन ग्रहण कर लें जितने लोग, आज रस्में पूरी  नहीं कर पाएं हैं, वो दो दिन बाद मुंह दिखाई की रस्म में आकर रस्म पूरी कर लें।

सभी भोजन ग्रहण करने करने चले गए, और रैना के लिए भी थाली सजकर आ गई। 

और उसके बाद रैना को एक कमरे में आराम करने के लिए भेज दिया गया। 

उस कमरे में बहुत सारे गद्दे बिछे हुए थे। रैना को कुछ सूझ नहीं रहा था कि आखिर यह किस कमरे में उसे आराम करने को कहा गया है, जहां एक नहीं बल्कि बहुत से गद्दे बिछे हुए थे।

आगे पढ़े, मेरी सास ही मेरी सांस (भाग - 2) में...

Thursday, 9 March 2023

Memories: त्यौहार सिमट गये

त्यौहार सिमट गये 

आज सुबह जब खिड़की खोली, तो आसमान का रंग कुछ ऐसा था, जो बरबस ही यादों के झरोखे में ले गया।

यूं तो हर त्यौहार की अपनी अलग ही विशेषता होती है, पर हम हिन्दुओं में होली और दीवाली की अधिक महत्ता होती है।

बात बचपन की है। तब हम चारों भाई-बहनों को होली कुछ ज्यादा ही आकर्षित होती थी। आप कहेंगे कि बच्चों में रंग खेलने की इच्छा बलवती ही होती है।

जी, बिल्कुल सही कहा आपने, पर इसके साथ इससे भी बड़ा कारण था, हम लोगों के बड़े चाचा-चाची और छोटी बहन का आना होता है।

उन लोगों के आने से त्यौहार में चार चांद लग जाते थे। और हम सब बच्चे चले जाते थे, अपने dreamland में...

उसका भी एक कारण था, चाचा की बेटी की सारी इच्छा पापा-मम्मी पूरी करते थे। और हम लोग की चाचा-चाची.. तो अगर देखें तो हम पांचों भाई बहन के वो दिन स्वप्निल हो जाते थे। 

मतलब अपने-तुम्हारे की भावना से ऊपर हमारे के भाव में रहा करते थे हम लोग...

होलिका दहन के दो दिन पहले से लेकर, होली खेलने और उसके बाद दूज के और दो दिन बाद तक बस मस्ती मज़ा और धमाल..

मम्मी और चाची का मिलकर होली के पकवान बनाना, चाचा का कलात्मक तरीके से गुजिया गोंठना... कभी भूलेगा ही नहीं..

फिर दूज के दिन, रूचना-टीका के बाद चाचा-चाची का हम लोगों का फिल्म दिखाने ले जाना, वो तो जैसे सोने पर सुहागा ही हो जाता था...

उन लोगों ने हम लोगों को खूब फिल्में दिखाईं, सब बहुत अच्छी थी, लेकिन जो सबसे अच्छी लगी थी, वो थी मैंने प्यार किया

Undoubtedly वो फिल्म बहुत अच्छी थी, पर उसमें भी एक खास कारण था, जो वो विशेष पसंद थी।

हुआ यह था कि जब हम लोग पहुंचे थे तो, फिल्म शुरू हो चुकी थी। जैसे ही हम लोग picture hall  में पहुंचे, उसमें आलोकनाथ कहता है सुमन, और भाग्यश्री पलटती है, सुमन नाम सुनकर, हम सब चाची की तरफ देखने लगे और चाची ने मीठी सी मुस्कान दे दी।

दरअसल हमारी सुंदर सी चाची का नाम भी सुमन है, तो समझे आप क्यों वो फिल्म special थी?

नहीं समझे? अरे भाई heroine के साथ फिल्म देखने वाली feeling आ रही थी।

ऐसी ही बहुत सी मीठी यादों के साथ होती थी, हमारी होलिका दहन के दो दिन पहले से दूज के दो दिन बाद तक की होली

तो यह तो रहा, बचपन का हमारा होली का त्यौहार

फिर शादी हो गई, बंगाल में पहुंच गए, सबसे दूर, किसी का आना-जाना नहीं, सारे त्यौहार सूने से ही जाने लगे, क्योंकि पतिदेव की कभी भी छुट्टी नहीं होती थी ..

