Wednesday 24 May 2023

Article : अभाव जिंदगी का

 अभाव जिंदगी का  

किसकी ज़िन्दगी कैसी है? इस विषय में बरसों से बातें होती आई है। सोचा आज हम भी इसी पर मनन करें।

किसकी ज़िन्दगी कितने सुख से भरी है और कितने अभाव से... जिससे यह निष्कर्ष निकाला जा सके कि कौन सबसे बेहतर जिंदगी जी रहा है।

 खान-पान 

जो निर्धन है, वो तो अभाव में है ही, उसके पास तो जो रुखा सूखा हो, उससे ही भोजन बनाता है। कभी उसकी किस्मत चमक गई तो दान के रूप में लोग उन्हें बढ़िया पकवान दे जाते हैं। 

जो धनाढ्य हैं, वो भी अभाव में हैं, आप कहेंगे वो कैसे?

तो पहला तो यह कि उन्हें आधी चीज़ मना होगी और आधे का उन्होंने कभी स्वाद ही नहीं चखा होगा, साथ ही उनके घर में बनता तो बहुत कुछ होगा, पर उसमें स्वाद नहीं होगा, क्योंकि उनके घर खाना बनाने वाली कोई घर की स्त्री (माँ, बहन और पत्नी, आदि) नहीं होगी, बल्कि अपनी जीविका चलाने वाला कोई स्त्री या पुरुष होगा। जो खाना इसलिए नहीं बनाता है कि उसे घर वालों से प्रेम है, बल्कि इसलिए बनाता है क्योंकि यही उसकी जीविका का साधन है।

जो मध्यम वर्गीय है, उसके पास सब खाने-पीने की व्यवस्था भी होती है, उन्हें बहुत कुछ मना भी नहीं होगा और उन्होंने सब कुछ चखा भी होगा साथ ही उनके घर के बने खाने में स्वाद भी बहुत होगा, क्योंकि उनके घर पर खाना घर की स्त्री (माँ, बहन और पत्नी आदि) बनाती है। जो सिर्फ इसलिए खाना बनाती है, क्योंकि उसे घर वालों से प्रेम है, उनकी चिंता है। 

मतलब एक सुचारू जीवन जीने के लिए, ना अर्थव्यवस्था का अभाव, ना प्रेम का अभाव ना समय का। 

त्यौहार

जो निर्धन है, उसके तो क्या त्यौहार... रोज़ की ही रोटी की व्यवस्था होना मुश्किल होता है, फिर त्यौहार तो उन्हें सिर्फ अपनी गरीबी पर उड़ाया हुआ मज़ाक ही प्रतीत होता है।

धनाढ्य वर्ग के लिए सब त्यौहार wine and dine party से ज्यादा कुछ नहीं होता है। त्यौहार कोई भी हो, खुशी कोई भी हो, होली दीवाली, जन्मदिन, शादी की सालगिरह आदि, सभी में वही होगा wine and dine... ना होली में रंगों की बौछार होगी ना दीपावली में पटाखों की बहार, ना ही किसी त्यौहार का बेसब्री से इंतजार, ना ही हर त्यौहार की अलग छटा..

वहीं मध्यम वर्ग के लिए, हर त्यौहार, हर ख़ुशी का अपना अलग रंग अपनी अलग छटा होती है। होली के आने के एक महीने पहले से ही उसकी तैयारी शुरू कर दी जाती है, ना जाने कितने पकवान बनाए जाते हैं। यही पापड़, गुझिया, रंग-गुलाल, खील-बताशे ही तो होली की द्योतक है। ऐसे ही दीपावली आने के एक महीने पहले से ही साफ-सफाई, रंगाई-पुताई, साज-सजावट शुरू कर दी जाती है। साज-सजावट, दीप, पटाखे, मेवा-मिठाई यही तो द्योतक हैं, दीपावली के। ऐसे ही सभी त्यौहार, पूजा पाठ, खुशी के विशेष अवसर, हर एक की अलग छटा, अलग रंग है मध्यम वर्ग में। 

ना विविधता का अभाव, ना खुशियों का अभाव 

विविध रूप 

निर्धन वर्ग के पास ना तो इतनी सुविधा होती हैं ना इतना ज्ञान कि, वो विविध रूप रख सकें।

धनाढ्य वर्ग के पास तो बहुत अधिक सुविधाएं होती है, पर उन सुविधाओं को सुचारू रूप से चलाने के लिए, उससे भी ज्यादा लोग होते हैं अतः उनमें विविध रूप का सदैव अभाव रहता है।  

पर मध्यम वर्ग में जितनी सुविधाएं रहती हैं, उनको सुचारू रूप से चलाने के लिए उनके पास उतने लोग नहीं रहते हैं, अतः अपनी सभी सुविधाओं को सुचारू रूप से चलाने के लिए उन्हें विविध रूप धारण करना पड़ता है। जैसे वो office में जिस भी job में हो, पर घर में वो electrician, carpenter, plumber, mechanic सब रुप में रहता है। इससे ही उनके घर की जहां सब सुविधाएं सुचारू रूप से चलती है, वहीं विविध रूप के कारण सर्वगुणसंपन्न की जो feelings होती है, वो तो अतुलनीय है। 

ना विविध रूप का अभाव ना ही सर्वगुणसंपन्न होने का अभाव..

आज के article में इतना ही वर्णन कर रहे हैं, आगे फिर कभी... पर आप इसे पढ़कर मनन कीजिएगा कि 

मध्यम वर्ग में एक सुचारू जीवन जीने के लिए ना अभाव है अर्थव्यवस्था का, ना प्रेम का, ना समय का, ना विविधता का, ना खुशियों का, ना विविध रूप का, ना ही सर्वगुणसंपन्न होने का अभाव.. 

मतलब, सच्चा और सुखद जीवन के लिए जो चाहिए, वो सब है, उनके पास.. 

इसलिए आज से यह कहना बंद कीजिए कि मध्यम वर्ग को सबसे ज्यादा संघर्ष करना पड़ता है, उन्हें ही सबसे अधिक कष्ट है, उनकी ही जिन्दगी नर्क है।

क्योंकि दूसरे अर्थों में कहें तो, मध्यम वर्ग ने ही जीवन को, समाज को, त्यौहारों को, हंसी-खुशी को, सपनों को, अपनों को, सार्थकता प्रदान की है। वो है, इसलिए ही दुनिया हसीन है...

सोच positive रखें तो हर ओर सुख है हर ओर प्रसन्नता है 🙏🏻😊

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