Monday, 2 October 2023

Poem: बापू, तुम्हारे संघर्ष की कहानी

 बापू, तुम्हारे संघर्ष की कहानी


ना जाने सच्ची है या झूठी, 

अब क्यों अनजानी लगती है?

बापू तुम्हारे संघर्ष की कहानी,

सबको क्यों बेमानी लगती है?


जवानी में भारत को छोड़कर,

तुम वकालत पढ़ने विदेश गए। 

पहले ना समझे थे भारत की व्यथा, 

फिर अधेड़ उम्र में कैसे समझ गए?


अपनी वकालत का तुमने,

कभी क्यों नहीं उपयोग किया?

भगत, आज़ाद, आदि को छुड़वाने का,

क्यों नहीं कभी प्रयास किया?


नमक सत्याग्रह आन्दोलन,

जलाकर विदेशी कपड़ों की होली।

क्या केवल एक छलावा था?

क्या कोई चाल थी तुमने खेली?  


एक तरफ यह सब कर के,

अपनी थी पैठ बना रहे।

दूजी तरफ अहिंसा के नाम पर,

अंग्रेजों का थे साथ निभा रहे।


बंटवारे को स्वीकृति देकर तुमने,

क्यों भारत की व्यथा बढ़ाई थी? 

बहुत कष्ट होगा, हर एक को, 

क्या यह पीड़ा समझ ना आई थी?  


सरदार पटेल को छोड़कर,

क्यों नेहरू को सत्ता थमाई थी?

क्या भारत, फिर से सर्वोच्च बने,

यह सोच ना मन में आई थी?


सबने पूजा, तुमको बापू कहकर,

सबके तुम सिरमौर रहे। 

ना जाने वो, तुम को ना समझ सके? 

ना जाने, अब तुम्हे नहीं समझ रहे?


ना जाने सच्ची है या झूठी,

अब क्यों अनजानी लगती है?

बापू तुम्हारे संघर्ष की कहानी,

सबको क्यों बेमानी लगती है? 


कुछ सवाल, जो बहुत लोगों के मन में घूम रहे हैं, उन्हीं को पिरोया है शब्दों में... क्या आप के मन में यही सवाल घूम रहे हैं या आपकी सोच अलग है, comment box में ज़रूर से लिखें.... 


महात्मा गांधी व शास्त्री जी के जन्म दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं 💐

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