बहुत प्रयास के बाद, ईश्वर की कृपा, बड़ों के आशीर्वाद, मामा और बड़े भाई के सहयोग से दिल्ली आ गए।

यहां छोटा भाई भी था। एक बार फिर से त्यौहारों का अस्तित्व में आना शुरू हो गया। फिर से होली का त्यौहार, सिर्फ रंगोत्सव के रूप में सिमट कर नहीं रह गया था, बल्कि फिर से दूज का इंतज़ार रहने लगा था। 

भाई-भाभी और बिटिया रानी के आने से दूज में फिर से रौनक लौट आई थी। जैसे चाचा-चाची के आने से हम भाई-बहन स्वप्निल संसार में होते थे, वैसे ही भाई-भाभी और बिटिया के आने से बच्चे dreamland में होते, वो सबके लिए बहुत कुछ लेकर आते, हम भी खूब सारे पकवानों के साथ तैयार रहते...

बहुत ही सुखद अनुभव रहता था, त्यौहार, त्यौहार लगता था। 

पर अभी कुछ साल पहले ही वो लोग Bombay चले गए।त्यौहार की रौनक धूमिल लगने लगी। अब ना दूज में इंतज़ार रहता, ना उस दिन किसी पकवान को बनाने की इच्छा।

पर रही सही कसर, इस बार की होली में निकल गई, बच्चों के exam का schedule ऐसा था कि होली के कुछ दिन पहले से शुरू होकर होली के कुछ दिन बाद तक exams हैं और हद तो यह है कि होली के एक दिन पहले भी और एक दिन बाद भी..

जब बच्चों को हर समय पढ़ते ही रहना होगा तो क्या होली?

फिर किस तरह से बच्चों में उमंग और उत्साह रहेगा?..

क्या इस तरह से बच्चों के जीवन से उत्साह, उल्लास, उमंग और जोश या यूं कहें कि बचपन ही ख़त्म नहीं हो जाएगा?

अब तो होली की छुट्टी, school हो, college हो या office हो, मात्र एक दिन की ही होती है। इतना बड़ा त्यौहार और छुट्टी बस एक दिन..

Board के exam तो जब हमारा बचपन था और आज जब हमारे बच्चों के board हैं, होली के त्यौहार की रौनक तो हमेशा से ही तहस-नहस कर दी जाती है।

पर अब जब सरकार हिन्दुत्व की ओर बढ़ावा दे रही है तो उनसे अपील है कि अगर हिन्दुत्व को महत्व देना है, तो यह सम्भव तो तभी होगा ना, जब त्यौहार, संस्कृति और संस्कार को बढ़ावा मिलेगा।

ऐसे में बड़े त्यौहार में दो या तीन दिन की छुट्टियां रहे, atleast बच्चों की तो रहे ही, साथ ही उनके final exam की date ऐसे हों कि या तो होली आने के पहले ख़त्म हो जाए या होली के 4 से 6 दिन बाद start ह़ो... 

आप कहेंगे कि आज कल schools and colleges तो, ज्यादातर private ही होते हैं तो उसमें सरकार से appeal से क्या होगा? 

तो उसका जवाब यह है कि अगर government order रहेगा तो private हो या government, rules तो सबको follow करने ही होंगे।

अगर यह बात, सरकार तक पहुंच जाए और त्यौहारों पर ज्यादा दिनों की छुट्टी मिल जाए, तो त्यौहार जो सिमट कर रह गये हैं, वो अपना अस्तित्व वापस पा लेंगे और कुछ हद तक बच्चों को भी अपना बचपन वापस मिल जाएगा...

तो बच्चों और धर्म के लिए इतना तो बनता है।


भाई-दूज पर्व पर सभी भाइयों व बहनों को हार्दिक शुभकामनाएं 💐 🙏🏻

Wednesday, 8 March 2023

Poem: होली और नारी

 होली और नारी 


बाबू जी सोच रहे सिर को खुजलाए,

श्रीहरि को इस बरस सूझी क्या?

