Thursday 9 May 2019

Story Of Life : मजबूरी का सौदा (भाग- 3)


अब तक आपने पढ़ा, कांता बहुत गरीब औरत है, जो अपने बीमार बच्चे को डॉ. समीर को दिखाना चाहती है, पर clinic बन्द होने के कारण दुखी है। क्योंकि Sunday को डॉ. घर में देखते हैं, जो बहुत दूर है, तभी वहाँ सरजू रिक्शेवाला आ जाता है, वो  उन्हें डॉ समीर के पास ले जाता है।  डॉ  समीर की Sunday की फीस हज़ार रूपये हैं , पर कान्ता के पास केवल 700 रूपये हैं।  और इतने रूपये में डॉ समीर, मंगलू को देखने को तैयार नहीं हैं ....  



अब आगे.....    


मजबूरी का सौदा (भाग- 3)  

सुनो तुम जैसे हजारों गरीब, मजबूर आते हैं, मेरे पास। ऐसे ही खैरात करूंगा, तो अपने परिवार के लिए कहाँ से पैसे लाऊँगा?

कांता बहुत गिड़गिड़ाई, पर डॉ. समीर का मन ना पसीजा, वो भारी मन से बाहर आ गई।

सरजू बोला, क्या कहा, डॉ. बाबू ने? नहीं देखा सरजू भैया, उनकी हज़ार रुपए फीस है। और तुम तो जानते ही हो, मेरे पास केवल 700 हैं, जिससे फीस दवा सब करना है।

भौजी तुम पहली सवारी हो, इसलिए मेरे पास भी पैसा नहीं है, घर से 100 रुपया लेकर चला था। फिर कुछ सोचते हुए सरजू बोलाभौजी तुम एक काम करो, अपने 700 और मेरे 100 मिलाकर 800 रुपया डॉ. बाबू को दे दो, मात्र 200 रुपए ही तो कम हैं, शायद मान जाएँ?


फिर दवा कैसे आएगी? कांता उदासी से भरकर बोली। तुम डॉ. को तो दिखा लो, दवा का भी कुछ इंतजाम हो जाएगा।

कांता फिर वापस डॉ. बाबू  के पास पहुँच गयी, पर डॉ. हज़ार से कम में, मंगलू को देखने के लिए कैसे भी तैयार नहीं थे, अबकी बार तो उन्होंने ये भी बोल दिया, मैं देखकर क्या करूंगा? जब इसे दवा, और खाना नहीं मिलेगा, तो ये तो वैसे भी मर ही जायेगा।

डॉ. समीर के मुँह से ऐसी बात सुनकर कांता का कलेजा धक्क से रह गया।

कांता और सरजू लौट आए, और अगले दिन का इंतज़ार करने लगे। पर मंगलू की साँसों ने दूसरे दिन का इंतज़ार नहीं किया। रात में ही मंगलू ने कांता की बाहों में दम तोड़ दिया।

इस बात को दो साल हो गए। एक दिन एक अमीर घर से उसे घर-बर्तन का काम करने का offer आया। जब कांता वहाँ पहुंची। तो पता चला......

वहाँ पहुँच कर कांता को क्या पता चला..... जानते हैं मजबूरी का सौदा (भाग 4)

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