Thursday, 29 February 2024

Short story: पानी का मोल

 पानी का मोल


अमन बहुत बड़ा व्यापारी था, साथ ही उसे अपने पैसों का बहुत अधिक घमंड भी था। उसे लगता था कि दुनिया में कोई चीज ऐसी नहीं है, जिसका मोल नहीं लगाया जा सकता।

एक बार वह अपने दोस्तों के साथ राजस्थान घूमने के लिए निकला, उन्होंने कुछ पानी की बोतलें अपने साथ ले लीं। उसकी दोस्त अनिका बोली, कुछ बोतलों से क्या होगा? रेगिस्तान में जा रहे हैं, ज्यादा बोतलें रख लेते हैं, ना जाने कहां कितना मंहगा पानी मिले या ना मिले... 

अनिका यार, कब तक डरती रहोगी...? तुम करोड़पति अमन के साथ हो, जिसका साथ होना ही काफी है, कुछ भी पाने के लिए.. 

अनिका चुप हो गई, क्योंकि वो जानती थी कि अमन, अपनी बात को सिद्ध करा के ही मानता है। 

उस दिन गर्मी ज्यादा थी, तो वो कुछ बोतलें जल्दी ही खत्म हो गईं।

उन लोगों का काफिला, जैसलमेर की ओर बढ़ चला था कि वहां रेत में गाड़ी के पहिए धंस गये। सबने बहुत प्रयास किया, पर उन्हें निकालना कठिन हो रहा था और कठिनाइयों का मुख्य कारण था, उनका प्यास से बेहाल होना। 

Actually, wheel जहां फंसे थे, वहां दूर दूर तक सिवाय रेत के और कुछ नहीं था। 

अमन ने हर संभव प्रयास किया, कि पानी उन लोगों तक किसी भी कीमत पर पहुंच जाए, पर यह संभव ही नहीं हो रहा था, क्योंकि उस समय mobile पर network issue हो गया था।

उस समय जो सबसे ज्यादा निढाल हो रहा था, वो अमन ही था।

तभी अनिका को कुछ औरतें पानी की मटकी लिए आती दिखाई दी। वो उस तरफ दौड़ी चली गई, उसने उन लोगों से अपनी परेशानी बताई और पानी देने के लिए बहुत request की...

औरतें पानी पिलाने को मान गईं।

जब वो अमन के पास पानी लेकर पहुंचीं, तो अमन फिर घमंड से भर गया और बोला, कितने में दे रही हो पानी? 

पानी! कितने में?.... भाई सा, हम तो बस आपको पीने के लिए पानी देने आए थे, आपको परेशान देखकर, वरना पानी का कोई मोल ना होवे है...

परेशान और अमन... तुमने मुझे पहचाना नहीं है, लगता है, 20-20 रुपए में बिकता है पानी... मैं तो तुम्हें और बहुत ज्यादा देने को तैयार हूं।

भाई सा, आपके शहर में बिकता होगा पानी... म्हारे देस  में ना बिके... आपको मैं देती हूं पैसे, आप हमें लाकर दे दो पानी... 

दुकान बता दो तो ले आऊंगा और तुम लोगों को भी दे जाऊंगा।

दुकान और पानी की! यहां कहां है? आपकी तरह हमारे यहां नल खोलते ही पानी नहीं आता है, कोसों दूर जाना पड़ता है, तब मिलता है पीने को पानी... 

आपको भी हमारे जैसे जाना हो तो, पानी अनमोल है समझ आ जाएगा। और हमारी बात गांठ बांध लो, तुम्हारे जैसे तेवर वालों के कारण ही सब पानी को तरस रहे हैं। 

आपसे तो हमारे ऊंट ज्यादा समझदार होते हैं, उन्हें भी पता है कि पानी अनमोल है...

यह कहकर वो लोग, गुस्से में आगे बढ़ गईं। उनको आगे बढ़ता देख अमन को अपनी ग़लती का एहसास हुआ कि अगर यह चली गई तो उसके पैसे किसी काम नहीं आएंगे।

वो तुरंत दौड़ता हुआ गया और माफ़ी मांगने लगा, मुझे माफ़ कर देना, मैं बहुत अच्छे से समझ गया कि पानी अनमोल है, इसकी हमेशा कद्र करनी चाहिए, इसकी अगर कमी हो गई तो हम कितना ही मोल चुका दें, कभी पा नहीं सकेंगे। साथ ही बिना पानी के जीवन भी संभव नहीं है... 

पानी पीकर सबकी जान में जान आई, तो उन सबने मिलकर गाड़ी को रेत से बाहर निकाला और आगे बढ़ गये।

अमन जब राजस्थान से वापस लौटा तो उसका स्वभाव बदल चुका था। उसे अच्छे से समझ आ गया था कि चाहे कितनी ही दौलत हो, पर जो अनमोल है, उसे खरीदा नहीं जा सकता। जल ही कल है 💦

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