जो होली और महिला दिवस दिए मिलाए, 

आखिर किस तरह से दोनों में एक गुण समाए? 


हम बोले उनसे, 

सोचकर देखें तो एक बार।

नारी में है रंग हज़ार,

और होली है रंगों का त्यौहार।  


बाल रूप के रंग से ही,

कन्या सबको भाती है।

उसके इस रुप में,

वो देवी नजर आती है।


यौवन के उसके रंग में,

दुनिया रंग जाती सारी है।

अधूरी लगती है जिंदगी,

अगर मिलती नहीं नारी है।


मां के रंग की तो,

छटा ही अजब निराली है। 

मां के साये बिन तो,

सृष्टि ही पूरी खाली है।




जिस घर होली में,

पत्नी, सलहज या ना हो साली।

तो लाख रंग बिखरे रहे धरा पर,

होली  लगती नहीं मतवाली।




तुरंत समझ गये बाबू जी,

लाख पते की बात।

होली भली लगे तबहिं

जब नारी रहती साथ। 



आप सभी को होली की हार्दिक शुभकामनाएं 💐🎉🎨🙏🏻

Happy Women's Day💃

Tuesday, 7 March 2023

Tip : Pre - Holi Skin Care

Holi का त्यौहार, रंगों और उमंगों का त्यौहार है। लेकिन आज कल त्यौहार में वो रौनक और उत्साह नहीं रह गया है, जो कभी पहले देखने को मिलता था।

इसकी बहुत सारी वजहें है, लेकिन सबसे बड़ी वजह है, मिलावट और chemicals वाले रंग और गुलाल, जिसके कारण skin में itching, irritation and pimples हो जाते हैं।

पहले कुछ खराब quality के रंगों को छोड़ कर सभी रंग और गुलाल, बहुत अच्छी quality के ही मिलते थे।

लेकिन अब तो बिना मिलावट और chemicals के गुलाल भी मिलना मुश्किल है। 

होली में एक समस्या और होती है कि आप के herbal colour लाने से नहीं बल्कि दूसरे लोगों के herbal colour लाने से आप सुरक्षित रहेंगे, क्योंकि आपके चेहरे पर तो वही रंग लगेगा, जो दूसरों के पास होगा।

पर कर क्या सकते हैं? हर कोई तो आपके कहने से herbal colours लाएगा नहीं...

क्यों नहीं कर सकते हैं... आप ने सुना होगा अपनी सुरक्षा, अपने हाथ... तो बस इसी सोच के साथ, आज यह tip share कर रहे हैं।

जिससे होली में आप सुरक्षित भी रहें और त्यौहार के हर क्षण का आनन्द भी ले सकें...

Pre - Holi Skin Care


चलिए जानते हैं कि ऐसा क्या करना है, जिससे हम सुरक्षित रहेंगे...


1. Ice cube :

अपनी skin पर कुछ भी लगाने से पहले 10 min. Ice massage करें, क्योंकि ice में सभी खुले छिद्रों को बंद करने की शक्ति होती है। एक बार बर्फ लगाने के बाद Oil or sunscreen ज़रूर लगाएं। ऐसा करने से आपकी त्वचा पर होने वाले मुंहासों को रोका जा सकता है।

अगर आप की तबीयत ठीक नहीं है या आपको ठंड लग रही है तो, ice massage avoid कर सकते हैं।


2. Moisturizer :

होली खेलने जाने से पहले सबसे important बात कि अपनी त्वचा को moisturized या hydrated करें। यह आपकी skin को chemical वाले गुलाल से बचाने में मदद करेगा। Skin को hydrate करने के लिए अच्छे से moisturizer का इस्तेमाल करें।


3. Hydration :

दिन भर पानी, juice, glucose आदि पीते रहें। पानी की कमी से त्वचा dry हो सकती है और sunburn हो सकता है। Dry skin रंग के साथ मिलकर होली के बाद dull लगने लगती है और skin का glow चला जाता है।


