Friday, 11 December 2020

Song : यादें शेष है!

आज आप सब के साथ मुझे  राजस्थान(सिरोही) के मंझे हुए साहित्यकार छगन लाल गर्ग "विज्ञ" जी के गीत को साझा करते हुए अपार प्रसन्नता हो रही है। 

आप भी गीत का आनन्द लीजिए।


 यादें शेष है! 



रश्मि भीगी आज यादें शेष है !


नेह के श्रृंगार का रस श्लेष है !!


पीर सारी रक्त में अविराम -सी !


जल रही तुम दर्द के पैगाम- सी !


ठहरता अनुराग का अवशेष है !


रश्मि भीगी आज यादें शेष है !


घेरते दृग रश्मियों के डोर में !


बाँध देता प्राण को फिर छोर में !


प्यार का कतरा बहा अखिलेश है !


रश्मि भीगी आज यादें शेष है !


स्नात कलियाँ खेलती अरमान से !


भृंग हलचल राग के अनुमान से !


प्रीत केसर फूल का परिवेश है !


रश्मि भीगी आज यादें शेष है !


गीत गाती इन हवाओं में जरा !


नेह की गुंजार का नव रस भरा !


प्यार का उजड़ा हुआ परदेश है !


रश्मि भीगी आज यादें शेष है !


ज्ञात पथ की दूर तक पहचान है !


भीगती मधु रात भी अनजान है !


आह कैसा रूप का अति तैश है !


रश्मि भीगी आज यादें शेष है !!


Disclaimer:

इस पोस्ट में व्यक्त की गई राय लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। जरूरी नहीं कि वे विचार या राय इस blog (Shades of Life) के विचारों को प्रतिबिंबित करते हों। कोई भी चूक या त्रुटियां लेखक की हैं और यह blog उसके लिए कोई दायित्व या जिम्मेदारी नहीं रखता है।



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