मजबूर (भाग-2) के आगे
मजबूर (भाग -3)
अंकिता के यूं चले जाने से वरुण को यह एहसास होने लगा कि एक ग़लत फैसला, इंसान को कितना अपमानित और मजबूर बना देता है।
एक सुबह, वरुण को फोन आता है कि वो एक ख़ूबसूरत से बच्चे का पिता बन गया है।
यह सुनते ही वरुण बच्चे से मिलने, उसे देखने के लिए बैचेन हो उठता है।
आनन-फानन वो अपनी ससुराल की ओर दौड़ जाता है।
वहां मुकेश जी और सविता दोनों ही उसका विशेष रूप से आतिथ्य सत्कार करते हैं। फिर वो बताते हैं कि उसका बेटा थोड़ा serious condition में है। उसे incubator पर रखा गया है। साथ ही उसे blood requirements भी होगी।
वरुण तुरंत hospital पहुंचता है और doctor से अपने बेटे से मिलने देने की request करता है।
जब वो अपने बेटे को देखते हैं तो देखता रह जाता है, उसका बेटा, हुबहू उसकी photo copy था। वही चेहरा-मोहरा वही रंग-रूप...
साथ ही उसे पता चलता है कि बच्चे का blood group भी उसी से मिलता है AB negative (AB-), जो कि rare blood group होता है।
उसने doctor को बोला कि तुरंत से बच्चे का treatment शुरू कर दें, वो अपना खून देने को तैयार है।
सारे treatment start हो गये और दो दिन में ही बच्चा normal condition में आ गया और अंकिता को दे दिया गया।
Coming week में discharge हो गया था, पर अंकिता अब वापस वरुण के पास नहीं जाना चाहती थी।
पर उसकी मां सविता जी ने कहा, वरुण का भी उस बच्चे पर पूरा अधिकार है, वैसे भी बच्चा, उसके खून दिए बिना शायद ही बचता।
मुकेश जी ने भी अंकिता को अपने घर लौट जाने को कहा, साथ ही आश्वासित भी किया कि अंकिता और बच्चे दोनों के ख़र्च के लिए वो रुपए-पैसे भेजते रहेंगे। अनमने मन से अंकिता लौट आई।
वरुण अपने बेटे पर जान छिड़कता था। जब भी वो घर पर रहता, अपना पूरा समय अपने बेटे की देखरेख में व्यतीत कर देता।
अंकिता, उसके इस तरह से बेटे के लिए प्यार देखकर मन ही मन हर्षित होती, क्योंकि इस कारण से उसे बच्चे का कोई भी काम नहीं करना पड़ता था।
वो दिनभर आराम करती और अपने पापा के भेजे हुए रुपए-पैसों से मज़े करती...
आगे पढ़े, मजबूर (भाग-4) में...