Monday, 18 June 2018

Story Of Life : पापा

पापा

निशांत अपने माँ पापा का एक मात्र पुत्र था, उसके पिता विक्रांत उच्च पद पर आसीन थे। विक्रांत बड़े ही सख्त, सादगीपसंद व उसूलवादी, इंसान थे। उनकी उपस्थिती में कोई भी किसी तरह के नियम कानून को तोड़ नहीं सकता था। और निशांत पर तो कुछ ज्यादा ही सख्त थे। वहीं उसकी माँ निर्मला अपने नाम के अनुरूप, सीधी, शांत व हर एक के अनुसार अपने आपको ढालने वाली स्त्री थी।
निशांत अपने पापा से बहुत डरता था, उनके सामने पड़ने से भी कतराता था, उन्हे पसंद भी नहीं करता था। माँ का लाडला निशांत अपने मन की हर बात अपनी माँ को ही बताता था, क्योंकि वो जानता था, कि माँ उसकी हर बात मान लेतीं थीं।
विक्रांत का पहनावा बेहद ही साधारण था, वो सभी सामान बहुत करीने से रखते थे, अत: उनके सभी सामान बहुत दिनों तक चलते थे, जिससे घर में जल्दी नए सामान नहीं आते थे। पर जहाँ पढ़ाई- लिखाई, खान-पान, इलाज की बारी आती थी, वो हमेशा quality में believe करते थे।
इसी के चलते उन्होंने निशांत का शहर के सबसे अच्छे college में admission कराया। पर उस college में सभी बड़े घर के बच्चे आते थे, और सभी रोज़ showoff  के लिए नए नए सामान भी लाते थे। पर निशांत अपने पिता के चलते ऐसा नहीं कर पाता था। निर्मला कभी कहती भी कि, अपना एक ही तो बेटा है, कौन दो चार हैं, फिर हमारे पास कौन सी कमी है, जो बच्चे का मन मरवाते रहते हैं? तो विक्रांत इतना ही बोलते, जहां जरूरत हो वहाँ ही पैसा खर्च होना चाहिए, दिखावे के लिए तो कुबेर का खज़ाना भी कम है। उनके इस तर्क के आगे निर्मला भी मौन हो जाती।
निशांत अपने पिता के संस्कारों के कारण अपनी कॉलेज में सबसे अधिक independent और मितव्ययी लड़का था। एक बार college से 10 दिन के south  tour  के लिए top 10 लड़कों को आधे खर्च पर ले जा रहा था, उनमें निशांत का भी नाम थानिशांत को पूर्ण विश्वास था कि पापा उसे जाने के लिए पैसे नहीं देंगे। अत: माँ से पैसे की मांग कर रहा था, तभी वहाँ पापा आ गए, उन्हें देखकर वो सकपका गया। पर ये क्या, पापा ने सिर्फ उसके south  tour  के लिए ही पैसे नहीं दिये, बल्कि २000 रुपये ऊपर के खर्चे के लिए भी दिये। और साथ ही ये हिदायत भी दी, कि बेटा किसी को मत बताना कि तुम्हारे पास कितने पैसे हैं। इन्हें ढंग से रखना, और खर्च भी मितव्यता से करना।
आज निशांत बहुत खुश हो रहा था, अपने पापा के ऐसे रूप की उसने कल्पना तक नहीं की थी। निर्मला को भी इसकी आशा नहीं थी। उन दोनों को ऐसा देख कर विक्रांत बोले, मैं सका पिता हूँ, दुश्मन नहीं। मुझे अच्छे से पता है, कहाँ सख्ती रखनी चाहिए और कहाँ नहीं। उनकी ये बात सुन कर सब हँसने लगे।
निशांत अपने सभी दोस्तों के साथ south tour  पर  चला गया। वहाँ उसके सभी दोस्तों ने खूब खर्चा किया, कहीं पास भी जाना हो, तो वे taxi करते, कपड़े धोबी से धुलवाते, सामान भी अनाप-शनाप खरीदते। जबकि निशांत sharing auto  करता, कपड़े खुद धोता, और कुछ भी खरीदने से पहले खूब देख-परख के उचित दाम में सामान खरीदता।
उसके सारे दोस्त उसका खूब मज़ाक उड़ाते, पर उनके साथ आए एक सज्जन सबकी डांट लगा देते।
आठ दिनों में ही उसके सारे दोस्तों के लाये हुए 4-5 हजार भी स्वाहा हो गए। सबके सारे कपड़े भी गंदे हो चुके थे, जिन्हें धुलवाने के लिए अब उनके पास पैसे भी नहीं बचे थे। जबकि निशांत के अभी तक मात्र 500 रुपये ही खर्च हुए थे। आज सबसे कम रुपये लाने के बावजूद भी निशांत सबसे अधिक धनवान था।  
बाकी के दो दिन उसके सारे दोस्त कहीं भी घूमने नहीं जा पा रहे थे, बस निशांत ही उन सज्जन के साथ सब जगह घूमने गया। आखिरी दिन उन सज्जन ने बताया, कि ये college  की तरफ से कोई tour plan नहीं किया गया था, बल्कि उन्होंने college से कहा था कि उन्हें अपनी company  के लिए एक योग्य इंसान की तलाश है, अत: college ने उन दस लड़कों को उनके साथ भेज दिया था। सभी ये सुन के हैरान रह गए जब उन्हें पता चला कि वो सज्जन एक multinational company के HR Head हैं, और ये trip उनमें से best के selection के लिए था।  
आज उन्होंने घोषणा की कि उन्हें एक ऐसे इंसान की तलाश थी जो पढ़ाई में अच्छा होने के साथ-साथ independent हो और पैसे की कीमत भी समझता हो, इसलिए उन्होंने निशांत को अपनी company के लिए चुन लिया है।
आज निशांत को बिना किसी extra effort के ही अच्छी job मिल गयी थी। और ऐसा उसके पापा के दिये संस्कारों की वजह से हुआ था। उसे समझ आ रहा था, जिसे वो सख्ती समझ रहा था, वो सख्ती नहीं थी, बल्कि उसके पापा उसे जीवन को उचित ढंग से जीना सिखा रहे थे। उन्होंने उसे सिखा दिया था कि पैसे अधिक होने से ही इंसान धनवान नहीं होता, बल्कि जिसे पैसे का सदुपयोग आता है, वही धनवान होता है।

