Friday, 25 September 2020

Short Stories : विदाई

आज आप सब के साथ मुझे रायपुर छत्तीसगढ़ की श्रीमती मंजू सरावगी मंजरी जी  द्वारा भेजी हुई लघुकथा को साझा हुए अपार प्रसन्नता हो रही है।

विदाई के मार्मिक क्षणों को समेटे हुए लघुकथा का आप सब भी अनुभव करें।

विदाई

    


         *"""" दामिनी!! दामिनी!! जल्दी आओ बेटी, बैड बाजा,कार तैयार खड़ी है. विदाई का वक्त हो गया है """*

          चाचा जी आवाज लगा रहे थे विदाई के लिए

     अपनी आँखों के आंसू,,,,,समेटते हुए वह बोली,,,,,,,, 

     *""" बस चाचा जी दो मिनट में "पापा जी" को प्रणाम करके आती हूँ ""*

             दामिनी कमरे में लगी पापा की तस्वीर के सामने खडी़ हो गई और हाथजोड़कर रोते हुए बोली *"" पापा ये कैसी विदाई है. आपको विदाई का इंतजार था और स्वयं विदाई लेकर चले गये पापा,,, पापा,,,,,, ""*

         आँसू भरी आँखों में पुरानी बातें चलचित्र की तरह आने जाने लगी. जबसे वह समझदार हुई थी तब से पापा के सपने सुनते आ रही थी मेरी प्यारी बिटिया रानी दुल्हन बनेगी, दूल्हा राजा के साथ विदा होकर चली जायेगी मेरी लाड़ली दामिनी,,,,,, मैं और तुम्हारी मम्मी,,,,,, तुम्हें याद करके रोया करेंगे. पर पापा का यह सपना पूरा न हुआ और मम्मी दामिनी और उसके पापा को रोता छोड़ कर,,,,,, विदाई लेकर सदा के लिए दूसरी दुनिया में चली गई. पापा ने अपने को संभाला साथ ही दामिनी की देख रेख में कोई कमी नहीं की. बल्कि और जिम्मेदारी से सपना संजोते और याद भी करते की *दया* ,,,,क्या क्या,,,,,करना चाहती थी दामिनी की शादी में,,,,,,,,. 

            विजय कुमार को अपनी दामिनी के लिए उनकी  इच्छा के अनुरूप लड़का व परिवार मिल गया. *सौरभ* को देखकर,,,,,,,,, दया के दुख को भूल,,,,,,,, नये उत्साह से शादी की तैयारी में जुट गए. शादी की तारीख तय होते ही होटल, विवाह स्थान, कैटर्स, सजावट बैड बाजा सब की व्यवस्था कर डाली. साथ ही साथ दामिनी को दिनभर हिदायत देते जल्दी जेवर, लहगांँ साड़ी, कपड़े सूटकेस  ले लो पूरी तैयारी कर लो. कभी कभी दामिनी नाराज हो जाती *"""पापा आपको कितनी जल्दी है मेरी विदाई की,,,, आप मुझे घर से भागना चाहते हैं """"*

          विजय कुमार  कहते *""नही बेटी,,,भागना नही चाहता,,, तुझे दुल्हन के रूप में देखना चाहता हूँ,,,,,,,, तुम्हारी विदाई करना है मुझे, यही एक काम जरूरी है,,,,,,,,, ""*

           आज से बीस दिन पहले विजय कुमार का सपना टूट गया, बेटी की विदाई की जगह उन्होंने इस दुनिया से विदाई ले ली.

            दामिनी अपने पापा से विदाई नही करा पाई,,,,,, पर  अपने पापा को हमेशा के लिए विदा कर दिया,,,,,,,,,,.

              एक्सीडेंट में कार एक खड़ी जीप से टकराई और विजय कुमार की स्टेरिंग से सिर  टकरा गया. तत्काल ही मौत ने बाहों में समेट लिया, 

           सबके समझाने पर आज बीस दिन बाद ही तय तारीख पर दामिनी की शादी और विदाई हो रही है सारी तैयारी पापा ने की,,,,,,, बस वही नहीं है विदाई के लिए,,,,,,,, हाँ पापा,,,,,,, आप नहीं हो,,,,,,,, पर विदाई हो रही है,,,,,,,,, ये,,, कैसी विदाई पापा,,,,, कैसी पापा,,,, विदाई,,, 


Disclaimer:

इस पोस्ट में व्यक्त की गई राय लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। जरूरी नहीं कि वे विचार या राय इस blog (Shades of Life) के विचारों को प्रतिबिंबित करते हों। कोई भी चूक या त्रुटियां लेखक की हैं और यह blog उसके लिए कोई दायित्व या जिम्मेदारी नहीं रखता है।



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