Tuesday, 30 June 2020

Short Stories : सागर

आज आप सब के साथ मुझे रायपुर छत्तीसगढ़ की मंझी हुई साहित्यकार मंजू सरावगी मंजरी जी की लघुकथा को share करते हुए अपार प्रसन्नता हो रही है।

उन्होंने अपनी कहानी के द्वारा आजकल के युवाओं के मनःस्थिति को दर्शाने का बहुत अच्छा प्रयास किया है।

*सागर*



       वह निरर्थक ही रेतिले समुद्र तट पर घूम रहा था घूमते घूमते थक गया तो वही सागर किनारे रेत पर बैठ गया.
हर आने जाने वाली लहरों को गिनने का बेवजह प्रयास कर रहा था.पर लहरों पे लहरें आती जाती और निशांत की हर कोशिश को बेकार कर रही थी. तभी वहाँ पर एक छोटी सी लकड़ी नजर आई और निशांत उस लकड़ी से लहरों पर लिखने का असफल प्रयास करने लगा. बार बार कोशिश करता और शब्द पूरा होने के पहले ही लहरें लौट जाती थी. उसकी इस कोशिश को पीछे खडी़  लड़की ध्यान से देख रही थी वह खिलखिला कर हँसने लगी. और बोली *"जनाब क्या कोई मजनूँ हो क्या ????जो दिल टूटने का गम बयां कर रहे हो"*
         .. उसकी आवाज सुन कर निशांत ने देखा और हँसते हुए बोला *"अरे !!!! आपको तो दिल टूटने के दुख का बड़ा अनुभव है "*
          . हाँ, हाँ, क्यूँ नहीं *" जब आप जैसे मजनूँ होगे दुनिया में जो जरा से संघर्ष से भाग जायेगें, तो हम हसीना का दिल टूटेगा ही "* कहते हुए वह निशांत के करीब बैठ गई. और पूछा क्या मै आपके दुख का कारण जान सकती हूँ. निशांत बोला बेकार इंसान को न काम मिलता है तो फिर आज की दुनिया में प्यार कहाँ मिलेगा. उसपर गरीब अनाथालय में पलने वाले को.
            निशांत का हाथ अपने हाथ में लेकर लड़की बोली, *मुझे शोभना साहय*   
कहते हैं मैं तुम जैसे युवक और युवती को समन्दर के किनारे से ढूँढती हूँ मुझे आप जैसे बहुत से दोस्त मिल जाते हैं और  सारे लोगों के समूह को *सागर* नाम दिया  है और इस समूह में सागर की तरह सब कुछ डूबा दो, और खुद को सागर सा विशाल बनाओं आओ मेरे साथ सागर का रूप लेने.और निशांत लहरों से पूछ रहा है तुम मे मैं भी समा रहा हूँ बनके सागर की लहर ,,,,,,,,,,,,,,,,,.

Disclaimer:
इस पोस्ट में व्यक्त की गई राय लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। जरूरी नहीं कि वे विचार या राय इस blog (Shades of Life) के विचारों को प्रतिबिंबित करते हों। कोई भी चूक या त्रुटियां लेखक की हैं और यह blog उसके लिए कोई दायित्व या जिम्मेदारी नहीं रखता है।

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