Sunday, 2 February 2025

India's Heritage : बसंत पंचमी पर्व

आज बसंत पंचमी पर्व है। इस शुभ पर्व पर आप सभी को विशेष शुभकामनाएं 💐 

कभी आपके मन में आता होगा कि बसंत की पंचमी तिथि इतनी विशेष क्यों है, कि इस दिन को विशेष पर्व का स्थान दिया गया है?

चलिए, मां सरस्वती के आशीर्वाद के साथ ही आज का article शुरू करते हैं। मां सरस्वती का आशीर्वाद ही क्यों? वो भी बताते हैं आपको... 

आरंभ उससे करते हैं, जिस का अनुभव प्रत्येक इंसान ने किया है, जिसे सबने देखा है, जो प्रत्यक्ष है...

बसंत पंचमी पर्व


1) प्राकृतिक सौंदर्य :

भारत में पूरे साल को जिन छह ऋतुओं में बाँटा जाता था, उनमें वसंत लोगों का सबसे प्रिय मौसम होता है। और प्रिय मौसम होने के विभिन्न कारण हैं।

तब फूलों पर बहार आ जाती है, खेतों में सरसों का फूल, ऐसा प्रतीत होता है मानो सम्पूर्ण धरती पर सोना चमक रहा हो, जौ और गेहूँ की बालियाँ खिलने लगती है, आम के पेड़ों पर बौर आ जाती है और हर तरफ रंग-बिरंगी तितलियाँ मँडराने लगती हैं। फूल-फूल भंवरे भंवराने लगते हैं। 

ऐसा प्रतीत होता है मानो प्रकृति अपना सोलह श्रृंगार कर नवयौवना सी इठला रही हो। हर ओर सौन्दर्य ही सौन्दर्य दृष्टिगोचर होता है।

अतः वसंत ऋतु का स्वागत करने के लिए माघ महीने के पाँचवे दिन पर एक बड़ा उत्सव मनाया जाता था, जिसमें सरस्वती माता, भगवान विष्णु और कामदेव जी की पूजा होती है, और यह वसंत पंचमी का त्यौहार कहलाता था।


2) माँ सरस्वती की पूजा :

मां सरस्वती विद्या, बुद्धि, ज्ञान और विवेक की देवी हैं। दूसरे शब्दों में मनुष्यों को अज्ञानता रूपी अंधकार से निकाल कर ज्ञान रूपी प्रकाश की ओर ले जाने वाली देवी... जो अंधकार से प्रकाश में ले जाएं, वो ही सर्वश्रेष्ठ है। 

धार्मिक मान्यतानुसार बसंत पंचमी के दिन ही मां सरस्वती का प्राकट्य हुआ था। 

यही कारण है कि बसंत ऋतु की पंचमी तिथि इतनी विशेष है और माता सरस्वती की पूजा इस दिन की जाती है। भारत में कुछ स्थानों में मां सरस्वती के सम्मान में इसे सरस्वती पूजा भी कहा जाता है।

क्योंकि मां सरस्वती का दिन है, तो ज्ञान, विद्या, बुद्धि, और विवेक का भी दिन है, अर्थात् गुरु पूजन का भी दिन है। इसलिए जिस जगह भी गुरु की महत्ता ही सर्वोच्च है, उन सब जगह पर बसंत पंचमी पर्व, सबसे विशेष पर्व के रूप में पूजा जाता है।


3) बसंत पंचमी का दिन :

बसंत पंचमी को बसंत ऋतु के आगमन के रूप में भी देखा जाता है। इस वर्ष पंचांग के अनुसार, माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि की शुरुआत 2 फरवरी की सुबह 9 बजकर 14 मिनट पर हो रही है और इस तिथि का समापन अगले दिन 3 फरवरी सुबह 6 बजकर 52 मिनट पर हो जाएगी।


4) बसंत पंचमी पर्व :

बसंत पंचमी को श्री पंचमी या सरस्वती पूजा के नाम से भी जाना जाता है। यह हिन्दूओं का विशेष पर्व है। 

इस दिन विद्या की देवी सरस्वती, कामदेव और विष्णु की पूजा की जाती है। यह पूजा विशेष रूप से भारत, बांग्लादेश, नेपाल और कई राष्ट्रों में बड़े उल्लास से मनायी जाती है। इस दिन पीले रंग का विशेष महत्व होता है।

अतः माँ का श्रृंगार पीला, जो पुष्प अर्पित किए जाते हैं वो पीले, भक्तगणों के वस्त्र पीले और चढ़ने वाला प्रसाद भी पीला, जैसे मीठे चावल, बूंदी, मोतीचूर के लड्डू, इत्यादि और भोजन में भी पीला खाना बनाया जाता है, जैसे तहरी, मसाला भात, कढ़ी चावल इत्यादि....

शास्त्रों में बसंत पंचमी को ऋषि पंचमी से उल्लेखित किया गया है, तो पुराणों-शास्त्रों तथा अनेक काव्यग्रंथों में भी अलग-अलग ढंग से इसका चित्रण मिलता है। 

बसंत पंचमी होलिका और होली की तैयारी की शुरुआत का भी प्रतीक है, जो चालीस दिन बाद होती है। पंचमी पर वसंत उत्सव (त्योहार) वसंत से चालीस दिन पहले मनाया जाता है, क्योंकि किसी भी मौसम का संक्रमण काल ​​40 दिनों का होता है और उसके बाद, मौसम पूरी तरह खिल जाता है। 


5) बसंत पंचमी पूजन मंत्र :

बसंत पंचमी पर्व में सभी बच्चों को माता सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त हो, अतः उनके साथ आप, मां सरस्वती का पूजन इन मंत्रों के साथ अवश्य कराएं :

या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।


अगर बच्चे कर सकें, तो इस स्तुति से भी मां सरस्वती का पूजन कर सकते है: 

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता

या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।

या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता

सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥ 1॥ 

शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं

वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌।

हस्ते स्फाटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्‌

वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌॥2॥

जिसका हिन्दी में अनुवाद कुछ इस प्रकार से है : 

जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुन्द के फूल, चंद्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह धवल वर्ण की है और जो श्वेत वस्त्र धारण करती है, जिनके हाथ में वीणा-दण्ड शोभायमान है, जिन्होंने श्वेत कमलों पर आसन ग्रहण किया है तथा ब्रह्मा विष्णु एवं शंकर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित हैं, वही संपूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली सरस्वती हमारी रक्षा करें...

जिनके शरीर की कांति समस्त दिशाओं में बिखरती है, अपनी छवि से जिसने शिव सागर को भी अपना दास बना लिया है. मंद मुस्कान से जिसने शरद ऋतु के चंद्रमा को भी फीका कर दिया है. ऐसी श्वेत कमल के आसन पर विराजमान हे सुंदरी सरस्वती मैं आप की वंदना करता हूं।


इसी के साथ ही अपनी कलम को विराम देते हैं। मां सरस्वती के आशीर्वाद से आप सभी का जीवन सुखद और उज्जवल रहे 🙏🏻