घर पहुँचते ही निशांत अपने पापा के गले लग गया। आज उसे अपने पापा पर बहुत प्यार आ रहा था। उसने माँ-पापा को अपने south  tour  की सारी बातें बताई, जिसे सुन कर दोनों बड़े खुश हुए। साथ ही निशांत ने बड़े गर्व से अपनी माँ से कहा कि उसके पापा ने उसे अपने college का सबसे योग्य इंसान बना दिया।

10 comments:

  1. शिक्षाप्रद अच्छी लघुकथा है ।

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    1. धन्यवाद
      आपके सराहनीय शब्द मेरे लिए अनमोल हैं 🙏🙏

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    1. धन्यवाद, आपके सराहनीय शब्दों के लिए

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  3. "एक ऐसे इंसान की तलाश थी जो पढ़ाई में अच्छा होने के साथ-साथ independent हो और पैसे की कीमत भी समझता हो" aaj k jamane k hisab ek Sahi shiksha jo yeh batati hai ki hum logo k parents kis tarah se saving kar k hum logo ka future banate hai. .... jo ki aaj ki generation nahi Jante....."isliye Paise ki kimat Janna bahut jaroori hai. ..

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    1. Thank you Ashish ji
      Your words are the light, which would help me walk the path to success

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  4. शिक्षाप्रद और प्रेरणदायक कहानी 👍

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    1. धन्यवाद, आपके सराहनीय अनमोल शब्दों के लिए

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