मजबूर (भाग-3) के आगे
मजबूर (भाग-4)
वो दिनभर आराम करती और अपने पापा के भेजे हुए रुपए-पैसों से मज़े करती...
वरुण ने बहुत प्यार से अपने बेटे का नाम राजकुमार रखा। यह नाम अंकिता को भी बहुत अच्छा लगा, क्योंकि वो तो अपने आपको राजकुमारी और रानी से कम समझती नहीं थी।
तो बस बहुत धूमधाम के साथ बेटे का नाम राजकुमार रखा दिया गया।
जैसे जैसे राजकुमार बड़ा हो रहा था, वरुण की कमजोरी बनता जा रहा था।
जो वरुण अंकिता की फिजूलखर्ची पर चिढ़ जाया करता था, वही अंकिता का राजकुमार के लिए किए गए फिजूलखर्ची पर कुछ न बोलता था। बल्कि उसके लिए आए सामान को बड़े प्यार से निहारता है और सराहना भी करता था।
उसके इस रूप को देखकर अंकिता भी एक पल को उस पर रीझ जाया करती थी।
वरुण घर आने के बाद, एक पल को भी राजकुमार को अपनी आंखों से ओझल नहीं होने देता था।
यहां तक कि hide and seek खेलने में भी पांच मिनट से भी ज्यादा समय लगने पर वो बैचेन हो उठता था।
एक दिन जब वो आफिस से लौटा तो राजकुमार पार्क में जाने के लिए मचल रहा था।
वरुण को एक बहुत important assignment बनाना था, पर राजकुमार ज़िद्द किए जा रहा था।
आखिरकार मजबूर होकर, उसने अंकिता के एक servant के साथ उसे यह कहकर पार्क भेज दिया कि वो 15 minutes में पार्क पहुंच जाएगा।
राजकुमार के पार्क पहुंचने के ठीक 15 minutes बाद वरुण भी पार्क पहुंच गया।
पर वो देखता क्या है, रमेश इधर-उधर कुछ ढूंढ रहा है और राजकुमार उसके साथ नहीं है।
वरुण ने रमेश से एक साथ बहुत से सवाल कर डाले, राजकुमार कहां है? वो तुम्हारे साथ क्यों नहीं है? उसे तुमने अकेला क्यों छोड़ा? तुम्हें अंकिता के लिए उसके पापा ने लगवाया था, इसलिए मैंने तुम पर कितना भरोसा करके राजकुमार को तुम्हारे साथ भेजा था...
रमेश, राजकुमार के खो जाने से पहले से ही परेशान था, फिर वरुण के सवालों की झड़ी से अंदर तक कांप उठा।
आगे पढ़े, मजबूर (भाग-5) में...
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