होली limited
होली के मस्त रंग
पकवानों के संग
भर देते हैं जीवन में
उमंग और तरंग
साली ही नहीं
जब आएगी हाथ
तो होली में भला
क्या मज़े की बात
सलहज की चूनर
जो ना कर सकेंगे गीली
तो होली भला कैसे
होगी रंगीली।
पड़ोसन के गोरे गाल
जो नहीं कर सकेंगे लाल
तो अगली होली तक
रहेगा मलाल
जो नहीं पी सकेंगे
इस बरस भंग
तो कमर कैसे मटकेगी
नए गानों के संग
दोस्तों के साथ ही जब
नहीं कर सकेंगे धमाल
तो काहे का रंग
और कैसा गुलाल
यह सोच सोच क्यों
होली नीरस बनाते हो
इस बरस क्यों नहीं
बीवी से काम चलाते हो
छोड़ आए हो जिन्हें बहुत पीछे
उन दोस्त और रिश्तेदारों को
इस बरस याद कर के
फ़ोन क्यों नहीं घनघनाते हो
बरसों खेली है होली
जमाने के संग
चलो इस बरस खेलें होली
अपने परिवार के संग
Nice👌💐
ReplyDeleteThank you
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