वो भयानक रात (भाग -3) के आगे...
वो भयानक रात (भाग -4)
सुरेश जी भी तंग आकर सोच रहे थे कि क्या करें? एक तरफ हद का मचता हुआ शोर, दूसरी ओर आशा का गिड़गिड़ाना...
इससे पहले कि वो निर्णय लेते, बहुत तेज़ भढाम से आवाज़ हुई...
क्योंकि घर का दरवाजा गिर गया था और उसके साथ ही संजीव, और दो मुस्टंडे से दिखने वाले लोग भी घर के भीतर थे।
फिर वही हुआ, जिसका आशा को डर था, संजीव लगा ताबड़तोड़ आशा को मारने...
सुरेश जी और सन्नी ने रोकने की कोशिश की, तो उन मुस्टंडों ने सुरेश और सन्नी को कसकर पकड़ लिया।
श्यामा तो घबरा कर रोने लगी, उसने आज तक ऐसा भयानक दृश्य नहीं देखा था, साथ ही वो अपने पापा और भैया के लिए भी डर रही थी।
थोड़ी ही देर में आशा के खून निकलना शुरू हो गया। उसके बच्चे भी बुरी तरह से रो रहे थे।
अजीब भयानक दृश्य बन गया था, जिसकी कल्पना, सुनीता, सुरेश और बच्चों ने कभी सपने में भी नहीं की थी।
इतनी ज्यादा चिल्ल-पों की आवाजें सुनकर apartment से बहुत लोग भी अंदर आ गये।
जिसमें सब-इंस्पेक्टर राकेश जी भी शामिल थे, जो अभी महीना भर पहले ही रहने आए थे।
उन्होंने एक भारी सी आवाज़ में कहा, ओय क्या गुंडागर्दी है? क्यों मार रहा है औरत को?...
उनकी आवाज सुनते ही संजीव के मुंह से निकल गया, अरे ये कहां से आ गये? इसके साथ ही उसके हाथ वहीं रुक गये। मुसटंडो ने सुरेश जी और सन्नी को भी छोड़ दिया।
दरअसल, राकेश जी अपने कड़क स्वभाव के लिए पुलिस चौकी में प्रसिद्ध थे।
अभी...
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