Wednesday, 24 April 2024

Article : Voting, कितनी सार्थक, कितनी ज़रूरी?

Voting, कितनी सार्थक, कितनी ज़रूरी?



Voting की first stage 19 April को हो चुकी है और 26 April को second stage है। 

पर हम में से कितने ऐसे हैं, जो voting करने जाने के लिए excited हैं? 

और youngsters, उनमें तो कोई excitement ही नहीं है.., बल्कि यह कहा जाए कि, उन्हें तो यह useless or sheer wastage of time लगता है, तो भी अतिशयोक्ति नही होगी।

जबकि हमारे दादा जी, नाना जी लोग तो election वाले दिन, सुबह सबसे पहले voting के लिए ही जाते थे। उनके लिए voting एक महत्वपूर्ण काम था। 

पर ऐसा अंतर क्यों आया? जो पहले important था, वो useless कैसे हो गया? 

इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि, उन्होंने देश को गुलाम और स्वतंत्र, दोनों तरह से देखा था। वो देश की कीमत पहचानते थे, उन्हें एक-एक vote की कीमत पता थी। उनका प्रयास रहता था कि देश सशक्त और सुदृढ हाथों में रहे। इसलिए उनमें से हर एक voting करता था। 

Voting क्यों जरुरी है, और उसकी क्या सार्थकता है, यह सोचने वाली बात है... 

जो यह सोचकर voting नहीं करते हैं, कि हमें कोई फर्क नहीं पड़ता, कौन आ रहा है, कौन नहीं... we are least bothered...

उनको यह बता दें कि आप के voting नहीं करने से किसी को भी फर्क नहीं पड़ता है, पड़ता है तो, सिर्फ आप को, क्योंकि आप ने अपने सबसे बड़े अधिकार को खो दिया।

Voting करने से आपकी importance बढ़ती है, आप द्वारा यह decide होता है कि, कौन select होगा... 

आप voting नहीं करेंगे, तो क्या? बाकी तो जाएंगे ही, और प्रतिनिधी उनकी पसंद के चुने जाएंगे।

फिर तो यही कहा जाएगा कि, जिनकी उँगली में निशान नहीं, उनको उँगली उठाने का अधिकार नहीं.. 

साथ ही फर्क पड़ता है पूरे देश को, जब चंद लोगों की voting से गलत प्रतिनिधी चुन लिया जाता है...

अब सोचने वाली बात यह है कि कैसे चुना जाए सही प्रतिनिधी?

यह बात तो पूर्णतः सत्य है कि, देश को सुचारू रूप से चलाने के लिए जिन प्रतिनिधियों को चुना जाता है, वो ही देश को विकास या पतन की ओर ले जाते हैं। इसलिए हमें हर पहलू पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए। 


I. Security :

देश की सुरक्षा... सुरक्षा, सबसे पहले क्यों? तो अगर आप भी यही सोचते हैं, तो एक बार अफगानिस्तान और Ukraine को याद कर लीजिएगा, वहां सिर्फ सुरक्षा व्यवस्था की कमी थी, जिसने दो उन्नत और सुदृढ देशों का पतन कर दिया। 

साथ ही यह भी याद कर लें, अब से कुछ साल पहले तक, भारत पर भी आतंकवाद, पाकिस्तान और चीन से आए दिन हमले होते रहते थे, या उनका भय व्याप्त रहता था। लेकिन आज भारत में अमन और शांतिपूर्ण माहौल है, इसको voting करते समय ध्यान अवश्य रखें।


II. Economy :

दूसरा देश की अर्थव्यवस्था है... अर्थव्यवस्था क्या है? इसे समझाने की कोई जरूरत नहीं है, क्योकि सब ही तो लक्ष्मी मां को सर्वश्रेष्ठ समझते हैं। बिल्कुल, जीवन की जरूरत और अर्थव्यवस्था को प्राथमिकता मिलनी ही चाहिए और वो सुदृढ़ भी रहनी चाहिए। 


III. Development :

तीसरा देश का विकास, क्योंकि जब विकास होगा, तभी हम पूरी दुनिया में survive कर पाएंगे, अपने को सिद्ध कर पाएंगे। हर क्षेत्र में आगे बढ़ पाएँगे, आत्मनिर्भर बन पाएँगे। 


IV. Global Leader :

चौथा देश का विश्वविजयी होना, कोई भी देश तभी विश्वविजय बन सकता है, जब वो इन मानदंडों पर खरा उतरे। और सच कहते हैं, जो प्रतिनिधी इस सोच का हो, उन्हें ही चुनें। 

एक बार, देश को पहले रखकर और अपने स्वार्थ को पीछे छोड़कर vote डालने जाएं। क्योकि इस बात में कोई दो राय नहीं कि जब देश सशक्त और सुदृढ रहेगा तो देशवासी भी सुखी और खुशहाल रहेंगे। 

अब शायद आप भी यह समझ गए होंगे कि voting, कितनी सार्थक और कितनी जरुरी है...

जय हिंद जय भारत 🇮🇳