Sunday 13 October 2019

Poem : शरद का चाँद


शरद का चाँद 


पूर्ण कला से सजा चाँद है,
इसकी आभा अजब निराली।
धवल चाँदनी छिटकी चहुं ओर,
है कांति मनभावन वाली॥

उज्जवल सी धरती है दिखती,
आज रात्रि नहीं काली।
पूर्ण यौवन में आज चाँद ने,
है दिनकर सी रोशनी पा ली॥

धरती-चाँद के अनुपम मिलन ने,
दूरी अपनी घटा ली।
तभी चाँद की श्वेतिमा में,
है आज ममता की लाली॥  

अमृत-वर्षा की रात आज है,
सब ने खीर बना ली।  
दुग्ध-अक्षत के अद्वितीय मेल में,
है चाँदनी घुलने वाली॥

श्वेत चाँद है- श्वेत चाँदनी,
आई है रात भागों वाली।
शरद चाँद के दर्शन मात्र से,
मन की कलुषता हरने वाली॥


शरद पूर्णिमा की शीतलता और पवित्रता आपके जीवन को सुख से परिपूर्ण कर दे।

No comments:

Post a Comment

Thanks for reading!

Take a minute to share your point of view.
Your reflections and opinions matter. I would love to hear about your outlook :)

Be sure to check back again, as I make every possible effort to try and reply to your comments here.