Thursday, 29 November 2018

Kids Story : जहाँ चाह, वहाँ राह’

कितनी ही बार हमने ये कहानी पढ़ी और सुनी है ,पर ये हमे 
सदैव प्रेरणा ही प्रदान करती है, अतः परम सहाय द्वारा भेजी गयी ये कहानी आप सब के साथ साझा कर रहे हैं  
जहाँ चाह, वहाँ राह

कई साल पहले की बात है। कुंदनपुर नाम का एक कस्बा था। वहाँ पर एक बहुत बहादुर राजा, रत्नसिंह रहता था। उसकी प्रजा उससे बहुत प्यार करती थी। वह हर लड़ाई बड़े समझदारी के साथ लड़ता था और उनपर विजयी भी पता था।
पर सब दिन होत न एक समाना । अकस्मात दिन फिरे। एक दिन पास वाले कस्बे के राजा राजकिशोर न जाने क्या सोच कर रत्नसिंह पर आक्रमण कर दिया। अचानक से हुए इस आक्रमण से रत्नसिंह बहुत घबरा ही उठा। वह कोई भी सफल नीति बनाने मे असमर्थ रहा। वह अपनी प्रजा के सहारे बहुत बहदुरी से लड़ा पर भाग्य ने उसका साथ न दिया। वह किसी तरह अपनी जान बचाते-बचाते युद्धभूमि से भाग निकला।
वह बहुत भयभीत हो गया था। वह कई दिन एक वन की एक गुफा मे रहने लगा।
एक दिन उसने देखा की एक मकड़ी गुफा की दीवार पर चढ़ने का प्रयास कर रही थी। वह बार बार चढ़ने का प्रयास करती पर न चढ़ पाती। कई बार असफल होती उस मकड़ी को देख कर रत्नसिंह को बहुत दया आई। उसने सोचा की वह अब हार मान लेगी और उस दीवार पर चढ़ने का प्रयास छोड़ देगी परंतु उसने देखा कि इस बार भी मकड़ी ने चढ़ने का यत्न किया और उस दीवार पर चढ़ने मेँ सफल हो गई
उसे देख वह बहुत प्रसन्न हुआ और उसने सोचा की यदि एक छोटी-सी मकड़ी कई बार असफल होने पर भी हिम्मत नहीं हारी और कई कोशिशों के बाद उस दीवार पर चढ़ने मे सफल हो गयी, तब मुझे भी हार नही माननी चाहिए और अपना खोया हुआ कुंदनपुर का कस्बा फिर से वापस पाने क लिए राजकिशोर से लड़ना चाहिए। यह सोच उसने अपने अंदर हिम्मत जुटाई और अपनी प्रजा के सहारे उसने राजकिशोर को हराकर अपना खोया हुआ कुंदनपुर का कस्बा पा लिया।  किसी ने सही कहा है- जहाँ चाह, वहाँ राह । 
परम सहाय 

No comments:

Post a Comment

Thanks for reading!

Take a minute to share your point of view.
Your reflections and opinions matter. I would love to hear about your outlook :)

Be sure to check back again, as I make every possible effort to try and reply to your comments here.