4. Nailpolish/Olive oil :

होली खेलने जाने से पहले अपने Nails पर dark nailpolish लगा लें। Nailpolish लगे होने से आप के nails chemical वाले रंगों से बच जाएंगे।

अगर आप nailpolish avoid करना चाहते हैं तो अपने नाखूनों पर थोड़ा olive oil रगड़ लें, क्योंकि यह एक ढाल का कार्य करेगा और रंगों को आसानी से smudge नहीं होने देगा।


5. Vaseline :

अपने होठों पर थोड़ी सी Vaseline का प्रयोग अवश्य करें क्योंकि Vaseline का texture गाढ़ा होता है तो यह अधिक समय तक टिकी रहती है। इसके अलावा, आप गर्दन, कान के पीछे और उंगलियों के बीच में भी इसे लगा सकते हैं। यह ऐसी जगहें हैं जहां रंग लगने के बाद छुड़ाना मुश्किल होता है। इसके लगे होने से रंग चिपकेगा नहीं और बहुत आसानी से छूट जाएगा।

अगर आप के lips फटे हुए हैं तो होली के कुछ दिन पहले से ही lip balm लगाना शुरू कर देना चाहिए जिससे आप के होंठ होली आने से पहले ही smooth हो जाए, क्योंकि फटे हुए होंठों से रंग छुड़ाना बहुत कष्टकर होता है।


6. Sunscreen :

होली में रंगों से खेलने में हमें लगातार धूप में ही रहना होता है।

और आज कल लोग, tanning को लेकर बहुत sensitive रहते हैं। अगर आप भी ऐसा ही सोचते हैं तो  tanning से बचने के लिए, रंग खेलने जाने से पहले waterproof solar moisturizer लगाएं, क्योंकि यह आपकी skin को काफी हद तक सुरक्षित रख सकता है।


7. Coconut oil :

इस tip को तो बिल्कुल भी miss न करें। रंग खेलने जाने से पहले coconut oil or mustard oil से hair massage अवश्य करें। इससे आप के बाल, dull और damage होने से बच जाएंगे।


8. Full-sleeve cotton clothes :

होली mainly outdoor festival है, इसलिए कोशिश करें कि आप full-sleeves के cotton के कपड़े पहनें, यह न केवल आपकी skin को रंग के नुकसान से बचाने में मदद करता है, बल्कि धूप के सीधे संपर्क से भी बचाता है जो आपकी त्वचा को प्रभावित कर सकता है। Cotton clothes, comfortable भी होते हैं, जल्दी सूख भी जाते हैं, तो आप के भीगे रहने से ज्यादा ठंड भी नहीं लगेगी। वहीं synthetic and tight कपड़े रंग के संपर्क में आने पर skin पर allergy का कारण बन सकते हैं।


तो होली खेलने से पहले अगर आप इन tips को follow कर लेंगे तो आप की skin, lips, nails and hair, सब safe रहेंगे। 

होली का रंगोत्सव होने के बाद, रंगों को छुड़ाने के लिए Facewash or soap की अपेक्षा आप अगर उबटन का इस्तेमाल करें तो यह आपकी skin को नुकसान नहीं पहुंचाएगा। 

साथ ही एक बात जो सबसे ज्यादा ज़रूरी है, वो यह कि सारा रंग एक ही दिन में निकाल देने के कारण बहुत ज्यादा rubbing भी आपकी skin damage का प्रमुख कारण है।

थोड़ा रंग छुड़ा दीजिए, बाकी सारा रंग, समय के साथ अपने आप साफ हो जाता है।

वैसे भी कुछ दिन, अगर अपनों का लगाया रंग लगा भी है तो क्या? उसका भी आनन्द लीजिए।

होली भी कहां साल भर से पहले दुबारा आएगी, और ना सालभर से पहले आएगा यह दिन...


So let's enjoy 🥳🥳🥳

आप सभी को होलिका दहन की हार्दिक शुभकामनाएं 💐🎉🙏🏻