Wednesday, 19 May 2021

Story of Life : कीमत

 कीमत



सचिन गांव से शहर आया था कि वो एक अच्छी नौकरी करेगा, क्योंकि वो अपने गांव का अकेला सब से ज़्यादा पढ़ा-लिखा व्यक्ति था।

पर बहुत हाथ पैर मारने के बाद भी उसे कोई नौकरी नहीं मिल पाई। 

अंत में भूख की खातिर उसे, एक तबेले में ही काम पकड़ना पड़ा।

उसने मेहनत और सूझबूझ से कुछ ही समय में काम सीख लिया, साथ ही अच्छी खासी बचत भी कर ली।

चंद समय बाद ही उसने एक गाय खरीद ली और अपना दूध बेचने का काम शुरू कर दिया।

अपनी व्यवहार कुशलता से उसने ग्राहकों की संख्या भी बढ़ानी शुरू कर दी।

ग्राहकों की संख्या बढ़ी तो उसके पास गायों की संख्या भी बढ़ती गई।

सचिन अपने काम के प्रति जितना ईमानदार था वो कीमत के प्रति उतना ही सख्त था। किसी भी सूरत में दूध के भाव कम नहीं करता था। 

वो कहता था कि भाव कम करुंगा तो धनवान कैसे बनूंगा।

पर कोरोना-काल इस क़दर अपना आंतक बढ़ा रहा था कि उसे समझ आने लगा था कि आधे से ज्यादा लोग दूध लेना बंद कर देंगे।

और आखिरकार वो दिन आ गया, जब पैसों की तंगी की मार से अधिकतर लोगों ने दूध लेने से मना करना आरंभ कर दिया।

जो भी मना कर रहे थे, वो उन सबको दूध देता और एक कागज थमा देता।

उसके जाने के बाद जिसने भी वो कागज़ देखा, सब देख कर हैरान रह गए.....

आगे पढ़े, कीमत (भाग -2) में.....

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