Tuesday 5 March 2019

Article : बात मौके की


बात मौके की


आप को पता है, जब हम कोई बड़ा काम नहीं करते हैं, पर कोई दूसरा उस काम को अंजाम दे देता है। और उस काम की वाह-वाही होने लगती है, तो हम हमेशा यही कहते हैं। हमें मौका नहीं मिला, वरना हम तो इससे भी अच्छा काम कर के दिखाते। पर ये कभी नहीं मानेंगे, कि उसने अच्छा काम किया है। जब काम अच्छा हुआ है, तो तारीफ तो उसकी होनी ही चाहिए।
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बात मौके की नहीं होती है, बात होती है इच्छा शक्ति की, कार्य करने की इच्छा होने की। वरना मौका तो सबको ही मिलता है, पर उस मौके पर छक्का वही मार पता है, जिसमें काम करने की इच्छा हो, जोश हो, और सब से बड़ी बात उस काम को प्राथमिकता देता हो।

इसका जीता जागता उदाहरण है, अभी आतंकवादी खेमे में हुआ pre-emptive attack

जो ये पूरी तरह सिद्ध करता है, कि भारत के लिए आतंकवाद खत्म करना प्रथम मुद्दा है। इसीलिए ना तो उसने पाकिस्तान के किसी भी मासूम को, और ना ही किसी भी सैनिक खेमे को हाथ लगाया।
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पर इसके बावजूद, पाकिस्तान भारत के सैनिक खेमे पर हमला कर रहा था। हमारे pilot को पकड़ कर बैठा था। और उसके साथ ही वो अजहर मसूद को ना केवल पनाह दे रहा था, बल्कि उसकी सुरक्षा के लिए उसे छिपा भी रहा था।
अभी पाकिस्तान के पास अच्छा मौका था, कि वो आतंकवादियों का सफाया कर देता, और पूरे विश्व में साबित कर देता, कि वो भी आतंकवाद के खिलाफ है।

पर उसके भारत पर किए जाने वाले हमले ये साफ़ सिद्ध कर रहे हैं, कि वो आतंकवाद के नहीं बल्कि भारत के खिलाफ है। अगर उसे सचमुच शांति चाहिए, तो आतंकवाद को खत्म कराये। जिससे केवल भारत में ही नहीं वरन पूरे विश्व में शांति हो जाएगी।
अब बात करते हैं, भारत की। कहा जा रहा है, पाकिस्तान, ने अभिनंदन जी को इसलिए लौटाया, क्योंकि Geneva समझौता के तहत उन्हें ऐसा करना ही पड़ता। कुछ इस शौर्य का सारा श्रेय सेना को देना चाहते हैं।

तो उन लोगों की जानकारी के लिए बता दें, कि Geneva समझौता आज नहीं हुआ है, काफी सालों पहले हुआ था। पर पहले कभी पाकिस्तान ने इस समझौते की लाज नहीं रखी।
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हाँ सही कहा आपने, इस जीत का सारा श्रेय सेना को ही है। पर हमारी सेना भी आज की नहीं है। मेहनत तो हमेशा ही पूरी टीम ही करती है, पर जीत होगी कि नहीं ये इस बात पर भी निर्भर करता कि आपका नेतृत्व कौन कर रहा है।

तो एक बार सोचिएगा जरूर, कि ऐसा क्या बदला है, कि हमारी सेना बिना युद्ध के भी जीतने लगी है। सारा विश्व हमारे भारत का साथ दे रहा है। आज भारत को नया भारत कहा जा रहा है, ऐसा नया भारत जो निडर, निर्भीक और निर्णायक है।


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तो इसके पीछे का कारण क्या है? आखिर कौन से वो सुरक्षित हाथ हैं, जो कि सफलता, स्वच्छता और संपन्नता भी समेटे हुए हैं।
मौका अभी हमारे पास है... एक बार सोचिएगा जरूर!

4 comments:

  1. Replies
    1. Thank you so much Ma'am for your admiration.

      Fabulous readers like you inspire me to keep penning my thoughts.

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  2. Sab keh diya aapne...bina kuch kahe👍

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    Replies
    1. Thank you so much for your appreciation

      Sub samjh le to baat hai

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