Saturday, 28 July 2018

Story Of Life आखिर क्यों ? भाग -2

अब तक आपने पढ़ा बरसात में रैना की कार से आनंद टकरा जाता है, hospital में ले जाकर जब रैना उससे फिर मिलती है, तो उसे ये एहसास होता है कि वही उसका dream boy है, आनंद ने रैना को आखिर क्यों रंजना बोला..... 


आखिर क्यों ? भाग -2




तभी आनंद भी बोल उठा, अगर आपको office जाने की जल्दी ना हो, तो आप car आने तक रुक जाइए। शायद आनंद भी नहीं चाहते कि मैं जाऊँ, सोच कर रैना रुक गयी।
दोनों में बातें शुरू हो गयी। जितनी उन लोगों में बातें हो रही थी, उतना ही दोनों एक दूसरे से प्रभावित हो रहे थे।
आनंद की कार आ गयी, दोनों अपने अपने रास्ते चले गए।
एक दिन रैना गिफ्ट शॉप से कुछ समान ले रही थी। वहाँ गाना बज रहा था, अबके सजन सावन में..... तभी तेज़ बारिश शुरू हो गयी, और एक आदमी तेजी से अन्दर आया, और रैना से टकरा गया। रैना जब तक चिल्लाती, उसने देखा कि वो तो आनंद था। आनंद को देखकर वो ज़ोर ज़ोर से हँसने लगी। आनंद सकपका गया, बोला रंजना!
वो बोली नहीं रैना। Sorry मैं आपका नाम भूल जाता हूँ। Ok रैना जी, आप इतनी ज़ोर ज़ोर से क्यों हँस रही हैं?
क्योंकि हमारी मुलाक़ात हमेशा, टक्कर, बारिश और सावन के गीतों के साथ ही होती है। सुन कर आनंद भी हँस दिया।
अब दोनों की मुलाकातें दोस्ती में बदलने लगीं, और कब प्यार में, दोनों को पता ही नहीं चला।
बस रैना को जब भी आनंद मिलता, तो उसे उसकी एक आदत अच्छी नहीं लगती थी, कि वो उसे हमेशा मिलते ही रंजना ही बोलता था। और कभी भी कुछ भी भूल जाता था, उन लोगों को मिलना है ये भी। कभी वो उसे किसी जगह ले के आता था, और order दे के आता हूँ, ये कह कर जाता और आता ही नहीं था। जब भी रैना फोन कर के पूछती, कहाँ हो? वो हमेशा यही कहता, अरे यार भूल गया था, आता हूँ अभी, और फिर आ भी जाता।
एक दिन आनंद ने विवाह का प्रस्ताव रखा। रैना सोचने लगी, एक भूलने की आदत के अलावा आनंद में वो सब है, जो उसे अपने जीवन साथी में चाहिए। उसने हाँ कर दी।
आनंद बोला, मेरे घर चलो, मैंने शादी का जोड़ा वहीं रखा है। दोनों आनंद के घर आ गए। बहुत ही आलीशान बंगला था। ऊपर कमरे में आकर रैना ने देखा, बहुत ही सुंदर शादी का जोड़ा रखा था। आनंद बोला तुम ready हो, मैं अभी आया।
आज रैना बहुत खुश थी, उसका सपना जो पूरा होने वाला था। रैना को तैयार हुए तीन घंटे हो गए थे, पर अभी तक आनंद नहीं आया था। अब उसके सब्र का बांध टूट गया था, वो नीचे आई, तो एक प्यारी सी 7 साल की बच्ची ने उससे पूछा- आप?... और मेरे घर में क्या कर रही हैं? रैना बोली- तुम्हारा घर? ये तो Mr. आनंद का घर है?

वो मेरे पापा हैं। पापा..... रैना के पैरों तले ज़मीन खिसक गयी। तभी उसकी वहाँ लगी तस्वीर पर निगाह गयी, उसमें हार चढ़ा था। बेटा ये कौन हैं? ये मेरी माँ रंजना हैं। रंजना की शक्ल बहुत कुछ रैना जैसी थी। वो बोली आज से 1 साल पहले मेरे माँ पापा का accident  हो गया था, जिसमे माँ नहीं रहीं। पापा माँ को बहुत प्यार करते थे। तब से पापा ऐसे हो गए हैं। उन्हें कभी कभी ही याद आता है कि मैं उनकी बेटी हूँ। और वैसे भी वो बातें भूल जाते हैं। आज रैना को समझ आ रहा था, आखिर क्यूँ आनंद उसे रंजना बोलता था। उसने रैना को कभी चाहा ही नहीं था, वो तो केवल अपनी रंजना को ही ढूंढा करता था। सब सुन कर रैना कभी ना वापस आने के लिए चली गयी। आज भी बूंदें बरस रही थी, पर बादलों से नहीं, उसकी आँखों से, और चाय की दुकान पर गाना बज रहा था। नैना बरसे रिमझिम रिमझिम......

6 comments:

  1. Hi dear...the end of ur stories are always positive as I observed.why is the sad ending in this story??I think u shd replace Raina to Ranjana with happy ending.

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  2. Thank you Ma'am for your observations,
    Your message shows your positive attitude.

    The ending was such, Just for change. moreover, it's a dark shade of life

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  3. Very interesting story, gripping till the end.

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    1. Thank you Ma'am for your appreciation
      I will try, that there are such type of stories,too,on my blog.

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  4. Nice storys from bigging to end.

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    1. Thank you so much Ma'am for your interest and your appreciation

      Your words always boost me up

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