Monday, 25 January 2021

Story of Life : यह कैसा प्यार (भाग-9)

 यह कैसा प्यार (भाग-1), 

यह कैसा प्यार (भाग -2),

यह कैसा प्यार (भाग - 3),

यह कैसा प्यार ( भाग -4) ,

यह कैसा प्यार (भाग-5), 

यह कैसा प्यार (भाग -6),

यह कैसा प्यार (भाग -7)  और

यह कैसा प्यार (भाग-8) के आगे....


यह कैसा प्यार (भाग-9)


बनो मत रोहित, मुझे अच्छे से पता है कि तुम मुझे बेवकूफ बना रहे हो।

कैसी बात करती हो, भला मैं क्यों ऋषि की आवाज़ से तुम्हें बेवकूफ बनाऊंगा?

 मुझे मेरा बंगला वापस मिल गया। मुझे और कुछ नहीं चाहिए, रोहित ने दृढ़तापूर्वक कहा। 

अच्छा हाँ सुनों, यह पकड़ो file, इसमें वो सारे papers हैं, जिससे तुम ऋषि के business की मालकिन बन जाओगी। 

मैं कल सुबह ही जा रहा हूँ, अपनी माँ को लेने। तुम भी जल्दी मेरा बंगला खाली कर के जाओ।

नहीं रोहित, मुझे छोड़कर अभी मत जाओ। I'm sorry, मैं आगे से तुमसे कुछ नहीं कहूंगी।

रोहित ने कहा, बस वो एक हफ्ते ही रुकेगा।

अगले दिन से तान्या को ऋषि की आवाज़ के साथ वो दिखने भी लगा।

उसे देखकर तान्या सहम जाती। एक दिन तो ऋषि उसे उन तोहफों के साथ में दिखा, जो वो हमेशा ऋषि से मांगा करती थी।

उन्हें देखकर तान्या तड़प उठी, वो ऋषि की तरफ बढ़ी, पर वहाँ सिर्फ ऋषि की फोटो थी।

एक दिन उसे ऋषि की अधजली लाश दिखाई दी, उसे देखकर तान्या अपना संतुलन खो बैठी।

और दौड़ती हुई उस कमरे में गई, जहाँ ऋषि रहता था। वहाँ उसे ऋषि के बिखरे हुए सामना, ऋषि के लिखे love letters और वो gifts दिखे, जो उसे एक दिन ऋषि के हाथों में दिखे थे।

साथ ही वो drugs भी, जो वो ऋषि को देती थी।

तान्या ने बहुत सारी drugs खा लीं। रोहित तान्या को बदहवास भागता देखकर उसके पीछे आया था। पर जब वो ऋषि के कमरे तक पहुंचता, तान्या drugs ले चुकी थी। और बेहोश हो गई थी।

रोहित ने hospital से ambulance बुलवाई, और तान्या को hospital में admit करवा दिया। जब वो होश में आ गई, तो उसे asylum भेज दिया।

जब रोहित अपने बंगले पर पहुंचा, उसे बहुत तेज रोने के स्वर सुनाई दिए।

उसने अन्दर आ कर देखा, ऋषि फफक-फफक कर रो रहा था।

चुप हो जाओ ऋषि, अब तुम्हारे रोने के दिन गये, तान्या को mental asylum में admit कर दिया है।

रोहित तुम मुझे नहीं मिलते तो शायद मैं सच में suicide कर लेता, मुझे कभी तान्या का असली चेहरा नहीं दिखता।

पर फिर भी आज मुझे तान्या के लिए बहुत दुःख हो रहा है, यह कैसा प्यार है मेरा? जिसने अपनी जान को ही asylum भेज दिया।

तुम्हें कोई अफसोस करने की जरूरत नहीं है, उसकी ऐसी ही दुर्गति होनी चाहिए। अगर आज हम उसे asylum नहीं भेजते, तो वो ना जाने कितने ऋषि, रोहित, सुशांत, करण को बर्बाद कर देती।

तुम ने कुछ ग़लत नहीं किया, और यह तो उसे सोचना चाहिए, कि उसका यह कैसा प्यार है, जो वो अपने सबसे ज़्यादा प्यार करने वालों को तबाह कर देती थी।

मैंने तुम्हरा साथ इसलिए नहीं दिया, क्योंकि मैं तुम्हें बचाना चाहता था। इसलिए दिया, क्योंकि तुम्हारी तरह उसने मुझे भी धोखा दिया था।

मुझसे मेरा खानदानी बंगला और बहुत सारे रुपए ऐंठ कर तुम्हारे लिए मुझे छोड़ दिया था।

मैं तुमसे मिला तो था, तुमसे बदला लेने के लिए, तुम्हें बर्बाद करने के लिए। पर तुम्हारे सरल दिल ने मुझे सही रास्ता दिखा दिया कि खोट तुम में नहीं तान्या में है।

तभी मैंने ठान लिया था कि अब तान्या को उसी स्थिति में पहुंचाऊंगा, जिसमें वो सबको पहुंचाती थी।

उसके लिए, तुम्हें तान्या का असली चेहरा दिखाना जरूरी था, जिससे तुम समझ सको कि तान्या ने तुम्हें कभी चाहा ही नहीं था।

बाकी बंगले के राज़ तो अब तुम भी जानते हो, कि इसमें बहुत चोर दरवाजे हैं, जिससे किसी को भी भ्रम में डाला जा सकता है।

पर मित्र एक बात याद रखना कि बहुत जल्दी किसी पर इतबार मत करना। वरना लोग तुम्हें ऐसे ही मूर्ख बनाते रहेंगे और तुम सोचते रहोगे, यह कैसा प्यार ?

रोहित, ऋषि को शांत कराकर, अपनी माँ को लेने चला गया और ऋषि हमेशा के लिए, अपनों के पास लौट गया।

No comments:

Post a Comment

Thanks for reading!

Take a minute to share your point of view.
Your reflections and opinions matter. I would love to hear about your outlook :)

Be sure to check back again, as I make every possible effort to try and reply to your comments here.