Monday 31 December 2018

Poem : साल 2018 अलविदा

साल 2018 अलविदा



था नवीन, जो कभी
अब हुआ पुराना है
स्वागत किया था, जिसका
वो अब जाने वाला है
सृष्टि की  नियति यही है
चिरकाल तक यहां पर
कौन, रुकने वाला है
था जब, आज वो
स्वपन थे कितने पिरोये
कुछ टूटे, कुछ रहे अधूरे
पर कितने पूरे भी हुए
उन पूरे हुए स्वप्न में
तुमने फ़र्ज़ था, किया अदा
जाते जाते देख तुझको
निकले दिल से ये सदा
याद बनकर, तुम रहोगे
साल 2018 अलविदा
आए थे तो, किया स्वागत
जाते हो तो, लो नमन
खिलेंगी नयी कलियां
महकेगा फिर से चमन

7 comments:

  1. Replies
    1. Thank you so much Ma'am
      Your words encourage me to write more 🙏

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  2. Excellent composition Anamika 👌👌👌 Wish you and your family a very happy and prosperous New Year 💞💞💞🌷🌷

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    Replies
    1. Thank you Ma'am
      Your words boosts me up😊

      Wish you and your family a very happy new year 💐

      Delete
  3. Thank you so much Ma'am
    Your words energize me to keep writing

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  4. तुमने फ़र्ज़ था किया अदा...बहुत सुंदर अभिव्यक्ति👌👌

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  5. Ma'am, आपका अनेकानेक धन्यवाद

    आपके अतुलनीय शब्द मेरे लिए प्रेरणा स्रोत हैं।

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