Tuesday 16 February 2021

Poem : हे विमल-मति वरदान दे

आज आप सब के साथ मुझे  फिरोजाबाद के  श्री योगेश प्रताप सिंह जी के द्वारा भेजी गई माता सरस्वती की वंदना को साझा करते हुए अपार प्रसन्नता हो रही है। 


आइए उनके साथ हम भी माँ सरस्वती की स्तुति में शामिल हो जाए। 

आप सभी को बसंत पंचमी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ 💐🌹🥀🌷🌺🏵️🌻🌼

माँ सरस्वती की हम सब पर विशेष कृपा बनी रहे🙏🏻💐

हे विमल-मति वरदान  दे




हे विमल-मति वरदान  दे

झकझोर जर्जर प्राणों को, नव चेतना को तान दे,

हे विमल-मति वरदान  दे

तुझको समर्पित हो सकूँ, निज भाव अर्पित कर सकूँ पीड़ा मैं बिंबित कर सकूँ मुझको मुखर वह गान दे।

हे विमल-मति वरदान  दे

कवि कर्म दूभर हो गया निज से विमुख मैं हो गया, आ बैठ मेरे हृदय में, मुझको स्वयं का ज्ञान दे।

हे विमल-मति वरदान  दे

भाव कुंठित हो गये, प्राण कलुषित हो गये, आ बैठ मेरे कंठ में, वाणी में अब सुगान दे।

हे विमल-मति वरदान  दे

स्वप्न अतिव्यापित हुए उद्देश्य सब श्रापित हुए आ बैठ मेरी वाणी में, मुझको नई पहचान दे

हे विमल-मति वरदान  दे



Disclaimer:
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2 comments:

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