Saturday, 1 June 2024

India's Heritage : अयोध्या के रक्षक

आज आप के साथ India's Heritage segment में एक ऐसी कहानी साझा कर रहे हैं कि मानो तो आस्था, ना मानो तो मनगढ़ंत कहानी... 

पर यह कहानी हमारी बनाई गई नहीं है, बल्कि सत्य घटना है।

अयोध्या के रक्षक


बात आज की नहीं है, सन् 1998 की है।दुश्मन की नज़र रामलला की जन्मस्थली के अयोध्या हनुमानगढ़ी मंदिर पर थी।

6 December 1992 को बाबरी मस्ज़िद ढाई जा चुकी थी, और बदला लेने की भावना बलवती हो चुकी थी। 

उन्हें मौका भी मिल गया और उन्होंने अयोध्या हनुमानगढ़ी पर बम लगा दिए, इस तैयारी से कि हनुमानगढ़ी मंदिर के साथ-साथ ही अयोध्या का भी बड़ा हिस्सा नष्ट कर दिया जाए। 

पर बम लगाए जाने की जानकारी पुलिस दल को मिल गई। इंस्पेक्टर अविनाश मिश्रा, जो कि इस पुलिस दल के प्रमुख थे, अपने दल, 3 bomb squads, sniffer dogs और STF (Special Task Force) के साथ हनुमानगढ़ी मंदिर पहुंच गए। पूरा हनुमानगढ़ी मंदिर लोगों से खचाखच भरा हुआ था।

बम बहुत अच्छी जगह छुपाए गए थे, जैसे handpump के अंदर etc.

पुलिस दल, तीनों bomb squads और sniffer dogs बहुत निपुण थे, उन्होंने बहुत जल्दी ही तीनों बम defuse कर दिए।

बम defuse होने के बाद सब खड़े होकर इस बात की खुशी ही मना रहे थे, कि तभी पुलिस प्रमुख को एक और bomb squad दिखा। 

पर साथ तो तीन ही आए थे, तो यह चौथा कौन था?

बहुत ही फुर्ती के साथ एक पुलिस वाले ने उसका पीछा किया। वो कोई bomb squad नहीं, बल्कि एक आतंकवादी था। उसने हनुमानगढ़ी मंदिर में बम लगा दिया था।

पुलिस वाले की फुर्ती और अविनाश जी की सूझबूझ से वो आतंकवादी पकड़ा गया। पर उसने कैसे भी नहीं बोला कि उसने बम, मंदिर पर किस ओर लगाया है? बोला तो बस इतना कि कोई नहीं ढूंढ सकता कि बम कहां है? तुम्हारे पास चंद मिनटों का समय है। आज बम फटने से तुम्हारे भगवान भी नहीं रोक सकते हैं।

आतंकवादी मंदिर के बाहर पकड़ा गया था, उसे कुछ पुलिसकर्मियों ने पकड़ कर रखा, बाकी बड़ी तेजी से मंदिर की ओर दौड़ पड़े।

मंदिर पर बम ढूंढा जाने लगा, पर कहीं कुछ समझ नहीं आ रहा था, कि बम कहां हो सकता है? समय रेत की तरह हाथों से निकला जा रहा था।

तभी पुलिस वालों ने देखा कि ठंडे पानी की मशीन से दो तार निकल रहे हैं और एक छोटा बंदर उसका दूसरा सिरा अपने मुंह में डाले हुए हैं।

यह सब देखकर उन्हें लगा कि बम शायद यही हैं, पर बम defuse करने के लिए बंदर का हटना जरूरी था। 

तभी अविनाश जी ने कहा कि केले को डाल दो, बंदर चला जाएगा, उसे किसी तरह का कोई नुक्सान ना पहुंचे। 

मंदिर का प्रांगण था तो तुरंत ही केले मिल गए। बंदर की तरफ केले को फेंक दिया गया।

बंदर ने तार छोड़ दिया और केले लेकर मंदिर की चोटी पर पहुंच गया।

एक बम squad आगे बढ़ा और उसने बम को defuse करने का इशारा कर दिया, सब की जान में जान आई।

पर आश्चर्य तब हुआ, जब squad ने बताया कि उसने सिर्फ timer बंद किया था, बम तो उस बंदर ने चंद मिनट पहले ही निरस्त कर दिया था। 

सब बस उस बंदर को देख रहे थे और सोच रहे थे कि "जिसके रक्षक हों स्वयं हनुमान, उसका फिर क्यों ना हो कल्याण"...

सही भी तो है :

सब सुख लहै तुम्हारी शरण 

तुम रक्षक काहू को डरना 

थोड़ी देर बाद सब समवेत स्वर में बोले,

जय श्री राम🚩

जय बजरंग बली 🚩

भारत देश है जन्मस्थली प्रभू श्री राम की, कृष्ण भगवान की, आज भी श्रद्धा हो तो ईश्वरीय चमत्कार दिखाई दे जाते हैं...