Monday, 22 April 2024

Poem : क्या है पृथ्वी?

क्या है पृथ्वी? 

क्या है पृथ्वी?

पुष्प की सुगंध से

महकता मंजर

या वक्ष चीरकर,

बहता तटिनी का आंचल..

या ऊंचे ललाट सा,

महीधर का शिखर..

या समीर की चाल पर,

बल खाती विटप की डाली..

या धूप छांव पर बदलती, 

रेगिस्तान की रेत..

या रुह को सुकून देता,

 हिम का अद्भुत एहसास..

या कहें उसे मां,

या सुकोमल नारी,

जिसके इर्द-गिर्द, 

है दुनिया सारी..

पर यह सब है

सिर्फ तब तक 

जब तक है 

हरियाली 

जीवन में है

तब तक ही

खुशहाली 


पृथ्वी दिवस पर विशेष 🌍