शारदीय नवरात्रों के दिन चल रहे हैं, हर ओर माता रानी की पूजा अर्चना, भजन आरती इत्यादि चल रहे हैं। सर्वत्र माता रानी का जयकारा गूंज रहा है, माँ अपने भक्तों को भर भरकर आशीष प्रदान कर रहीं हैं।
आज नवरात्रों की षष्ठी है, और आज से ही दुर्गापूजा का पांच-दिवसीय समारोह आरंभ हो जाता है। इस दिन से दुर्गा माता की प्रतिमा का पट खुलता है, जिसके बाद ही श्रद्धालु दुर्गा माता की प्रतिमा का दर्शन कर पाते हैं।
शारदीय नवरात्रों में दुर्गाष्टमी का विशेष महत्व होता है, नवरात्रों में अष्टमी के दिन माता रानी ने दुर्गा माँ का रूप धारण किया था। दुर्गाष्टमी में माता रानी ने दुष्ट भैंस राक्षस महिषासुर का वध किया था, जिसका जश्न मनाया जाता है।
दुर्गा माँ के स्वरूप की कथा
किंवदंती है कि भगवान ब्रह्मा जी के द्वारा दिए गए वरदान के कारण, महिषासुर को केवल एक महिला द्वारा ही हराया जा सकता था। जब भगवान इंद्र, युद्ध के मैदान में पराजित हुए, तो वह त्रिदेवों की शरण में आए।
संसार के कल्याण हेतु बह्मा, विष्णु और शिव ने अपनी-अपनी शक्तियां प्रदान कर दुर्गा माँ का निर्माण किया, जिसमें उनके शरीर के प्रत्येक भाग को पुरुष देवताओं की शक्तियों द्वारा सशक्त किया था। दुर्गा माता ने त्रिशूल द्वारा महिषासुर का वध किया था।
दुर्गाष्टमी, ईश्वर के स्त्री रूप के सशक्तिकरण का प्रतीक है। जहांँ ईश्वर ने यह चरितार्थ किया है कि यदि स्त्री अपनी सामर्थ्य को प्रदर्शित करे तो वह किसी भी मामले में पुरुष से कम नहीं है।
दुर्गाष्टमी व्रत का महत्व
शास्त्रों में दुर्गाष्टमी व्रत के महत्व को विस्तार से बताया है। बता दें कि नवरात्रि के नौ दिनों में अष्टमी व्रत का सबसे अधिक महत्व होता है।
ऐसा इसलिए क्योंकि इस दिन मां भगवती एवं कन्याओं की उपासना की जाती है। इस दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत का पालन व कन्या पूजन करने से से जीवन में सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
साथ ही सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं, इस व्रत का पालन करने से कई प्रकार के ग्रह दोष भी दूर होते हैं।
इस वर्ष लोगों के मन में बहुत उलझन चल रही है कि दुर्गाष्टमी किस दिन है और उसका क्या कारण है? इसी उलझन को सुलझाने का प्रयास है आज का यह article...
दुर्गाष्टमी किस दिन और क्यों?
दुर्गाष्टमी व्रत किस दिन रखा जाए या जिन्हें अष्टमी में कन्या पूजन करना है, वो किस दिन करें, 10 या 11 अक्टूबर को?
और क्या कारण है 10 और 11 October दो दिन अष्टमी का योग है?
वैदिक पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन महा दुर्गा अष्टमी व्रत का पालन किया जाता है।
सनातन धर्म में मां दुर्गा की उपासना के लिए दुर्गा अष्टमी व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। शारदीय नवरात्रि में दुर्गाष्टमी व्रत का विशेष महत्व है। इस दिन मां भगवती की उपासना की जाती है।
महा अष्टमी के दिन महा स्नान एवं षोडशोपचार पूजा की जाती है। मान्यता है कि दुर्गाष्टमी के दिन व्रत का पालन करने से व्यक्ति को सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है व जीवन में आ रही समस्याएं दूर हो जाती है।
तिथि और मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि का शुभारंभ 10 अक्टूबर दोपहर 12:35 पर होगा और इस तिथि का समापन 11 अक्टूबर दोपहर 12:05 पर हो जाएगा।
इस वर्ष सप्तमी व्रत का पालन 10 अक्टूबर के दिन किया जाएगा।और सप्तमी व अष्टमी व्रत एक साथ नहीं रखे जाते हैं, क्योंकि सप्तमी तिथि से युक्त अष्टमी तिथि , नित्य शोक व संताप (कष्ट) को देने वाली होती है व अष्टमी तिथि से युक्त नवमी तिथि हर तरह से शुभ फलदाई होती है।
निर्णय सिंधु में पृष्ठ 375 के अनुसार उदया अष्टमी में महाष्टमी व्रत व महानवमी व्रत, कन्या पूजन, हवन इत्यादि का कार्य 11 October शुक्रवार को करना शास्त्र सम्मत है।
आशा है अब आप को निर्णय लेने में सुविधा हो जाएगी।
बाकी नवरात्रि में तो नौ दिन माता रानी के हैं, हर दिन शुभ है, वो हर दिन अपने भक्तों को भर भरकर आशीष प्रदान करतीं हैं 🙏🏻
बोलो सांचे दरबार की जय 🚩🙏🏻
Jai Mata Di..... Thankyou for posting such valuable information...all doubts cleared🙏🙏🌹🌹
ReplyDeleteThank you so much for your valuable time and appreciation 🙏🏻😊
Deleteजय माता दी 🚩🙏🏻
Good information.
ReplyDeleteGod bless you.
Thank you so much for your valuable time, application and blessings 🙏🏻❤️
DeleteAll doubts are clear. Thank you......
ReplyDeleteThank you so much for your valuable time and appreciation 🙏🏻😊
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DeleteGreat job
ReplyDeleteThank you so much for your valuable time and appreciation 🙏🏻
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