Thursday, 10 June 2021

Story of Life : कोरोना से सुख (भाग-2)

कोरोना से सुख (भाग -1)  के आगे.....


कोरोना का सुख (भाग-2) 




 जब वरुण, रिया, ऋतिक घर पहुंँचे तो रेखा और रोहित ने बहुत अच्छे से welcome किया। 

जब वरुण अंदर आया तो उसने देखा, उसके कमरे में A.C. लगा हुआ था। कमरे में ऋतिक के लिए बहुत सारे खिलौने थे।

वरुण ने माँ से पूछा कि, यह सब तैयारी दो दिन में कर ली?

नहीं बेटा, हम तुम लोगों के पास से जब आए थे, तब से तुम्हारे पापा हर रोज़ कुछ ना कुछ लाकर तुम्हारा कमरा, तुम लोगों की पसंद का बनाते जा रहे हैं।

रिया तो यह सब देख कर बहुत ही खुश हो गई। 

और ऋतिक तो अपने खिलौनों से ऐसे खेल रहा था, जैसे हमेशा से यहीं रह रहा था।

खाने का समय आया तो, बहुत सारी varities थी, उन्हें देखकर रिया के मुंह से बरबस ही निकल गया, यहाँ अभी भी maid आ रही हैं?

नहीं तो? क्यों पूछा तुमने? रेखा बोली।

नहीं कुछ नहीं.... पर रिया ने मन में सोचा कि इस उम्र में भी कमाल हैं।

अगले दिन जब वरुण, रिया उठे, तब तक घर बर्तन हो चुका था। रेखा और रोहित, ऋतिक के साथ खेल रहे थे, साथ ही उसको नाश्ता भी करा रहे थे।

वरुण और रिया को देखकर रेखा बोली, चलो नाश्ता कर लेते हैं। रिया बोली, मैं जूस बना लूँ।

रेखा बोली, रिया कुछ करने की जरूरत नहीं है, हमने सब कर लिया है। नाश्ता-जूस, ऋतिक के लिए baby food, lunch सब बन चुका है।

सब हो गया, आप कब उठीं थीं।

अरे वो सब छोड़ो, चलो नाश्ता करते हैं।

नाश्ता ख़त्म होने के बाद सब ऋतिक के साथ मस्ती करने लगे। वरुण work from home के कारण कम मस्ती कर रहा था, पर सबको खुश देखकर वो भी खुश था।

कोरोना ने ऐसा कोहराम मचाया था कि सम्भलने का नाम ही नहीं ले रहा था। 

डेढ़ साल हो गए थे, पर वरुण का office नहीं खुल रहा था, उसका work from home चल रहा था। 

उसे ना तो office की tension थी, ना ही उसे रिया और ऋतिक पर ध्यान देने की जरूरत थी। उसके साथ ही मां-पापा का साथ और माँ के हाथ का tasty खाना, तो वो बहुत सुखी था।

रिया देर से उठती, उसको भी वरुण और ऋतिक किसी का ध्यान नहीं रखना था। घर के सारे काम, रेखा उसके उठने से पहले ही खत्म कर देती थीं।

वो online ही अपने दोस्तों के साथ busy रहती, मस्ती करती रहती थी और बहुत सुखी थी।

दादा जी और दादी जी का प्यार और दुलार पाकर, ऋतिक भी बहुत सुखी था।

रेखा और रोहित भी बहुत सुखी थे, बहू, बेटे व पोते के साथ।

सभी सुखी और स्वस्थ थे, तो किसी को कोरोना के रहने से कोई कष्ट नहीं था। 

बहुतों के दुःख का कारण बनने वाला कोरोना, उनके लिए सुख का पर्याय बन चुका था।

वे सब कोरोना से सुख ले रहे थे, क्योंकि वो जान रहे थे, यह पल दुबारा नहीं आएगा।

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