Sunday, 14 December 2025

Story of Life : बदलती ज़िंदगी (अंतिम भाग)

बदलती ज़िंदगी (भाग-1),

बदलती ज़िंदगी (भाग-2),

बदलती ज़िंदगी (भाग-3), और

बदलती ज़िंदगी (भाग-4) के आगे…

बदलती ज़िंदगी (अंतिम भाग)


रितेश ने बहुत grand party रखी, उसमें सभी परिवारिक जन, और बहुत बड़े-बड़े guests invited थे। बड़ी-बड़ी companies के CEO, नेता, अभिनेता और वो सारे लोग भी जो उस रात की party में शामिल थे, जिन्होंने सुधा का अपमान किया था।

भारतीय संस्कृति के अनुसार ही party plan की गई थी। इस party की बस शर्त इतनी थी कि no alcohol, no non-vegetarian food, & no short/revealing outfits.

सबको party का decorum follow करना था। और सबने किया भी, कौन इतने बड़े invitation को‌ ठुकराता...

आज की रात भी official party थी, पर सुधा के साथ-साथ सभी Indian dresses में थे। किसी के हाथ में जाम नहीं था, बल्कि jaljeera, lemon juice, lassi, chach etc.

और सबसे बड़ी बात, आज सभी सुधा के पहनावे और साज-सज्जा की तारीफ करते हुए नहीं थक रहे थे। आज वो आपस में एक-दूसरे से बोल रहे थे, “सुधा ma'am की पसंद बहुत classy, rich and beautiful है। हमारे रितेश की तो किस्मत ही खुल गई सुधा जी से शादी करके।”

एक बात, रितेश को बहुत अच्छे से समझ आ रही थी कि पैसा, power and post जिसके पास हो, ज़माना उसके आगे झुकता है 

रितेश भी आज बहुत खुश था, कि उसके बाबूजी ने उसके लिए बहुत ही अच्छा जीवनसाथी चुना है, जिसने उसकी जिंदगी संवारीं नहीं बल्कि निखार‌ दी है। उसे जिंदगी के उस मुकाम पर पहुंचा दिया है, जिसकी उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी।

उसकी जिंदगी, जो शादी के चंद महीनों बाद ही बदल गई थी, वो चंद सालों में इतनी अधिक बदल जाएगी, उसका उसने सपने में भी नहीं सोचा था।‌ 

वो अपने बाबू जी से बोला, “मैं आपसे अपने मन की एक बात कहना चाहता हूँ।”

“हाँ, बोल न बेटा।” बाबू जी ने बड़े प्यार से कहा।

“आज से चंद सालों पहले मुझे लगा था कि आपने मेरी जिंदगी तबाह कर दी, मुझे आपके अनुसार विवाह नहीं करना चाहिए था, बल्कि अपने जीवनसाथी को खुद पसंद करके विवाह करना चाहिए था।

पर आपकी पसंद ही सर्वश्रेष्ठ है, इसके लिए अनेकानेक धन्यवाद, कि आपने मेरे लिए सुधा को चुना। आपकी दूरंदेशी नजरों ने वो देखा, जो मैं कभी नहीं देख पाता। सच है, माँ-बाप का अनुभव, सदैव शिरोधार्य है।”

यह कहकर उसने बाबूजी के चरण स्पर्श किए।

बाबू जी ने उसे गले लगते हुए कहा, “जब तुम्हें लगा था कि तुम्हारी जिन्दगी तबाह हुई है, तुम्हें तभी कहना चाहिए था, मैं तुझे तभी बता देता कि मैंने अपने दिल के टुकड़े के लिए सर्वश्रेष्ठ जीवनसाथी चुना है।

जो जब भी तकलीफ़ आएगी, वो ऐसे डटकर मुकाबला करेगी कि तेरी जिंदगी संवरती जाएगी, सर्वश्रेष्ठता की ओर बढ़ती चली जाएगी।”

“सच है बाबू जी।” रितेश के चेहरे पर प्रेम, आभार और खुशी के मिश्रित भाव थे और आंखें छलछला आई थीं…

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